कभी बीमारी तो कभी उत्तर प्रदेश में अपनी जान का खतरा बता कर मुख्तार अंसारी पंजाब जेल में बना हुआ है. पंजाब के जिस मुकदमे में वह जेल में है. उस मुकदमे दो वर्ष बाद भी पंजाब पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है। फिर आखिर ऐसा क्या है मुख्तार को कांग्रेस वापस नहीं आने दे रही है
माफिया मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश में लाया जाना न्याय हित में आवश्यक है. उसके विरुद्ध चल रहे मुकदमों की सुनवाई उत्तर प्रदेश के जनपद न्यायालयों में लंबित है. मुख्तार के खिलाफ तीन दशक पहले से आपराधिक मुकदमे दर्ज हो रहे हैं मगर मुख्तार मुकदमों को लंबित कराके अभी तक बचा हुआ है. उत्तर प्रदेश सरकार चाहती है कि इन मुकदमों में न्यायालय सुनवाई पूरी करके अपना निर्णय सुनाए. मगर मुख्तार उन मुकदमों की सुनवाई को लंबित रखना चाहता है. कभी बीमारी तो कभी उत्तर प्रदेश में अपनी जान का खतरा बता कर वह पंजाब जेल में बना हुआ है. आश्चर्य है कि पंजाब के जिस मुकदमे में वह जेल में है. उस मुकदमे दो वर्ष बाद भी पंजाब पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है. इसके बावजूद मुख्तार जमानत याचिका दाखिल नहीं कर रहा है. इस मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रही है. इस बीच पंजाब विधानसभा में भी इस मामले पर बहस शुरू हो गई है. मुख्तार को बचाने के चक्कर में कांग्रेस पार्टी चारों तरफ से घिर गई. पंजाब में कांग्रेस सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों ने विधानसभा में जमकर विरोध किया. विपक्ष ने सवाल किया कि युवाओं के हित में खर्च की जाने वाली धनराशि माफिया मुख्तार को बचाने के लिए क्यों व्यय की जा रही है.
शिरोमणि अकाली दल के नेता विक्रम मजीठिया ने पंजाब के बजट सत्र में गैंगस्टर मुख्तार का मुद्दा उठाया और सरकार की मंशा पर सीधा सवाल किया. मजीठिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में करोड़ों रुपए उसका मुकदमा लड़ने के लिये खर्च किए जा रहे हैं. पंजाब के नौजवान बेरोजगार हैं. लेकिन पंजाब सरकार जनता का धन मुख्तार अंसारी को बचाने पर खर्च कर रही है. पंजाब सरकार के पास कर्मचारियों का वेतन देने के लिए धन नहीं हैं, लेकिन मुख्तार के मुकदमे की पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट में 50 लाख रुपए की फीस अधिवक्ता को दी गई. सरकार क्यों बचा रही है मुख्तार को ? . पंजाब पुलिस ने दो साल से क्यों आरोप पत्र दाखिल नहीं किया है? राज्य सरकार उसको किस उद्देश्य से आईपी ट्रीटमेंट दे रही है. इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए.
उत्तर प्रदेश सरकार की दलील
गत बुधवार को सॉलिसीटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पूरा मामला फिल्मी साज़िश के जैसा है. पंजाब में एक केस दर्ज किया गया. पंजाब पुलिस को शिकायत मिली कि किसी अंसारी ने एक व्यापारी को रंगदारी के लिए फोन किया. बिना यूपी की कोर्ट से अनुमति लिए उसे सीधे बांदा जेल से पंजाब ले जाया गया. अगर ऐसी कोई घटना हुई थी तो अब तक चार्जशीट क्यों दाखिल नहीं हुई. दो वर्ष से न तो पंजाब पुलिस चार्जशीट दायर कर रही है और न ही मुख्तार जमानत मांग रहा है .यूपी के वारंट पर कह दिया जाता है कि उसकी तबियत खराब है. मेडिकल सर्टिफिकेट में कभी लिखा है कि गला खराब है, कभी लिखा है कि सीने में दर्द है. मुख्तार सिर्फ यूपी की कोर्ट ही नहीं सुप्रीम कोर्ट को भी गुमराह कर रहा है. पंजाब के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि हमें किसी अपराधी से कोई सहानुभूति नहीं है. लेकिन यूपी सरकार की दलील तकनीकी रूप से गलत है.
सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार का हलफनामा
कुछ दिन पूर्व सुप्रीम कोर्ट में दाखिल शपथ पत्र में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा था कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ प्रयागराज के एमपी/एमएलए कोर्ट में जघन्य अपराध के 10 मुकदमे विचाराधीन हैं. बांदा जेल अधीक्षक ने बिना एमपी/एमएलए कोर्ट की अनुमति लिए मुख्तार अंसारी को पंजाब पुलिस को सौंप दिया था इसलिए मुख्तार को बांदा जेल की कस्टडी में वापस लाया जाना आवश्यक है. कई बार उत्तर प्रदेश के न्यायालय से पेशी के लिए वारंट जारी हुआ मगर पंजाब के जेल अधिकारी उसे बीमार बताते रहते हैं. मोहाली मामले में बंद मुख्तार के मामले में दो साल से आरोप पत्र दायर नहीं किया गया है. बावजूद इसके मुख्तार अंसारी ने जमानत याचिका दायर नहीं की है क्यों ? इससे स्पष्ट है कि वह पंजाब जेल में ही बना रहना चाहता है. मोहाली केस का ट्रायल उत्तर प्रदेश में ट्रांसफर किया जाए. उत्तर प्रदेश सरकार ने शपथ पत्र में यह भी निवेदन किया कि न्याय हित में सुप्रीम कोर्ट अपनी विशेष शक्ति का इस्तेमाल करते हुए मुख्तार अंसारी को यूपी भेजने का आदेश पारित करें.
