उत्तर प्रदेश में लगातार अवैध धर्मांतरण के मामलों का खुलासा हो रहा है। पहले बलरामपुर जिले में छांगुर नाम के व्यक्ति द्वारा कन्वर्जन कराने का मामला सामने आया था और अब आगरा में भी ऐसा ही एक रैकेट पकड़ा गया है। इन घटनाओं के बाद खुफिया एजेंसियां और भी सतर्क हो गई हैं। जांच में पाया गया है कि इन मामलों के तार इस्लामिक कट्टरपंथी जाकिर नाईक से जुड़े हुए हैं। जाकिर नाईक लंबे समय से भारत की खुफिया एजेंसियों की रडार पर है, वह फिलहाल मलेशिया में रह रहा है।
एजेंसियों को शक है कि जाकिर नाईक की संस्थाएं, जैसे कि “इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन”, भारत में चल रहे अवैध कन्वर्जन रैकेट को विदेशों से फंडिंग कर रही हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) और एंटी टेररिज्म स्क्वाड (ATS) इस दिशा में जांच कर रही हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि जाकिर नाईक युवाओं का ब्रेनवॉश कर रहा था और उसने कई ऐसे वीडियो जारी किए हैं जिनमें वह भारत के हिंदू नेताओं को निशाना बनाते हुए कट्टरता फैलाता दिखता है।
छांगुर गिरोह के बाद अब आगरा में आयशा और ओसामा नाम के लोगों का गिरोह सामने आया है, जो युवाओं को बहला-फुसलाकर उनका कन्वर्जन करवा रहा था। इसके बाद जाकिर नाईक और उससे जुड़े लोगों को खंगालने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। ईडी ने पहले भी यह खुलासा किया था कि जाकिर नाईक की संस्था को कई देशों से आर्थिक सहायता मिलती रही है। उसकी गतिविधियाँ भारत विरोधी मानी जाती रही हैं। छांगुर गिरोह की जांच में अब यह स्पष्ट हो चुका है कि यह गिरोह अकेला नहीं, बल्कि पूरे नेटवर्क के साथ काम कर रहा था। एटीएस की पड़ताल में यह पता चला है कि बलरामपुर और उसके आस-पास के जिलों में कई युवाओं को इस गिरोह ने अपने जाल में फंसाया और फिर उनका कन्वर्जन कराया। इसके बाद उन्हें पैसे भी दिए गए। हाल ही में छांगुर के भतीजे सबरोज की गिरफ्तारी के बाद दो और संदिग्धों का नाम सामने आया है, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। एटीएस को इन दोनों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिली हैं और वे अब गिरफ्तारी के करीब हैं।
एक अन्य आरोपी, नीतू उर्फ नसरीन, जो छांगुर की करीबी रही है, ने पूछताछ में कई अहम राज खोले हैं। नीतू ने एटीएस को बताया कि वह दुबई में इन दोनों आरोपितों के संपर्क में थी और वहीं उसने उनके साथ काफी समय बिताया था। उन्होंने ही विदेशों से आने वाले पैसे का पूरा हिसाब-किताब रखा था। यह रकम बाद में छांगुर और नीतू के खातों में भेजी जाती थी, जिसे कन्वर्जन के लिए इस्तेमाल किया जाता था। एटीएस और ईडी अब इन सभी संस्थाओं, व्यक्तियों और उनकी फंडिंग की कड़ियों को जोड़ने की कोशिश कर रही हैं। एजेंसियों का कहना है कि अब तक जितने भी कन्वर्जन के मामले सामने आए हैं, उनमें फंडिंग का स्रोत विदेश ही रहा है। इससे साफ जाहिर होता है कि यह एक सुनियोजित और बड़ा नेटवर्क है, जो भारत के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर रहा है।
इन घटनाओं के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने विदेशों से आने वाले पैसे की निगरानी और कड़ी कर दी है और कई खातों को सीज भी किया गया है। जाकिर नाईक और उसके सहयोगियों पर शिकंजा कसता जा रहा है, और उम्मीद है कि जल्द ही इन नेटवर्क का पूरी तरह भंडाफोड़ हो जाएगा।
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