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खेती-किसानी अब बिना परेशानी

by WEB DESK
Feb 8, 2021, 07:59 am IST
in भारत
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इस वर्ष के बजट में सरकार ने कृषि, सिंचाई और ग्रामीण विकास के लिए 16 सूत्री कार्य योजना की घोषणा की है। इसका मुख्य उद्देश्य 2022 तक किसानों की आय को दुगुनी करना तथा उनकी समृद्धि का मार्ग सुगम बनाना है। आवासीय संपत्ति पर मालिकाना हक दिलाने के लिए ‘स्वामित्व योजना’ भी चलाई जा रही

आम बजट में आत्मनिर्भरता का ध्येय निहित है। इस बार के बजट में कोरोना महामारी के बाद किसानों के विकास और उनकी आय को दुगुनी करने की दिशा में समुचित कदम उठाए गए हैं। दिल्ली की सीमाओं पर बीते दो माह से भी अधिक समय से जारी किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र और किसानों के लिए जो महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं, वे निस्संदेह किसानों के बीच फैले असंतोष को खत्म करने में कारगर साबित होंगी।

वित्त वर्ष 2021-22 के लिए केंद्रीय बजट में कृषि ऋण के लक्ष्य को बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। इस बार बजट में किसानों को 16.5 लाख करोड़ रुपये कृषि ऋण उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। पिछली बार यह लक्ष्य 15 लाख करोड़ रुपये था। साथ ही, किसानों को 75,000 करोड़ रुपये अधिक दिए गए हैं। इसी तरह, किसानों को सभी फसलों पर उत्पादन लागत की कम से कम 1.5 गुना अधिक एमएसपी दी जा रही है। किसानों को किए जाने वाले भुगतान में भी तेजी आई है। निश्चित ही सरकार के इन प्रयासों से किसानों की स्थिति मजबूत होगी। वित्त वर्ष 2013-14 में गेहूं का भुगतान 33,874 करोड़ रुपये किया गया, जो 2019-20 में बढ़कर 62,802 करोड़ हो गया था। वर्तमान में 2020-21 में 75,060 करोड़ रुपये भुगतान किए जाने का प्रावधान है, जो बीते वर्ष के मुकाबले 20 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2013-14 में दालों का भुगतान 236 करोड़ रुपये था जो 2019-20 में बढ़कर 8,285 करोड़ हो गया। वर्तमान में 2020-21 में 10,530 करोड़ रुपये भुगतान किए जाने का प्रावधान है, जो पिछले वित्तीय वर्षों के मुकाबले 40 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह, 2013-14 में धान के लिए 63,928 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया जो 2019-20 में बढ़कर 1,41,930 करोड़ रुपये हो गया। वर्तमान में 1,72,752 करोड़ रुपये भुगतान किए जाने का प्रावधान है। यह पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले 20 प्रतिशत अधिक है। इसके अलावा, सरकार कृषि उत्पादों के निर्यात में 22 अन्य उत्पादों को भी शामिल करेगी।

इस बार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में एमएसपी पर खरीद जारी रखने का आश्वासन देकर किसानों में फैली भ्रांति को दूर करने का सार्थक प्रयास किया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि एमएसपी पर कानून बनाने और तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे किसान सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों को देखते हुए अपना आंदोलन खत्म कर देंगे। मोदी सरकार 2022 तक किसानों की आय को दुगुनी करने के अपने लक्ष्य पर कायम है, जिसकी झलक इस बार के बजट में साफ दिखती है। इस बजट में सरकार ने कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए एक विशेष योजना की घोषणा की है। आगामी वित्तीय वर्ष में सरकार कपास किसानों को मिलने वाली राशि में इजाफा कर सकती है। वित्त मंत्री ने धान की खेती करने वाले किसानों को 1.7 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करने की घोषणा की है। इसी तरह, सरकार ने दलहन की खेती करने वाले किसानों के लिए एक बड़ी घोषणा की है। वित्त मंत्री ने कहा है कि आने वाले समय में दलहन की खरीद में 40 प्रतिशत तक की बढ़त देखने को मिलेगी।
इसी तरह, पिछले साल ‘स्वामित्व योजना’ शुरू की गई थी। यह ग्रामीणों को अपनी आवासीय संपत्ति का मालिकाना हक दिलाने में मदद करती है। इसके तहत अभी तक 1.8 लाख किसानों को कार्ड बांटे गए हैं। यह एक पायलट परियोजना है, जिसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में लागू किया गया है। इस साल सभी राज्यों को इसके दायरे में लाया जाएगा। इसके तहत मार्च 2024 तक पूरे देश के 6.2 लाख गांवों को इस योजना में शामिल करने का लक्ष्य है। इससे एक ओर जहां सटीक भूमि रिकॉर्ड से संपत्ति संबंधी विवादों को कम किया जा सकेगा, वहीं वित्तीय तरलता को भी बढ़ावा मिलेगा। इतना ही नहीं, सरकार एपीएमसी मंडियों को आधारभूत सुविधाएं प्रदान करने का प्रयास करेगी। आगामी वित्तीय वर्ष में 1,000 मंडियों को राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक मार्केट के साथ एकीकृत किया जाएगा। 

