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“वुमन, लाइफ, फ्रीडम”: ईरान में विरोध की आवाज को कुचलने की साजिश

2022 के "वुमन, लाइफ, फ्रीडम" आंदोलन के बाद ईरान में दमन जारी। महसा शफीई और अन्य परिवारों पर जुल्म की कहानी, इजरायल युद्ध के साये में।

Published by
Kuldeep Singh

ईरान लगातार असहमति की आवाजों को कुचलने में लगा है, ताकि इस्लामी शासन अपने आपको बनाए रखे। खासतौर पर इजरायल के साथ 12 दिन के युद्ध के दौरान ईरान को इस बात का अंदेशा कहीं विद्रोह न हो। इसी को ध्यान में रखते हुए इस्लामी शासन असहमति को कुचलने की कोशिश कर रहा है। इसी क्रम में पिछले कुछ हफ्तों में ईरान की सरकार ने 2022 के विरोध प्रदर्शनों में मारे गए कम से कम आठ लोगों के रिश्तेदारों को गिरफ्तार किया है। ये कार्रवाई इजरायल के साथ हुए व्यापक दमन का हिस्सा है।

महसा शफीई की गिरफ्तारी: एक परिवार की पीड़ा

24 साल की महसा शफीई का परिवार तब और टूट गया, जब यासुज शहर में खुफिया एजेंटों ने उन्हें उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। उनके 18 साल के भाई परसा शफीई 2022 के विरोध प्रदर्शनों में मारे गए थे। उसी दिन उनके पिता को भी रिवॉल्यूशनरी गार्ड की खुफिया शाखा ने बुलाया। मानवाधिकार कार्यकर्ता फवाद चूबिन के मुताबिक, परिवार पर यह दबाव डाला जा रहा है कि वे महसा की स्थिति के बारे में कुछ न बोलें। महसा का अब तक कोई अता-पता नहीं है, जिससे उनके परिवार का डर और दुख और बढ़ गया है।

“वुमन, लाइफ, फ्रीडम”: 2022 का विद्रोह

2022 में महसा झिना अमीनी की हिजाब कानून उल्लंघन के आरोप में हिरासत में मौत ने ईरान में “वुमन, लाइफ, फ्रीडम” नारे के साथ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए। इस आंदोलन में परसा शफीई जैसे कई युवाओं ने अपनी जान गंवाई। अब सरकार उन परिवारों को निशाना बना रही है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया। यह दमन न केवल शारीरिक है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक भी है, जिसका मकसद परिवारों को चुप कराना और उनके दर्द को दुनिया से छिपाना है।

अन्य परिवारों पर जुल्म

इसी प्रकार से पिछले सप्ताह ही तेहरान में खाजाई और उनकी पत्नी नेदा करेगर को गिरफ्तार, जिनके भाई एरफान 2022 में मारे गए थे। हेंगाव संगठन के मुताबिक, 60 से अधिक सुरक्षाकर्मियों ने उनके घर पर हमला कर दिया और उनके परिजनों को बेरहमी से पीटा। हालांकि, बाद में इस जोड़े को जमानत पर रिहा कर दिया। 23 जून को सुलेमान कादर गलवान को गिरफ्तार किया गया, जो मारे गए प्रदर्शनकारी अब्दुलसलाम के भाई हैं। 21 जून को शाहरियार मोहम्मदी के पिता अली मोहम्मदी को हिरासत में लिया गया, जिन्हें पूछताछ में इतना मारा गया कि वे बेहोश हो गए और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। उन्हें स्वतंत्र वकील तक की सुविधा नहीं दी गई। इसके अलावा, 19 जून को मजिद नादेरखानी और 18 जून को फेज़ोल्लाह अज़रनोश व करीम कादरपोर को भी गिरफ्तार किया गया।

संयुक्त राष्ट्र की अपील और मौजूदा हालात

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने ईरान से दमन, फांसी, सामूहिक गिरफ्तारियों और नफरत भरे भाषणों को रोकने की मांग की है। HRANA के मुताबिक, युद्ध शुरू होने के बाद 823 लोग राजनीतिक या सुरक्षा संबंधी आरोपों में हिरासत में लिए गए, जिनमें 286 को इज़राइल के हमले से जुड़ा ऑनलाइन कंटेंट साझा करने के लिए पकड़ा गया। यह दमन उन परिवारों के लिए दोहरा दुख है, जो पहले ही अपनों को खो चुके हैं।

एक इंसानी त्रासदी गिरफ्तारियां और अत्याचार सिर्फ आंकड़े नहीं हैं; ये उन परिवारों की कहानियां हैं, जो पहले ही अपने प्रियजनों की मौत का गम झेल रहे हैं। यह दमन उनके घावों को और गहरा कर रहा है, और उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है।

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