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…ये मेरे लिए उचित नहीं : CJI गवई ने जस्टिस वर्मा मामले से खुद को किया अलग, जानिए अब आगे क्या होगा..?

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में उस रिपोर्ट को चुनौती दी है जिसमें उन्हें नकदी मामले में दोषी बताया गया है। सुनवाई से CJI गवई ने खुद को किया अलग, जानिए इसके पीछे की वजह...

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SHIVAM DIXIT

नई दिल्ली । इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका पर शीघ्र सुनवाई की अपील की है। बता दें कि जस्टिस यशवंत वर्मा द्वारा इन-हाउस जांच कमेटी की उस रिपोर्ट को रद्द करने के लिए याचिका दायर की गई है, जिसमें उन्हें नकदी कांड में गलत आचरण का दोषी ठहराया गया है।

वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में यह मामला उठाया और चीफ जस्टिस बी. आर. गवई से अनुरोध किया कि इस याचिका को जल्द से जल्द सूचीबद्ध किया जाए, क्योंकि इसमें कुछ महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रश्न उठाए गए हैं।

जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए CJI गवई ने कहा, “मुझे एक नई बेंच गठित करनी होगी।”

CJI गवई ने खुद को किया अलग 

वहीं इस याचिका पर सुनवाई करने से पहले मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई ने खुद को अलग कर लिया है। इसके पीछे का कारन बताते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि वह जस्टिस वर्मा से संबंधित विवाद पर पहले बातचीत का हिस्सा रहे हैं, इसलिए नैतिक कारणों से वह इस मामले की सुनवाई नहीं करेंगे।

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हालांकि CJI ने स्पष्ट किया कि न्यायालय इस पर निर्णय लेगा और एक उपयुक्त पीठ (Bench) इस याचिका पर सुनवाई करेगी।

सुप्रीम कोर्ट में महाभियोग की सिफारिश को चुनौती

अपनी याचिका में जस्टिस वर्मा ने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजय खन्ना की 8 मई 2025 की उस सिफारिश को रद्द करने की मांग की है, जिसमें संसद से उनके खिलाफ महाभियोग (Impeachment) की कार्रवाई शुरू करने की सिफारिश की गई थी। यह सिफारिश उस इन-हाउस जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी, जिसने जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया था। यह जांच पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता में की गई थी।

भारी नकदी और गंभीर आरोप : 10 दिन, 55 गवाह और निरिक्षण से पूरी हुई जांच

14 मार्च की रात 11:35 बजे जस्टिस वर्मा के दिल्ली हाई कोर्ट में पोस्टिंग के दौरान उनके सरकारी आवास पर आग लगी थी। इस दौरान उनके घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद की गई थी। इसके बाद इस मामले को लेकर एक जांच समिति गठित की गई। कमेटी ने 10 दिनों तक इस प्रकरण की जांच की, जिसमें 55 गवाहों से पूछताछ की गई और उस सरकारी आवास में उस स्थल का निरीक्षण किया गया जहाँ आग लगी और जहां से नगदी बरामद हुई। जिसके बाद जांच समिति ने गंभीर आरोप लगाए और कहा कि जस्टिस वर्मा का आचरण संदिग्ध था।

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जांच समिति की इस रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस वर्मा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई तथा महाभियोग की सिफारिश की गई।

सुप्रीम कोर्ट में बेगुनाही की जंग

बताते चलें कि जस्टिस वर्मा फिलहाल इलाहाबाद हाई कोर्ट में पदस्थ हैं और इस मामले में खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं। इसी के चलते जस्टिस वर्मा ने अपनी याचिका में न केवल जांच प्रक्रिया, बल्कि उसके परिणामों और सिफारिशों को भी चुनौती दी गई है।

 

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