सावधान ! अब नहीं चलेगी मनमानी
May 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

सावधान ! अब नहीं चलेगी मनमानी

by WEB DESK
Feb 26, 2021, 06:07 pm IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

फिल्में और इनमें पाई जाने वाली सामग्री लोगों को प्रसन्नचित करने के लिए होती हैं न कि किसी को अपमानित करने के लिए। व्यंग्य तो व्यवस्था पर चोट करती है, किसी व्यक्ति या समूह की धार्मिक आस्था पर नहीं। लेकिन जब फिल्मों की आड़ में एजेंडा चलाया जाए, जब रचनात्मकता की आड़ में विचारधारा विशेष का पोषण होने लगे, जब अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में धार्मिक आस्थाओं पर चोट होने लगे, तो यह स्वाभाविक है कि समाज में उद्वेलन होगा। जब उद्वेलन होगा तो विरोध भी होगा, जब विरोध होगा तो कानून के दखल की अपेक्षा भी होगी। कानून का दखल होने पर संविधन सर्वोपरि होगा। भारत में भी अभिव्यक्ति की आजादी असीमित नहीं है। जो अनुच्छेद हमें अभिव्यक्ति की आजादी देता है, उसी संविधान में इस बात की भी व्याख्या है कि अभिव्यक्ति की आजादी की सीमाएं क्या हैं।

यह समझना आवश्यक है कि असहमति लोकतंत्र का हिस्सा है। अतः लोकतांत्रिक ढांचे के तहत असहमति के अधिकार को समस्याओं के समाधन के विकल्प के तौर पर एक व्यवहार्य माध्यम के रूप में देखा जाना चाहिए, लेकिन चूंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई भी स्वतंत्रता निरंकुश नहीं होती और एक की स्वतंत्रता दूसरे की स्वतंत्रता को रोकती है, तो असहमति के अधिकार की कुछ सीमाएं भी हैं।

तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो किसी भी अन्य मतों के मुकाबले हिंदू धर्म में बहस, आलोचना और शास्त्रार्थ करने की परंपरा रही है। मगर इसका दुरुपयोग कर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना अनुचित है।

पिछले कुछ वर्षों के दौरान अभिव्यक्ति के नए माध्यमों द्वारा, जिनमें इंटरनेट मीडिया और अलग-अलग ओटीटी प्लेटफार्म आदि शामिल हैं, ने मनोरंजन के नाम पर दिखाये जाने वाले कार्यक्रमों में रचनात्मक विधाओं से इतर गाली-गलौज, महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी और देश व समाज की विभिन्न विभूतियों पर छींटाकशी को एक तरह का फैशन बना दिया है। इसके दुष्परिणाम भी दिखने लगे हैं। सामान्य बातचीत में गालियों का चलन बढ़ रहा है। महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण खराब हो रहा है और यह सब सिर्फ इसलिए हो रहा है कि चर्चित हुआ जाए। दुर्भाग्य से समाज में इन सारी प्रवृत्तियों पर लगाम लगाने और विरोध करने की जगह तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग ने अलग रुख अख्तियार किया हुआ है। स्वयं को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के ध्वजवाहक बताते हुए उसने न सिर्फ इन मामलों को नजरअंदाज किया है, बल्कि कई जगहों पे इसे बढ़ावा देने जैसा कार्य भी किया है।