मुख्तार से इतनी सहानुभूति क्यों: सिद्धार्थ नाथ
उधर उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और सुक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहते हैं कि “ देश के इतिहास में शायद ही कोई ऐसा उदाहरण मिले जिसमें किसी राजनीतिक दल की एक माफिया के प्रति इस कदर सहानुभूति उमड़ी हो कि उसके पैरोकारी में वह सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच जाए. पूरा समाज जानता है कि मुख्तार क्या है? कितने लोग उसके जुल्म और ज्यादती के शिकार हुए हैं? मेरा कांग्रेस के साहबजादे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से सवाल है कि इस सहानुभूति की वजह क्या है? उन लोगों के बारे में उनका क्या ख्याल है जिनका घर-परिवार मुख्तार के कारण उजड़ गया ? मैं ही नहीं पूरा देश और समाज यह जानना चाहता है. मुख्तार की पैरवी करते हुए क्या कभी कांग्रेस ने इनके बारे में सोचा ? यकीनन नहीं सोचा होगा. कांग्रेस की पूरी राजनीति की बुनियाद ही नफा-नुकसान पर आधारित है. मुख्तार के बहाने उनकी नजर वर्ग विशेष के वोट पर है, पर उनके ये मंसूबे पूरे होने से रहे. योगी सरकार अलग तरह की सरकार है. वह अपराधियों और माफियाओं को सत्ता के संरक्षण के रूप में खाद-पानी नहीं देती. उनका मान मर्दन करती है और करती रहेगी.”
अलका राय के पत्र पर प्रियंका गांधी ने कोई ट्वीट नहीं किया
पूर्व विधायक कृष्णानन्द राय की पत्नी अलका राय दो बार प्रियंका गांधी को पत्र लिख चुकी हैं मगर प्रियंका गांधी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. अलका राय ने कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को दो बार पत्र लिखा. उन्होंने पत्र में लिखा कि पंजाब सरकार मुख्तार अंसारी को बचा रही है और राजस्थान सरकार, मुख्तार के पुत्र को राज्य अतिथि बना रही है. प्रियंका गांधी से सवाल पूछते हुए उन्होंने लिखा कि “ महिला होते हुए मुझे ये उम्मीद थी कि आप मेरा दर्द समझेंगी. आप आए दिन अपराध और अपराधियों के खिलाफ तमाम दावें करती हैं लेकिन इंसाफ मांग रही मेरे जैसी अनेकों पीड़िताओं के एक भी पत्र का जवाब देना आपने उचित नहीं समझा और न ही हमें इंसाफ दिलाने की कोशिश की.”
मुख्तार के घर वालों ने खुद ही ध्वस्त किया अवैध निर्माण
गत वर्ष सितम्बर माह में गाजीपुर जनपद के लाल दरवाजा इलाके में मुख़्तार अंसारी की पत्नी के नाम से एक भवन का निर्माण कराया जा रहा था. यह भवन नक़्शे के अनुरूप नहीं बन रहा था. उप जिलाधिकारी प्रभास कुमार ने अवैध निर्माण गिराने की नोटिस दी गई थी. नोटिस प्राप्त करने के बाद अवैध निर्माण उन लोगों ने स्वयं ही ध्वस्त कर दिया.
मुख्तार के हौसले पस्त
योगी सरकार ने मुख़्तार अंसारी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अवैध बूचड़ हाउस चलाने के मामले में 26 लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा. गैंगस्टर अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई करते हुए ढाई करोड़ रुपए की अवैध वार्षिक आय का स्रोत हमेशा के लिए बंद करा दिया. पार्किंग के ठेके की आड़ में अवैध वसूली की जा रही थी. 4 अभियोग पंजीकृत कर 13 लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया। मुख्तार गैंग के 7 सहयोगी ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की गई। मुख्तार की 75 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति को जब्त किया गया. 50 करोड़ रूपये से अधिक की अवैध वार्षिक आय को बंद कराया गया. मुख्तार गैंग के 100 से अधिक अपराधियों को जेल भेजा गया. 75 से अधिक शस्त्र लाइसेन्स निरस्त किए गए. लखनऊ में मुख़्तार अंसारी की दो इमारतों को ध्वस्त किया गया और उसके दोनों बेटों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. मुख्तार गैंग का 1 लाख रुपए का इनामी बदमाश हरिकेश यादव पुलिस मुठभेड़ में मारा गया. 25 हजार के इनाम वाले तीन अपराधी गिरफ्तार किए गए. शूटर बृजेश सोनकर को गिरफ्तार करके उसकी 60 लाख की संपत्ति को जब्त कर लिया गया. आजमगढ़ जनपद में मुख्तार अंसारी के तीन सहयोगियों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया। इन तीनों के कब्जे से 62 लाख रुपए की सरकारी जमीन को मुक्त कराया गया.
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