हरिद्वार । तीर्थ नगरी हरिद्वार गंगा जल लेने आने वाले शिवभक्तों से भरी पड़ी है। कांवड़ियों के रूप में इस साल करीब चार करोड़ शिवभक्त कुंभ नगरी पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। पिछले साल तीन करोड़ से ज्यादा कांवड़ियों ने हरिद्वार पहुंचकर पावन गंगा जल ग्रहण किया था और अपने-अपने घरों के पास आस्था पूर्वक शिवालयों पर अर्पित किया था।
माना जा रहा है कि पिछले साल हरिद्वार के कारोबारियों ने करीब छह हजार करोड़ का कारोबार कांवड़ियों से किया था, जो इस साल बढ़कर आठ हजार करोड़ तक पहुंचने की संभावना है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने “पाञ्चजन्य” से कांवड़ यात्रा के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि इस बार चार करोड़ के आसपास कांवड़ यात्री हरिद्वार गंगा जल लेने आ सकते हैं। श्री धामी ने यह भी कहा कि पिछले साल करीब साढ़े तीन करोड़ कांवड़ियों का आगमन हुआ और हर साल शिवालयों में गंगा जल अर्पित करने के लिए आस्था बढ़ रही है। इस कारण इस बार कांवड़ भक्तों की संख्या बढ़ने की पूरी संभावना है।
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सीएम धामी ने कहा, “शिव भक्त कांवड़िए हमारे अतिथि हैं, हम इनका चरण धोकर पुष्पवर्षा कर स्वागत कर रहे हैं।” उन्होंने कहा कि आस्था और विश्वास से भरी भोले भक्तों की यह यात्रा सुखद और सफल हो—ऐसी कामना हमने भगवान भोलेनाथ से की है। श्री धामी ने यह भी कहा कि एक समय था जब विपक्षी सरकारें इन पर लाठियां बरसाती थीं, लेकिन अब हेलीकॉप्टर से फूल बरसते हैं।
दूसरे चरण में कांवड़ यात्रा का विस्तार
हरिद्वार में कांवड़ मेले के 11 से 23 जुलाई के कार्यकाल में लाखों की संख्या में कांवड़िए हरिद्वार प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। 23 जुलाई को सावन की शिवरात्रि है, तब तक चार करोड़ से अधिक कांवड़ियों के हरिद्वार से गंगा जल ले जाने की उम्मीद है।
यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल, राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा में व्यवस्थाएं जुटाई गई हैं। कांवड़ ले जा रहे शिवभक्तों के साथ पुलिस को किस प्रकार पेश आना है, इस संबंध में उन्हें मर्यादित दिशा-निर्देश दिए गए हैं। प्रत्येक कांवड़ 12 फीट से बड़ी नहीं होनी चाहिए, और प्रत्येक कांवड़िए का पहचान पत्र गले में लटका रहना अनिवार्य है। डीजे पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
“फिट रहो इंडिया” से जुड़ी कांवड़ यात्रा
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “फिट रहो इंडिया” का नारा युवाओं को दिया था। कई किलोमीटर लंबी पैदल कांवड़ यात्रा, युवा कांवड़ियों द्वारा दौड़-भाग कर, रिले रेस की तरह पूरी की जाती है।
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बड़े-छोटे हर तबके के लोग पैदल कांवड़ ले जाकर स्वास्थ्य के साथ-साथ आत्मविश्वास से भी ओत-प्रोत महसूस करते हैं। इस बार बड़ी संख्या में युवतियां और महिलाएं भी परिवार सहित कांवड़ ले जाते हुए दिखाई दी हैं।
अराजकता पर पुलिस की सख्ती
