ब्रिटिश-अफ्रीकी यूट्यूबर सेंजो न केवल धर्म का उपहास उड़ाते हुए मांस खा रहा था, बल्कि उसने वहां बैठी महिलाओं और अन्य भक्त कर्मचारियों को भी वह खाने की पेशकश की
लंदन स्थित इस्कॉन मंदिर के गोविंदा रेस्टोरेंट में मांस खाने की घटना ने इस्कॉन के ही अनुयायियों को नहीं, बल्कि दुनिया के सभी सनातनियों की धार्मिक भावनाओं को गहराई तक झकझोरा है। यह मामला एक व्यक्तिगत शैतानी भरा कृत्य ही नहीं था, बल्कि वैश्विक स्तर पर हिन्दू धर्म के विरुद्ध दिखाई जा रही असहिष्णुता का पर्दाफाश किया है। उस बद्दिमाग इंसान की इस हरकत के विरुद्ध सोशल मीडिया पर जबरदस्त आक्रोश व्यक्त किया गया और अंतत: उस पर ऐसा दबाव पड़ा कि उसने माफी मांगी है।
ब्रिटिश-अफ्रीकी यूट्यूबर सेंजो ने एक वीडियो में खुद को गोविंदा रेस्टोरेंट में पका मांस बेचने वाली कंपनी केएफसी का डब्बा खोलकर मांस खाते हुए दिखाया। यह रेस्टोरेंट इस्कॉन मंदिर परिसर में ही है और पूरी तरह से शाकाहारी है। वीडियो में वह न केवल पूरी बेशर्मी और धर्म का उपहास उड़ाते हुए मांस खा रहा था, बल्कि उसने वहां बैठी महिलाओं और अन्य भक्त कर्मचारियों को भी वह खाने की पेशकश की।
इस वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर भारी आक्रोश देखने को मिला। दुनियाभर में बसे हिंदुओं ने इसे धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला बताते हुए असंवेदनशीलता का चरम कहा। कई यूज़र्स ने इसे जानबूझकर किया गया अपमान बताया और कानूनी कार्रवाई की मांग की।
सेंजो अब एक वीडियो जारी करके अपने किए पर माफी मांगी है। उसने कहा है कि उसे यह नहीं पता था कि रेस्टोरेंट मंदिर से जुड़ा है और अगर पता होता तो वह ऐसा कभी नहीं करता। उसने इसे गलत वक्त पर किया गैरजिम्मेदाराना हरकत बताया और कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से रेस्टोरेंट जाकर माफी मांगेगा। उसने यह भी स्वीकार किया कि उसने हिंदू समुदाय के बारे में शोध किया और समझा कि यह समुदाय अहिंसा और शांति में विश्वास करता है।
लेकिन कुल मिलाकर यह घटना एक बड़े मुद्दे की ओर इशारा करती है और वह है सांस्कृतिक और पांथिक संवेदनशीलता की कमी। सेंजो ने इसे “प्रैंक” यानी बिना गलत इरादे से किया मजाक बताया, लेकिन हिन्दू धार्मिक स्थलों और मान्यताओं के साथ मज़ाक करना जैसे खुद को सेकुलर दिखाने का चलन बना लिया गया है। सेंजो की यह हरकत बताती है कि डिजिटल कंटेंट बनाने के उन्माद में लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं, उसके लिए चाहे हिन्दू धर्म की ध्यान रहे किसी और पंथ की नहीं भावनााओं का मजाक उड़ाना पड़े।
लंदन जैसे बहुसांस्कृतिक शहर में इस तरह की घटना धार्मिक असहिष्णुता की मिसाल पेश करती है। इस्कॉन मंदिर धार्मिक स्थल हैं, दुनियाभर में करोड़ो भक्त इस कृष्ण भक्ति आंदोलन से जुड़े हैं। ऐसे स्थान पर इस तरह का व्यवहार न केवल भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक सम्मान की भावना को भी कमजोर करता है। धार्मिक स्थलों और मान्यताओं के प्रति सम्मान न केवल एक सामाजिक आवश्यकता है, बल्कि यह वैश्विक नागरिकता का हिस्सा भी है।
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