पाकिस्तान के ‘टेरर फंडिंग’ मामले में जहां ‘ग्रे’ से ‘ब्लैक’ लिस्ट में जाने का खतरा बढ़ा है, वहीं अब उसे एक और बड़ी चुनौती मिलने वाली है। उसके बड़े हिस्से में सूखे की मार का खतरा गहरा गया है। यानी कुछ समय के लिए एफएटीएफ की मार से बच भी जाए तो दूसरी मार से उसे कोई नहीं बचा सकता
पड़ोसी देश पाकिस्तान के भविष्य के फैसले को लेकर एफएटीएफ की तीन दिवसीय बैठक शुरू हो गई है। वहां से छन कर आ रही खबरें बताती हैं कि पाकिस्तान के लिए संकेत कुछ ठीक नहीं। एक गुट तो पाकिस्तान के प्रयासों से बिल्कुल ही निराश है। ऐसे में पाकिस्तान के ‘टेरर फंडिंग’ मामले में जहां ‘ग्रे’ से ‘ब्लैक’ लिस्ट में जाने का खतरा बढ़ा है, वहीं अब उसे एक और बड़ी चुनौती मिलने वाली हैं। उसके बड़े हिस्से में सूखे की मार का खतरा गहरा गया है। यानी कुछ समय के लिए एफएटीएफ की मार से बच भी जाए तो दूसरी मार से उसे कोई नहीं बचा सकता।
बहरहाल,फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ)की बैठक सोमवार को ही शुरू हो गई है, जिसमें पाकिस्तान के भविष्य का फैसला होना है। आतंकवादियों के वित्तीय पोषण मामले में पड़ोसी देश पर तलवार लटक रही है। अभी पाकिस्तान एफएटीएफ के ‘ग्रे लिस्ट’ में है। इससे बाहर आने के लिए उसे 40 बिंदुओं पर सुधारात्मक कदम उठाने होंगे, जो उसने अब तक नहीं किए हैं। एक अन्य मामले में उसे 27 बिंदुओं पर कार्रवाई करनी है, जिसमें उसके प्रयास नाकाफी हैं। ऐसे में उसका काली सूची में जाना तय माना जा रहा है। ऐसा हुआ तो उसपर पूर्ण आर्थिक प्रतिबंध लग जाएगा। विदेशों से मिलने वाली हर तरह की सहायता भी रोक दी जाएगी।
कोरोना ने भी पाकिस्तान का बहुत नुकसान किया है। बहुत दिनों तक लाॅकडाउन नहीं रहने के बावजूद उसकी आर्थिक दशा पूरी तरह पटरी से उतरी हुई है। कीमतें आसमान छू रही हैं। कोरोना भी अभी तक नियंत्रण में नहीं आया है। बिजली व्यवस्था का भी बुरा हाल है। अभी कुछ दिन पहले एक दिन तो पूरा पाकिस्तान ही अंधेरे में डूब गया था।
इस बीच पाकिस्तान में सूखा के विकराल रूप लेने की खबर आई है। सूखा और एफएटीएफ की मार एक साथ पड़ी तो पाकिस्तान का पूरी तरह दिवालिया ही पिट जाएगा। पाकिस्तान के मौसम विभाग (पीएमडी) के राष्ट्रीय सूखा निगरानी केंद्र ने चेतावनी दी है कि इन दिनों सिंध और बलूचिस्तान में सूखा और बढ़ सकता है। रबी फसलों के लिए सिंचाई के पानी की सीमित आपूर्ति के कारण खेती योग्य भूमि में पानी की कमी हो गई है।
केंद्र द्वारा गुरुवार को जारी एक एडवाइजरी के अनुसार, देश में अक्टूबर, 2020 से जनवरी 2021 तक औसत से कम बारिश के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। मुख्य रूप से बलूचिस्तान (-73.2 प्रतिशत) और सिंध (-70.2) में कम बारिश हुई है।
समाचार पत्र डॉन की मानें तो बलूचिस्तान के अधिकांश मध्य और दक्षिणी जिले सूखे का सामना कर रहे हैं। उन जिलों में चगई, ग्वादर, हरनई, केच, खारन, मस्तुंग, नुश्की, पिशिन, पंजगुर, कलात, क्वेटा और वाशुक शामिल हैं। एडवाइजरी में कहा गया, ‘‘इन क्षेत्रों के लिए पीएमडी के मौसम विज्ञान और वर्तमान मौसमी पूवार्नुमान को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि सूखे से हालात और बिगड़ सकते हैं। यह कृषि व मवेशियों को प्रभावित कर सकता है।
पश्चिम से दक्षिण-पश्चिम बलूचिस्तान में अधिकांश जिले सर्दियों की बारिश पर निर्भर हैं, जबकि बारिश मात्र 71 मिमी और 231 मिमी के बीच हुई। सिंध सूबे के दक्षिण-पूर्वी हिस्सों में सूखे के हालात हैं। मौसम विभाग के अधिकारी सरदार सरफराज ने कहा कि हालांकि यह चिंताजनक स्थिति नहीं है, एडवाइजरी जल प्रबंधन और कृषि से संबंधित हितधारकों के लिए है।
इससे उन्हें एहतियाती कदम उठाने में मदद मिलेगी। बावजूद सरकारी दलीलों के पाकिस्तान को आने वाले समय में भारी आर्थिक चपत लगने का खतरा बढ़ गया है।
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