MiG-21 Fighter Jets: पाकिस्तान की वायु सेना के छक्के छुड़ाने वाला लड़ाकू विमान मिग-21 औपचारिक तौर पर 19 सितंबर को भारतीय वायु सेना से विदा हो जाएगा। भारत के इस सबसे पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमान ने 1963 से अब तक कई प्रमुख लड़ाइयों में अहम भूमिका निभाई है। मिग-21 लड़ाकू विमान को 1963 में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था। 1960 और 70 के दशक में इस लड़ाकू विमान ने तकनीकी रूप से बढ़त हासिल की थी। जब तक सुखोई-30 विमान नहीं आया तब तक यह विमान भारतीय वायुसेना के लिए सबसे अहम रहा। 1970 से लेकर 2000 के दशक तक इस लड़ाकू विमान का बोलबाला रहा। इस लड़ाकू विमान के सम्मान में चंडीगढ़ एयरबेस पर विदाई समारोह का आयोजन किया जाएगा। एलसीए मार्क 1ए विमान भारतीय वायु सेना में मिग-21 विमानों की जगह लेगा। आइए इस विमान की खासियतों के बारे में जानते हैं.
1-मिग-21 लड़ाकू विमान हवा से जमीन पर मार करने वाले सभी हथियार ले जाने में सक्षम है।
2- यह लड़ाकू विमान सभी मौसमों में काम कर सकता है।
3-यह भी कहा जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी अंतिम सक्रिय मिग 21 अलर्ट पर था।
4-2019 के बालाकोट हवाई हमलों में भी मिग 21 लड़ाकू विमान ने अहम भूमिका निभाई थी।
5-मिग 21 विमान ने 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान को चारों खाने चित कर दिया था।
6-1971 में चले बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भी इस विमान ने अहम भूमिका निभाई थी।
7-1999 के कारगिल युद्ध में भी मिग 21 लड़ाकू विमान वरदान साबित हुआ था।
8-मिग 21 ने 1971 के पाकिस्तान के साथ युद्ध में पाकिस्तानी ठिकानों पर 500 किलोग्राम बम गिराए थे।
9-1971 के युद्ध में मिग-21 और पाकिस्तान के F-104A के बीच पहली मुठभेड़ भी हुई थी।
10-उस वक्त मिग 21 लड़ाकू विमान ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे।
11- इस विमान को भारत ने रूस से खरीदा था। इसकी कीमत करीब पौन दो सौ करोड़ थी।
12- रूस से भारत को 874 मिग-21 लड़ाकू विमान मिले थे। जिनमें से 600 का निर्माण भारत में ही हुआ था।
13-मिग-21 मौजूदा समय में पैंथर्स 23 स्क्वाड्रन का हिस्सा है।
14-इस विमान का संचालन करने वाली स्क्वाड्रनें वर्तमान में राजस्थान के नाल एयरबेस पर हैं।15-लड़ाकू विमान के सम्मान में चंडीगढ़ एयरबेस पर विदाई समारोह का आयोजन किया जाएगा।
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