केंद सरकार की ओर से इंटरनेट मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्म के लिए जो दिशा-निर्देश कल जारी किए गए, वे कायदे से बहुत पहले बन जाने चाहिए थे। दिशा-निर्देश जारी करने के बाद अब यह सरकार को देखना होगा कि उनका सही तरीके से पालन हो। सरकार को इस तथ्य को लेकर भी सतर्क रहना होगा कि ओटीटी सहित हर तरह के डिजिटल प्लेटफार्म सरकार की ओर से जारी दिशा-निर्देशों की न तो मनमानी व्याख्या करने पाएं और न ही उससे बच निकलने के रास्ते तलाशने पाएं। अतीत के अनुभवों को देखते हुये यह मानने का कोई कारण नहीं कि ये प्लेटफार्म नियम-कानूनों के दायरे में रहकर काम करने के लिए आसानी से तैयार हों जाएंगे। आम तौर पर ऐसे प्लेटफार्म अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई देकर अपनी ही चलाते हैं, लेकिन पहली बात तो यह कि अभिव्यक्ति की आजादी असीम नहीं और दूसरे, इसे तय करने का अधिकार उन्हें नहीं दिया जा सकता, जो खुले तौर पर दोहरे मानदंड अपनाते हैं। भले ही ये विभिन्न प्लेटफार्म यह दावा करते हों कि वे फर्जी खबरों के खिलाफ सक्रिय रहते हैं, लेकिन हकीकत ठीक इसके उलट है। उनका यह दावा भी गलत ही है कि वे झूठ फैलाने और बैर बढ़ाने वाले तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं। सच यह है कि वे ऐसे तत्वों को संरक्षण देते हैं। अभी हाल में टृवीटर ने सरकार के निर्देश के बाद भी उनके खिलाफ कुछ नहीं किया, जो आपत्तिजनक हैशटैग का सहारा लेकर बेशर्मी के साथ लोगों को भड़काने में लगे हुए थे। इसके लिए अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ ली गई। इन प्लेटफार्म को इससे मलतब नहीं कि यह आजादी जिम्मेदारी की भी मांग करती है। यह जानना इनके लिए जरूरी है कि झूठ और अफवाह फैलाने का अधिकार किसी को नहीं दिया जा सकता। हम इस बात की अनदेखी नहीं कर सकते कि जैसे कदम भारत ने उठाए हैं, वैसे ही दुनिया के अन्य देशों ने भी उठाए हैं। अमरीका, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और सिंगापुर इसके उदाहरण है।

इंटरनेट मीडिया, डिजिटल न्यूज एवं ओवर द टाॅप;ओटीटी पर परोसे जा रहे कंटेंट पर नियंत्रण के लिए सरकार ने नए दिशा निर्देश जारी किये हैं। दिशा निर्देशों के तहत इन सभी प्लेटफार्म के असामाजिक व आपत्तिजनक कंटेंट पर लगाम लगेगी। सरकार ने इन प्लेटफार्म पर शिकायतों के निपटारे पर विशेष जोर दिया है। जब भी इन कंपनियों को सरकार किसी सामग्री को हटाने का निर्देश देगी तब इन्हें तय समय में उसका पालन करना होगा। नये दिशा निर्देश को सूचना प्रोद्यौगिकी इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड नियम 2021 का नाम दिया गया है। इसमें वह प्रावधन किया गया है कि इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म को खुराफाती पोस्ट को मूलरूप से शेयर करने वाले की जानकारी देनी होगी। अगर विदेश में उस कंटेंट को तैयार किया गया है, तो भारत में पहली बार उसे शेयर करने वाले के बारे में बताना होगा। नए नियमों में महिलाओं की अस्मिता का विशेष ख्याल रखा गया है। ऐसी किसी भी पोस्ट पर लगाम लगाने के निर्देश दिए गए हैं, जिसमें किसी की तस्वीर से छेड़छाड़ कर उसे आपत्तिजनक तरीके से दिखाया गया हो। ओटीटी को स्वनियामक के तहत काम करना होगा। जबकि डिजिटल न्यूज चलाने वाले को सेल्फ डिक्लेरेशन देना होगा, ताकि उनकी साइट पर चलने वाली गलत खबर पर रोक लगाई जा सके। दिशा निर्देश के गजट नोटिफिकेशन के तीन महीने में इंटरनेट मीडिया के लिए सरकार के इन निर्देशों का पालन अनिवार्य होगा।

सरकार का मकसद किसी भी तरह से अभिव्यक्ति की आजादी को खत्म करना नहीं है, लेकिन जरूरत पड़ने पर संविधान के अनुच्छेद 19: 2 के तहत यह आजादी तार्किक रूप से सीमित की जा सकती है। सरकार का यह मानना है कि भारत में इंटरनेट मीडिया के कारोबार से उसे कोई दिक्कत नहीं है। सरकार की आलोचना के लिए इनका इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन देश में उपद्रव फैलाने या देश की सुरक्षा व संप्रभुता को खतरे में डालने के लिए इनके बेजा इस्तेमाल को रोकना होगा। हाल ही में ट्विटर पर जिस तरह से फार्मर्स जीनोसाइड जैसे हैशटैग से ट्वीट चलने के बाद और इंटरनेट मीडिया के दोहरे मापदंड को देखते हुए इन पर लगाम लगाने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।

