बॉम्बे हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल ब्लास्ट मामले के सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को चौंकाने वाला बताया और कहा कि हम इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार (21 जुलाई) को मीडिया से बातचीत में कहा, “बॉम्बे हाईकोर्ट ने जो निर्णय दिया है वह हमारे लिए बेहद चौंकाने वाला है। हम इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।” न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की पीठ ने कहा कि यह मानना मुश्किल है कि आरोपियों ने अपराध किया है, इसलिए उन्हें बरी किया जाता है। अगर वे किसी दूसरे मामले में वांटेड नहीं हैं, तो उन्हें तुरंत जेल से रिहा किया जाए। वहीं, स्पेशल कोर्ट ने 2015 में इस मामले में 12 आरोपियों को दोषी ठहराया था, जिनमें से 5 को फांसी और 7 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इनमें से एक आरोपी की पहले ही मौत हो चुकी है।
बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने पीड़ित परिवारों की समस्याओं को अतिरिक्त मुख्य सचिव इकबाल सिंह चहल के सामने रखा। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोट मामले में सभी आरोपियों को बरी किए जाने पर कहा, “मैंने 2006 के पीड़ितों के संबंध में महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव इकबाल सिंह चहल से मुलाकात की। कुछ पीड़ित मेरे साथ मौजूद थे और कुछ नहीं आ सके, इसलिए मैंने उनकी भावनाओं से उन्हें अवगत कराया। इस निर्णय से मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बहुत आघात पहुंचा है। इसलिए महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया है। हमें विश्वास है कि वहां से हमको न्याय मिलेगा।”
जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेन में हुए सिलसिलेवार धमाके
11 जुलाई 2006 को मुंबई लोकल ट्रेन के सात कोचों में सिलसिलेवार धमाके हुए थे, जिसमें 189 यात्रियों की मौत हो गई और करीब 824 लोग घायल हो गए थे। यह फैसला 19 साल बाद आया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एटीएस (ATS) ने मामले की जांच की और मकोका व यूएपीए (UAPA) जैसी कड़ी धाराओं में 13 लोगों को गिरफ्तार किया, जबकि 15 अन्य फरार बताए गए। इनमें से कुछ लोगों के पाकिस्तान में होने की बात कही गई। आरोपियों में कमाल अहमद अंसारी (2021 में कोरोना से मौत), तनवीर अहमद अंसारी, फैसल शेख, एहतशाम सिद्दीकी, नावेद हुसैन खान, आसिफ खान, मोहम्मद माजिद शफी, शेख आलम शेख, मोहम्मद साजिद अंसारी, मुजम्मिल रहमान शेख, सोहैल मेहमूद शेख, जमीर अहमद शेख के नाम शामिल हैं, लेकिन कोर्ट ने सबूतों की कमी के चलते उन्हें रिहा करने को कहा।
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