वित्त मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार की ओर से कृषि विकास योजना को लागू किया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत करोड़ों किसानों को फायदा पहुंचाया जा चुका है। सरकार ने 2022 तक किसानों की आय को दुगुना करने के लिए बजट में एक 16 सूत्री कार्य योजना की घोषणा की है। इन 16 योजनाओं के लिए 2.83 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। किसानों के प्रति मोदी सरकार की उदारता न केवल अन्नदाताओं के असंतोष को दूर करेगी, बल्कि उन्हें समृद्ध भी बनाएगी। यह है 16 सूत्री कार्य योजना-

राज्य सरकारों द्वारा आधुनिक कृषि भूमि कानून लागू कराया जाएगा और उन राज्यों को प्रोत्साहित किया जाएगा जो केंद्र के मॉडल कानून को मानेंगे।
प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत किसानों के पंपों को सौर पंप से जोड़ा जाएगा। इससे 20 लाख किसान लाभान्वित होंगे। साथ ही, 15 लाख किसानों के पंपों को ‘ग्रिड कनेक्टेड पंपसेट’ से जोड़ा जाएगा। बंजर भूमि पर सौर पंप भी लगाए जाएंगे।
किसानों के लिए विशेष रेलें चलाई जाएंगी।
देश में 162 मिलियन टन अनाज भंडारण की क्षमता है। ग्राम भंडारण योजना के तहत ब्लॉक-तालुका स्तर पर नए भंडारगृह बनाए जाएंगे। इसके लिए राज्य सरकारें जमीन दे सकती हैं तथा एफसीआई अपनी जमीन पर भी भंडारगृह बना सकता है। नाबार्ड की सहायता से भंडारगृहों की जियोटैगिंग की जाएगी।
महिला स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा दिया जाएगा। धन लक्ष्मी से आगे धान्य लक्ष्मी बनाने की शुरुआत होगी। इसके तहत बीज से जुड़ी योजनाओं में महिलाओं को मुख्य रूप से जोड़ा जाएगा। 
दूध, मांस, मछली सहित तमाम चीजों को खराब होने से बचाने के लिए रेफ्रिजेरेश रिंगऔर इसके लिए सरकार किसान रेल चलाएगी।
नीली अर्थव्यवस्था के तहत 2022-23 तक मछली उत्पादन को 200 मिलियन टन करने का लक्ष्य है। 2024-25 तक मछली निर्यात एक लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सके, इसके लिए 3,077 सागर मित्र बनाए जाएंगे, जिससे तटवर्ती इलाकों के युवाओं को रोजगार मिलेगा।
6.11 करोड़ किसानों को बीमा योजना का लाभ मिलेगा।
उर्वरक के संतुलित इस्तेमाल को बढावा दिया जाएगा। 
कृषि उड़ान योजना शुरू की जाएगी। राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर इसकी शुरुआत होगी।
हॉर्टीकल्चर को बढ़ावा देने के लिए ‘एक उत्पाद, एक जिला’ योजना के तहत जिलों में एक उत्पाद पर जोर दिया जाएगा।
2025 तक दूध उत्पादन दुगुना करने के लिए योजना चलाई जाएगी। दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता 108 मिलियन टन करने का लक्ष्य।
किसान के्रडिट कार्ड योजना को 2021 तक बढ़ाया जाएगा। किसानों को कर्ज देने के लिए 15 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे। दीन दयाल योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली मदद बढ़ाई जाएगी।
इंटिग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम के जरिए जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। पोर्टल, आॅनलाइन बाजार को मजबूत बनाया जाएगा। चारागाहों को मनरेगा से जोड़ा जाएगा।
मवेशियों के खुर एवं मुंह में होने वाली बीमारी, ब्रूसेलोसिस और भेड़-बकरियों में होने वाली पीपीआर को 2025 तक समाप्त किया जाएगा।
दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत गरीबी उन्मूलन के लिए 58 लाख एसएचजी बनाए गए तथा 0.5 करोड़ परिवारों को इससे जोड़ा गया।

इस आम बजट के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि एमएसपी निरंतर बढ़ती रहेगी और किसानों की जमीन, जो उनका आत्मसम्मान होती है, वह किसानों की ही रहेगी। केंद्र सरकार द्वारा पारित तीनों कृषि कानून न केवल किसानों को मजबूत और सशक्त बनाएंगे, बल्कि किसानों और व्यापारियों के लिए एक समान व मुक्त तंत्र का निर्माण करेंगे। यह आम बजट किसानों में फैलाए गए इस भ्रम को दूर करता है कि सरकार की नीति किसान विरोधी है। उम्मीद है कि इस बजट से मोदी सरकार के प्रति किसानों का विश्वास और अधिक मजबूत होगा। यही नहीं, जिस तरह विपक्षी दल कृषि कानूनों के मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं, उनके प्रयास भी निरर्थक साबित होंगे और किसानों के बीच उनका षड्यंत्र उजागर होगा।
(लेखक सांसद और भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं)

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