महासागरीय जीवन के अद्भुत जीवों व्हेल और डॉल्फिन के संरक्षण की आवश्यकता पर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 23 जुलाई को ‘विश्व व्हेल और डॉल्फिन दिवस’ मनाया जाता है। इस वर्ष यह दिवस ‘प्रकृति के प्रहरी: जल जीवन के संवर्द्धन में व्हेल और डॉल्फिन की भूमिका’ विषय के तहत मनाया जा रहा है, जिससे संदेश मिलता है कि समुद्र की सेहत और संतुलन के लिए ये जीव कितने जरूरी हैं।
व्हेल को ‘महासागर के बहुभाषी’ कहा जाता है क्योंकि इतने विशाल आकार के बावजूद उनकी संवाद प्रणाली बेहद अनूठी है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि व्हेल की हर प्रजाति ही नहीं बल्कि हर अलग-अलग समूह की अपनी विशेष बोली या संवाद शैली होती है, जिसे ‘डायलैक्ट’ कहा जाता है। खासकर ऑर्का (हत्यारे व्हेल) की हर फैमिली समूह की अपनी विशिष्ट आवाज और तरीके होते हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते हैं। इनकी संवाद प्रणाली में तरह-तरह की क्लिक, सीटी और पल्सिंग कॉल होते हैं, जिनके जरिये ये एक-दूसरे से संवाद, नेविगेशन, भोजन खोजने और सामाजिक जुड़ाव जैसे काम करते हैं यानी उनके लिए ये केवल आवाज नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर हैं, जो उनके परिवारों के बीच बड़े गर्व के साथ आगे बढ़ती रहती हैं।
व्हेल की उम्र भी एक बड़ा रहस्य है। बौहेड व्हेल जैसी प्रजातियां 200 साल या इससे अधिक जीवित रह सकती हैं। इतने लंबे जीवन का कारण इनके शरीर की विशेष अनुकूलन क्षमता है, जैसे डीएनए की मरम्मत की दक्षता और उम्रजनित बीमारियों से रक्षा। इतने वर्षों में ये विशालकाय जीव समुद्रों में होने वाले अनेक बदलावों की साक्षी बनती हैं। ये जीवन के लिए, अनुकूलन के लिए और बदलावों का सामना करने की शक्ति के लिए एक प्रेरणा हैं।
इनका विशाल आकार भी कई बार चौंकाता है। उदाहरण के लिए ब्लू व्हेल का दिल एक छोटी कार जितना बड़ा होता है और उसकी धड़कन समुद्र के भीतर दो मील तक सुनी जा सकती है। जब वे गोता लगाती हैं तो उनका दिल बेहद कम गति से धड़कता है ताकि शरीर में ऑक्सीजन की खपत कम हो जाए और जब ये सतह पर आती हैं तो दिल की धड़कन फिर तेजी से बढ़ती है। यह उनके शरीर की अनोखी अनुकूलन क्षमता दिखाता है।
व्हेल समुद्र के सबसे बड़े यात्री माने जाते हैं। हंपबैक व्हेल जैसी प्रजातियां हर साल ध्रुवीय इलाकों के शिकार स्थलों से लेकर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के प्रजनन स्थलों तक हजारों मील का प्रवास तय करती हैं। ये अपने भीतर छिपी नेविगेशन कला, सूर्य-तारों के संकेत और जलवायु के बदलावों को महसूस करके सफर पूरा करती हैं। इस लंबी यात्रा के दौरान उन्हें भोजन की तलाश, शिकारी जीवों से सुरक्षा और इंसानी दखल का भी सामना करना पड़ता है, बावजूद इसके ये अपनी प्राचीन यात्रा-पथ को निभाती रहती हैं।
व्हेल को समुद्र का संगीतकार भी कहा जाता है। हंपबैक व्हेल अपने जटिल और रचनात्मक गीतों के लिए प्रसिद्ध हैं, जो 20 मिनट तक चल सकते हैं और घंटों दोहराए जाते हैं। इन गीतों का उपयोग साथी को आकर्षित करने या क्षेत्र की घोषणा के लिए किया जाता है। इन गीतों की सुंदरता और जटिलता इंसानी संगीत के जैसी है। ऐसा देखा गया है कि हर साल उनकी धुनों में हल्का-फुल्का बदलाव आता है यानी नए सदस्य पुराने सदस्यों से सीखकर गीतों में नए पैटर्न जोड़ते हैं, जो सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसा ही है।
यदि डॉल्फिन की बात करें तो इन्हें समुद्र के सबसे बुद्धिमान जीवों में गिना जाता है। डॉल्फिन का मस्तिष्क शरीर के हिसाब से बड़ा और जटिल होता है, जिससे वे कई कठिन पहेलियां हल कर सकती हैं, खुद को शीशे में पहचान सकती हैं और अमूर्त चीजें भी समझ सकती हैं। वैज्ञानिकों के शोध अनुसार उनकी समझदारी बंदरों की तरह होती है, जो अद्भुत है। डॉल्फिन अपने समूह में बेहद मजबूत सामाजिक बंधन बनाती हैं, साथ मिलकर शिकार करती हैं, एक-दूसरे की मदद करती हैं, घायल या बीमार साथियों का ध्यान रखती हैं और कई बार जरूरत पड़ने पर इंसानों के लिए भी मददगार बन जाती हैं। इनका सामाजिक ढ़ांचा और भावनात्मक बुद्धिमत्ता भी किसी समाज से कम नहीं है।