इन कानूनों की पृष्ठभूमि

— सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसम्बर, 2018 को प्रज्जवला केस में यह निर्णय दिया कि भारत सरकार बलात्कार, चाइल्ड पोर्नोग्राफी महिला अस्मिता से खिलवाड़ करने वाले वीडियो, चित्र आदि को प्रसारित करने वाले माध्यमों के नियमन हेतु आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर सकती है।

—24 सितम्बर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने उपरोक्त संदर्भ में सूचना मंत्रालय से इसके क्रियान्वयन के संदर्भ में हुई प्रगति के बारे में जानकारी मांगी।

— 26 अगस्त, 2018 को राज्यसभा में सोशल मीडिया के गलत संदर्भों में उपयोग को लेकर प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सरकार के इस विचार को रखा कि इस दिशा में सरकार मजबूत कानून बनाने पर विचार कर रही है। सरकार ने यह भी कहा कि इस नये कानून के तहत सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्म को कानून के जवाबदेह बनाया जायेगा।
 
नए नियम

इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म के लिए शिकायत मिलने के 24 घंटे में नग्नता, यौन गतिविधियों या छेड़छाड़ की गई तस्वीरों वाला कंटेंट हटाना होगा। अदालत या सरकार के आदेश के बाद ऐसी कोई जानकारी ये प्लेटफार्म पब्लिश नहीं कर सकेंगे, जिस पर भारत की संप्रभुता व लोक हित को देखते हुए रोक लगाई गई हो। कंपनियों को स्वैच्छिक तौर पर यूजर्स के वेरीफिकेशन का मैकेनिज्म तेयार करना होगा और साथ ही साथ वेरीफिकेशन के बाद यूजर के प्रोफाइल पर स्पष्ट निशान लगाया जाएगा। किसी भी तरह का पक्षपात नहीं होगा और किसी यूजर की ओर से पोस्ट किए गए कंटेंट को हटाने से पहले उसे अपनी बात रखने का पूरा मौका देना होगा।

ओटीटी प्लेटपफार्म के लिए

सेंसर बोर्ड की तरह ओटीटी को खुद ही संहिता तैयार करनी होगी, जिसका वे पालन करेंगे। ओटीटी पर चलने वाली मूवी को पांच आयु श्रेणियों में बांटा जाएगा। 13 साल से अधिक आयु श्रेणी वाली मूवी में ओटीअी प्लेटफार्म को पेरेंट लाॅक की सुविधा देनी होगी।

डिजिटल न्यूज साइट्स के लिए

डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म को अपने स्वामित्व से जुड़ी एवं साथ ही साथ अन्य सूचनाएं देनी होंगी। इन्हें प्रेस काउंसिल आफ इंडिया की ओर से निर्धारित पत्रकारिता की मर्यादाओं का ध्यान रखना होगा। प्लेटफार्म पर अफवाह या गलत खबर पर रोक लगाने के लिए तीन स्तरीय शिकायत निपटान मैकेनिज्म होगा। पहले स्तर पर प्रकाशक शिकायतों को सुनने व उस पर कार्रवाई के लिए अधिकारी नियुक्त करेगा। 15 दिनों में शिकायत का निपटान करना होगा। दूसरे स्तर पर प्रकाशक स्वनियामक समूह तैयार करेंगे। सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज उस समूह के प्रमुख होंगे। समूह में छह से अधिक सदस्य नहीं होंगे। यह समूह सूचना प्रसारण मंत्रालय से पंजीकृत होगा। तीसरे स्तर पर सूचना व प्रसारण मंत्रालय मैकेनिज्म तैयार करेगा। डिजिटल न्यूज को लेकर शिकायत सुनने का अंतर-विभागीय कमेटी गठित की जायेगी।

हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि व्यक्ति की अभिव्यक्ति की आजादी बहुसंख्यक लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का हनन नहीं कर सकती। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की नजीरों का हवाला देते हुए कहा कि फिल्म निर्माताओं-प्रकाशकों को लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। पश्चिमी देशों के फिल्म निर्माताओं का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि वे जीसस व मुहम्मद पर फिल्म नहीं बनाते, किंतु हिंदी फिल्में हिंदू देवी-देवताओं को लेकर बनायी जाती हैं। जो बहुसंख्यक समुदाय के मूल अधिकरों का सम्मान नहीं करते, वे अपने मूल अधिकारों की सुरक्षा की मांग नहीं कर सकते। अभिव्यक्ति की आजादी का सबसे अधिक महत्व है, लेकिन इसमें भी जिम्मेदारी और जवाबदेह निहित हैं। नए नियमों से स्व-नियमन को बढ़ावा मिलेगा। गलत सूचनाओं को रोकना भी बेहद जरूरी है।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

एआई से बनी फोटो (credit- grok)

पाकिस्तान: जहां बचपन से ही भरा जाता है बच्चों के दिमाग में हिंदुओं के प्रति जहर और वह भी किताबों के जरिये

Operation sindoor

भारत और पाकिस्तान के DGMO के बीच हुई वार्ता, जानें क्या रहे मुद्दे

प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन

“ऑपरेशन सिंदूर न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है”, राष्ट्र के नाम PM मोदी के संबोधन की मुख्य बातें

PM मोदी का कड़ा संदेश: आतंक के खिलाफ भारत की नीति ऑपरेशन सिंदूर, पानी और खून साथ नहीं बहेगा, Pak से बात होगी तो POK पर

Operation sindoor

‘I Love India’ राफेल पर फ्रांस की गूंज से थर्राया पाकिस्तान! ऑपरेशन सिंदूर को मिला अंतरराष्ट्रीय समर्थन

बांग्लादेशी मूल की अंबिया बानो ने काशी में सनातन धर्म स्वीकार किया

लंदन में पली-बढ़ी बांग्लादेशी मुस्लिम महिला ने काशी में अपनाया सनातन धर्म, गर्भ में मारी गई बेटी का किया पिंडदान

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

एआई से बनी फोटो (credit- grok)

पाकिस्तान: जहां बचपन से ही भरा जाता है बच्चों के दिमाग में हिंदुओं के प्रति जहर और वह भी किताबों के जरिये

Operation sindoor

भारत और पाकिस्तान के DGMO के बीच हुई वार्ता, जानें क्या रहे मुद्दे

प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन

“ऑपरेशन सिंदूर न्याय की अखंड प्रतिज्ञा है”, राष्ट्र के नाम PM मोदी के संबोधन की मुख्य बातें

PM मोदी का कड़ा संदेश: आतंक के खिलाफ भारत की नीति ऑपरेशन सिंदूर, पानी और खून साथ नहीं बहेगा, Pak से बात होगी तो POK पर

Operation sindoor

‘I Love India’ राफेल पर फ्रांस की गूंज से थर्राया पाकिस्तान! ऑपरेशन सिंदूर को मिला अंतरराष्ट्रीय समर्थन

बांग्लादेशी मूल की अंबिया बानो ने काशी में सनातन धर्म स्वीकार किया

लंदन में पली-बढ़ी बांग्लादेशी मुस्लिम महिला ने काशी में अपनाया सनातन धर्म, गर्भ में मारी गई बेटी का किया पिंडदान

प्रतीकात्मक तस्वीर

पाकिस्तान की हिरासत में भारतीय महिला पायलट का फर्जी वीडियो वायरल, ये है पूरी सच्चाई

ट्रोलर्स का घृणित कार्य, विदेश सचिव विक्रम मिस्री और उनके परिवार की कर रहे ट्रोलिंग, महिला आयोग ने की निंदा

Indian army press breafing

भारतीय सेना ने पाकिस्तान को दिखाया आईना, कहा- हम अगले मिशन के लिए हैं तैयार

प्रतीकात्मक तस्वीर

पकिस्तान का भारतीय एयरफील्ड तबाह करने का दावा भी निकला फर्जी, वीडियो का 5 सेकंड का एडिट हिस्सा सबूत के तौर पर दिखाया

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies