हिंदुओं के अवैध कन्वर्जन का मास्टरमाइंड छांगुर उर्फ जलालुद्दीन ‘गजवा-ए-हिंद’ के विचार से प्रेरित था। मौलाना छांगुर और भारत में चल रहे अवैध कन्वर्जन यानी मतांतरण के तार अब मुस्लिम कट्टरपंथी जाकिर नाईक से जुड़ रहे हैं। छांगुर के कन्वर्जन गिरोह से जुड़े कई करीबी अब भी एटीएस की गिरफ्त से दूर हैं। इनमें पिंकी, हाजिरा शंकर, एमेन रिजवी और सगीर भूमिगत हो गए हैं। ये सभी छांगुर के कन्वर्जन गिरोह के साथी हैं। सभी संगठित रूप से छांगुर के लिए काम करते थे। छांगुर गिरोह में एक और नाम इदुल इस्लाम का है जो महाराष्ट्र के नागपुर का रहने वाला है। जांच एजेंसियां उसकी तलाश में जुटी हैं।
आगरा से लेकर उत्तराखंड तक कन्वर्जन गिरोह सक्रिय
छांगुर और नसरीन पहले ही जांच एजेंसियों को यह बता चुकी हैं कि कन्वर्जन का यह घिनौना खेल 15 सालों से चल रहा था। उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और यूपी में मायावती मुख्यमंत्री। वहीं, बीजेपी के सदर विधायक पल्टूराम ने भी कहा है कि छांगुर जैसे व्यक्तियों को समाजवादी पार्टी की सरकार संरक्षण देने का काम करती है। जब से यूपी के बलरामुर से छांगुर की गिरफ्तारी हुई है, तब से अवैध कन्वर्जन की साजिशों की कई परतें खुल रही हैं। बलरामपुर के साथ ही आगरा में भी कन्वर्जन का खेल सामने आया है। आगरा से शुरू हुई जांच कोलकाता, जम्मू-कश्मीर, गोवा, राजस्थान, दिल्ली और उत्तराखंड तक पहुंच चुकी है।
छांगुर के कन्वर्जन की जड़ें काफी गहरी
इससे साफ है कि हिंदुओं के कन्वर्जन के इस खेल में छांगुर जैसे कई अन्य सरगना भी लिप्त हैं। जो बब्बर खालसा इंटरनेशनल और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों से प्रेरित थे। आईएसआईएस मॉड्यूल पर लड़कियों का ब्रेनवॉश कर अवैध कन्वर्जन करा रहे थे। जांच एजेंसियां पहले ही यह कह चुकी हैं कि छांगुर कन्वर्जन के जरिए देश की डेमोग्राफी को बदलना चाहता था। वह अपने बाद अपने बेटे को कन्वर्जन के गिरोह का सरगना बनाना चाहता था। इसके लिए उसने बलरामपुर और उसके आसपास के इलाकों को चुना था। 1000 मुस्लिम युवाओं की फौज तैयार की थी। 1500 से ज्यादा हिंदू युवतियों को बरगलाकर कन्वर्जन करा चुका था।
कन्वर्जन के टारगेट में बलरामपुर ही क्यों?
उत्तर प्रदेश में हिंदू आबादी करीब 79.73 फीसदी है। 71 जिलों में से 70 जिले हिंदू बहुल हैं। बलरामपुर भी हिंदू बहुल है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, बलरामपुर की कुल आबादी 21 लाख 48 हजार 665 है। कुल आबादी में हिंदुओं की जनसंख्या 62.05 फीसदी है। जबकि मुस्लिमों की कुल आबादी 37.51 फीसदी है। यानी हिंदू और मुस्लिम आबादी में अंतर 24.54 फीसदी का है। यह आंकड़ें 2011 के हैं जबकि यह 2025 चल रहा है। इतने सालों में हिंदू और मुस्लिम आबादी के बीच का यह गैप और कम हुआ होगा।
मौलाना छांगुर उर्फ जलालुद्दीन इस अंतर को और कम करना चाहता था और हिंदू बहुल बलरामपुर को मुस्लिम बहुल बनाने का ख्वाब देख रहा था। बलरामपुर जिले में उतरौला, तुलसीपुर,पचपेड़वा, गनवरिया तुलसीपुर और बिशुनीपुर कस्बे आते हैं। इनमें से तीन कस्बे मुस्लिम बहुल और तीन कस्बे हिंदू बहुल हैं। उतरौला में मुस्लिम आबादी 60.30 फीसदी है। वहीं, हिंदू आबादी 38.69 फीसदी है। बलरामपुर में हिंदू आबादी 53.60 फीसदी और मुस्लिम आबादी 44.66 फीसदी है। तुलसीपुर में हिंदू आबादी 55.52 फीसदी और मुस्लिम आबादी 44.01 फीसदी है। पचपेड़वा में मुस्लिम आबादी 59.00 फीसदी और हिंदू आबादी 40.93 फीसदी है। गनवरिया तुलसीपुर में मुस्लिम आबादी 71.29 फीसदी और हिंदू आबादी 27.71 फीसदी है। बिशुनीपुर में हिंदू आबादी 80.15 फीसदी और मुस्लिम आबादी 19.64 फीसदी है।
बलरामपुर के हिंदू बहुल कस्बे
कस्बा हिंदू आबादी
बलरामपुर 53.60 फीसदी
तुलसीपुर 55.52 फीसदी
बिशुनीपुर 80.15 फीसदी
बलरामपुर के मुस्लिम बहुल कस्बे
कस्बा मुस्लिम आबादी
गनवरिया तुलसीपुर 71.29 फीसदी
उतरौला 60.30 फीसदी
पचपेड़वा 59.00 फीसदी
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