वैसे तो पूज्य देवरहा बाबा किसी भी कार्यक्रम में नहीं जाते थे, लेकिन प्रयागराज कुम्भ में आयोजित धर्म संसद में उपस्थित रह कर उन्होंने आशीर्वाद दिया और इसी धर्म संसद में उनकी उपस्थिति में ही प्रत्येक मंदिर और प्रत्येक ग्राम में श्रीराम मंदिर निर्माण हेतु शिलापूजन के कार्यक्रम की घोषणा हुई
श्रीराम जन्मभूमि का आन्दोलन संतों के नेतृत्व और मार्गदर्शन में चला। श्री अशोक सिंहल जी का संतों के प्रति विशेष श्रद्धा एवं आदर का भाव था। वे देश के सर्वोच्च संतों का सानिध्य, आशीर्वाद और मार्गदर्शन सदैव प्राप्त करते रहते थे। पूज्य देवरहा बाबा के प्रति उनके मन में असीम श्रद्धा एवं भक्ति का भाव था। वे सदैव देवरहा बाबा के सान्निध्य में मार्गदर्शन के लिए जाया करते थे। पूज्य देवरहा बाबा ने एक पत्रकार से कहा था,‘‘विश्व हिन्दू परिषद् जो काम कर रही है वह हमारी आज्ञा से कर रही है। उसमें किसी प्रकार का विघ्न नहीं है। मंदिर कायदा यानी कानूनी प्रक्रिया द्वारा सबके सहयोग से बनेगा। यह राष्ट्र पहले से ही हिन्दू राष्ट्र है। यहां राम-कृष्ण का अवतार हुआ। हिन्दू सबसे प्रेम करता है। विश्व कल्याण के लिए श्रीरामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण होगा। इसमें कोई विघ्न नहीं डाल सकता, यह हमारा आशीर्वाद है।’’
अशोक सिंहल जी से देवरहा बाबा पहले ही बता चुके थे कि विवादित ढांचा सुरक्षा कर्मियों की उपस्थिति में ध्वस्त हो जायेगा और उसका एक-एक टुकड़ा राम भक्त उठाकर ले जाएंगे। देवरहा बाबा सदैव लकड़ी के ऊंचे मचान पर रहते थे। वे किसी कार्यक्रम में कहीं जाते नहीं थे, लेकिन विश्व हिन्दू परिषद् द्वारा सन 1989 के प्रयागराज कुम्भ में आयोजित धर्म संसद में उपस्थित रह कर उन्होंने आशीर्वाद दिया और इसी धर्म संसद में उनकी उपस्थिति में ही प्रत्येक मंदिर और प्रत्येक ग्राम में श्रीराम मंदिर निर्माण हेतु शिलापूजन के कार्यक्रम की घोषणा हुई। 6 नवम्बर, 1989 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी बाबा से मिलने गोरखपुर गए। उस समय श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के शिलान्यास की घोषणा हो चुकी थी। कहा जाता है कि बाबा ने राजीव गांधी से कहा,‘‘बच्चा! हो जाने दो।’’ यह बताया जाता है कि श्रीराम जन्मभूमि स्थान पर लगे ताले को खोलने का आदेश देनेवाले जज जब निर्णय सुरक्षित कर अपने आवास पर गए और चाय पीने के लिए कप उठा रहे थे तब उन्हें यह शब्द सुनाई दिया,‘‘बच्चा! हिम्मत करो, अब नहीं करोगे तो कब करोगे?’’
ऐसी आवाज उन्हें तीन बार सुनाई दी। ताला खुलने के बाद जब उनकी देवरहा बाबा से पहली बार भेट हुईं तब उन्होंने देखते ही प्रश्न किया बच्चा! हिम्मत क्यों नहीं कर रहा था? उन्हें तुरंत ध्यान आया यही ध्वनि उन्हें ताला खोलने वाले दिन सुनाई पड़ी थी। श्रीराम मंदिर के सम्बन्ध में पूज्य देवरहा बाबा ने जो भविष्यवाणियां कीं वे अक्षरश: सिद्ध हुईं।
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