डॉल्फिन की बुद्धिमत्ता केवल संवाद और सामाजिक व्यवस्था तक सीमित नहीं है। वे औजार प्रयोग करने वाली चुनिंदा प्रजातियों में हैं। कुछ डॉल्फिन्स, खासकर मादा बॉटलनोज डॉल्फिन, शिकार के दौरान अपने थूथन को समुद्री स्पॉन्ज से ढ़कती हैं। ‘स्पॉन्जिंग’ नामक यह व्यवहार मां-बेटी के बीच पीढ़ियों से चलता आ रहा है, जो साबित करता है कि डॉल्फिन्स में भी संस्कृति जैसी चीजें हैं।
इंसानों की तरह व्हेल्स और डॉल्फिन दोनों के शरीर में नाभि (बेली बटन) भी होती है, जो उनके मां के पेट से जुड़े होने की याद दिलाता है। यह छोटा-सा निशान हमें बताता है कि समुद्री जीवन और जमीन के स्तनधारियों में गहरा रिश्ता है। डॉल्फिन का सोने का तरीका तो और भी रोचक है। वे एक बार में अपने मस्तिष्क के आधे हिस्से को सुलाती हैं, जिससे दूसरी आंख खुली रहती है, इससे वे न केवल सतह पर सांस लेने के लिए सजग रहती हैं बल्कि अपने परिवेश और शिकारी जीवों से भी सतर्क रहती हैं। यह अनूठा तंत्र उन्हें सोते वक्त भी सुरक्षित रखता है।
डॉल्फिन्स को अद्भुत उपचार शक्ति से भी नवाजा गया है। वे गंभीर चोट से भी जल्दी ठीक हो जाती हैं और उनमें संक्रमण की संभावना बहुत कम होती है। वैज्ञानिकों को लगता है इनमें ऊतक पुनर्जीवन (रिजेनरेशन) और एक विशेष इम्यून सिस्टम होता है, जो उन्हें इस काम में सक्षम बनाता है। देखा गया है कि कई बार वे कुछ खास समुद्री पौधों के पास तैरती हैं, जिससे लगता है जैसे वे अपने घावों का इलाज खुद करती हैं। यह गुण इंसानी चिकित्सा के लिए भी शोध का विषय बनता जा रहा है।
व्हेल और डॉल्फिन का आपसी संबंध और मित्रता भी बेमिसाल है। ये घनिष्ठ पारिवारिक झुंड बनाकर रहती हैं, साथ शिकार करती हैं, बच्चों की देखभाल में एक-दूसरे की मदद करती हैं और यहां तक कि अपने मृत बच्चों के साथ भी कई दिन तक रहती हैं, जिससे उनके भावनात्मक जुड़ाव का पता चलता है। इसी प्रकार डॉल्फिन भी गहरे दोस्ती के बंधन और समाज की तरह व्यवस्थाएं बुनती हैं, इनमें सामूहिक शिकार, देखभाल और खेल जैसी गतिविधियां देखी जाती हैं। पारिस्थितिकी में इनकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण है। व्हेल समुद्र की गहराई से सतह तक गोता लगाते समय पोषक तत्वों का आदान-प्रदान करती हैं, जिससे समुद्र के पौधों के लिए जरूरी नाइट्रोजन और लौह जैसी चीजें फैलती हैं। जब व्हेल मल त्याग करती हैं तो उसके मल में पौधों के लिए जरूरी पोषक घुल जाते हैं, जिससे फाइटोप्लैंकटन का उत्पादन बढ़ता है। यह न केवल समुद्री भोजन श्रृंखला के लिए जरूरी है बल्कि वही पौधे पृथ्वी के वायुमंडल से कार्बनडाइऑक्साइड को भी अवशोषित करते हैं।
व्हेल और डॉल्फिन वाकई प्रकृति के बड़े प्रहरी हैं, जिनके संरक्षण की आज बड़ी जरूरत है। हमारे छोटे-छोटे कदम, जैसे प्लास्टिक कचरे से बचना, जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देना, मछली पकड़ने की टिकाऊ प्रथाओं के पक्षधर होना, समुद्री शोर में कमी लाना और समुद्री जीवन शिक्षा फैलाना, इनके उज्ज्वल भविष्य के लिए बेहद जरूरी हैं। व्हेल और डॉल्फिन न केवल हमारे महासागर की सुंदरता हैं बल्कि पूरी पृथ्वी के पर्यावरण, जैव विविधता और मानव संस्कृति की अहम कड़ी भी हैं। इनका संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी है ताकि भविष्य की पीढ़ियां भी न केवल इनकी कहानियां सुन सकें बल्कि इनकी मौजूदगी का भी आनंद ले सकें। हम अपने व्यवहार में छोटे-छोटे परिवर्तन करके इनकी रक्षा में बड़ा योगदान दे सकते हैं, प्लास्टिक का उपयोग कम करें, समुद्र से जुड़े मुद्दों पर जागरूक बनें और अपने आसपास के लोगों को भी इनके महत्व के बारे में बताएं। इन अद्भुत प्राणियों का जीवन सुरक्षित रखने के लिए आपका आज का प्रयास अत्यंत मायने रखता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार तथा पर्यावरण मामलों के जानकार हैं और पर्यावरण पर ‘प्रदूषण मुक्त सांसें’ पुस्तक लिख चुके हैं)
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