ITR Filing Last date
ITR Filing Last Date: इस बार सरकार ने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी है। इसका मतलब है कि टैक्सपेयर्स के पास अब अपने सालाना आयकर रिटर्न को दाखिल करने के लिए ज्यादा समय है। लेकिन फिर भी, बेहतर होगा कि आप देर न करें और जल्द से जल्द अपना ITR फाइल कर दें। क्योंकि अगर कोई भी व्यक्ति 15 सितंबर के बाद ITR फाइल करता है, तो उसे भारी जुर्माना देना पड़ सकता है और इससे कई तरह की समस्याएँ भी हो सकती हैं।
देर से ITR फाइल करने के नुकसान- अगर आप तय तारीख के बाद ITR फाइल करते हैं, तो आपको जुर्माना देना पड़ सकता है। जुर्माने की रकम आपकी आय के आधार पर अलग-अलग होती है- अगर आपकी आय 5 लाख रुपये से कम है, तो आपको 1,000 रुपये का जुर्माना देना होगा। अगर आपकी आय 5 लाख रुपये से ज्यादा है, तो जुर्माना 5,000 रुपये तक हो सकता है। इसके अलावा, अगर आपका टैक्स बकाया रह जाता है, तो उस बकाया राशि पर हर महीने 1% का ब्याज भी आपको देना पड़ सकता है। फाइनेंशियल हिस्ट्री पर प्रभाव: अगर आप देर से रिटर्न फाइल करते हैं, तो आपकी फाइनेंशियल हिस्ट्री खराब हो सकती है। इससे बैंक या वित्तीय संस्थान आपकी क्रेडिट हिस्ट्री को सही नहीं मानेंगे। फाइनेंशियल हिस्ट्री खराब होने के कारण आपको लोन लेने में मुश्किल हो सकती है। बैंक आपको लोन देने में हिचकिचा सकते हैं या आपको ज्यादा ब्याज दर पर लोन देना पड़ सकता है।अगर आपने टैक्स ज्यादा दिया है और रिफंड क्लेम करना है, तो देर से फाइल करने पर रिफंड मिलने में देर हो सकती है। विदेश जाने के लिए अगर आपको वीजा बनवाना है तो भी आपका ITR फाइल होना जरूरी होता है। देर से फाइल करने पर वीजा मिलने में भी समस्या हो सकती है।
सही फॉर्म चुनना कितना जरूरी है- ITR फाइल करते वक्त सबसे पहले सही फॉर्म का चुनाव करना बहुत जरूरी होता है। अभी भारत में कुल चार तरह के ITR फॉर्म उपलब्ध हैं- ITR-1 (सैलरी और पेंशन वालों के लिए)- अगर आपकी आय केवल वेतन, पेंशन, बैंक ब्याज या घर के किराए से हो तो यह फॉर्म सही रहेगा। ITR-2 (सैलरी के साथ अन्य स्रोत वाली आय वाले)- अगर आपकी आय वेतन के अलावा शेयर बाजार से, प्रॉपर्टी से या कैपिटल गेन्स से भी हो तो यह फॉर्म भरें। ITR-3 (व्यवसायी या प्रोफेशनल के लिए)- अगर आप कोई व्यापार करते हैं या पेशे से जुड़े हैं तो यह फॉर्म भरना होगा। ITR-4 (साधारण व्यवसाय या फॉर्म 44AD के तहत टैक्सपेयर के लिए)- जो लोग साधारण व्यवसाय करते हैं और कैश बुक के जरिए टैक्स फाइल करना चाहते हैं, उनके लिए यह फॉर्म उपयुक्त है। आपके लिए सबसे उपयुक्त फॉर्म कौन सा है, यह समझने के लिए अपनी आय के स्रोत और प्रकार को ध्यान से देखें। गलत फॉर्म भरने पर आपका रिटर्न अस्वीकृत भी हो सकता है।
ओल्ड टैक्स रेजीम या नई टैक्स रेजीम क्या चुनें- (ओल्ड टैक्स रेजीम)- इसमें आप कई तरह की टैक्स छूट और डिडक्शंस का फायदा उठा सकते हैं। जैसे कि सेक्शन 80C, 80D, और होम लोन के ब्याज पर छूट आदि। अगर आपके पास निवेश या खर्च के जरिए छूट लेने का ज्यादा अवसर है, तो यह विकल्प आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
नई टैक्स रेजीम- इसमें टैक्स दरें थोड़ी कम हैं, लेकिन इसमें छूट और डिडक्शंस कम हैं या बिल्कुल नहीं हैं। अगर आप बिना किसी डिडक्शन के सीधे टैक्स देना चाहते हैं, तो यह विकल्प सही रहेगा।
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ई-वेरिफिकेशन जरूरी- ITR फाइल करने के बाद सबसे जरूरी काम होता है उसकी ई-वेरिफिकेशन करना। ई-वेरिफिकेशन के बिना आपका रिटर्न पूरी तरह से स्वीकार नहीं होता। आप यह काम ऑनलाइन कर सकते हैं, जैसे कि आधार OTP के जरिए, नेट बैंकिंग से, या डाक के जरिए भी कर सकते हैं। अगर आप ई-वेरिफिकेशन नहीं कराते, तो आपका रिटर्न प्रोसेसिंग में दिक्कत आएगी और आपका रिफंड भी समय पर नहीं मिलेगा। इसलिए इसे जरूर पूरा करें।
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