हर बार की तरह इस बार भी कांवड़ मेले की यात्रा के दौरान कुछ उपद्रवियों ने हुड़दंग मचाया, वाहनों को तोड़-फोड़ किया गया, पुलिस कर्मियों के साथ बदसलूकी हुई है।
हरिद्वार के एसएसपी प्रमेन्द्र डोभाल कहते हैं कि अराजकता फैलाने वाले कांवड़ियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। यह आस्था का उत्सव है, और इसमें अराजकता को सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि भोले कांवड़ियों पर पुलिस प्रशासन ने फूल बरसाकर स्वागत किया है और नियम-परंपराएं तोड़ने वालों को पहले समझाया, फिर जब वे नहीं माने, तो सख्ती बरती गई।
आठ हजार करोड़ का व्यापार
हरिद्वार के गंगा घाटों के आसपास लगे कांवड़ मेले में कांवड़ से जुड़ी सामग्री का व्यापार भी इस साल कारोबारियों के लिए फायदेमंद रहने वाला है। कांवड़ मेला लंबा चलेगा, जिससे कारोबार भी अधिक समय तक चलेगा। जानकारी के मुताबिक, सहारनपुर में कांवड़ टी-शर्ट, कपड़े, अंगोछे, नेकर आदि का थोक व्यापार होता है। इस वक्त कपड़े का बाजार भगवा रंग से पटा पड़ा है। कारोबारी योग चुग कहते हैं कि अकेले भगवा टी-शर्ट का ही चार सौ करोड़ से ज्यादा का कारोबार हुआ है।
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उन्होंने बताया कि “बुलडोजर बाबा, मोदी-योगी, धामी” की टी-शर्ट्स इस वक्त शिव की तस्वीरों से ज्यादा बिक रही हैं। ₹100 से ₹400 तक की टी-शर्ट की कीमत है। उल्लेखनीय है कि यह थोक मंडी है; यहीं की टी-शर्ट फुटकर में मुनाफे के साथ बिकेगी।
नजीबाबाद में लकड़ी की टोकरियों को बनाने वाले समीर मलिक कहते हैं कि इस बार टोकरियों की मांग बहुत ज्यादा है। हमारे कारीगर सालभर इस पर लगे रहते हैं, इस बार डिमांड पिछले साल से ज्यादा है।
प्लास्टिक जेरिकेन का विकल्प अभी भी खोजा जा रहा है, इसके बावजूद एल्यूमिनियम, पीतल जेरिकेन, कलश आदि का बाजार भी तेजी से बढ़ता देखा गया है।
तिरंगे और भगवे ध्वज का बोलबाला
कांवड़ यात्रा के बाद अगले माह आजादी के पर्व में शिवभक्तों के हाथों में इस बार भगवा ध्वज के साथ-साथ बड़े-बड़े राष्ट्रीय ध्वज भी दिखाई दे रहे हैं। बाजार में तिरंगे झंडों के सैकड़ों स्टॉल हैं।
कांवड़ियों में भगवा ध्वज के साथ तिरंगा राष्ट्रीय ध्वज लगाने की परंपरा सी बन गई है। कांवड़ यात्रा मार्ग पर कांवड़ियों के हाथों में लहराते तिरंगे का कारोबार भी कई करोड़ तक पहुंच गया है।
भोजनालय और लंगरों में खपेगा अरबों का राशन
अनुमान है कि हरिद्वार से विभिन्न नगरों-कस्बों के बीच मार्गों पर कांवड़ियों के लिए लगने वाले लंगर और भोजनालय में राशन का कारोबार भी करीब एक हजार करोड़ के आंकड़े को छुएगा।
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चार करोड़ कांवड़िए और उनकी सेवा में लगे लोग इन भंडारों में शामिल होते हैं। कांवड़ यात्रा मार्ग पर लगने वाले एक-एक भंडारे में राशन, तेल, गैस, पानी, जूस और लेबर आदि का खर्च लाखों में आता है। हजारों शिविर और भंडारे चल रहे हैं, जिन्हें दानदाताओं के सहयोग से चलाया जाता है।
डीजे और वाहनों से जुड़ा कारोबार भी करोड़ों में
कांवड़ मेले की यात्रा के दौरान डीजे संगीत, वाहन, डीजल-पेट्रोल आदि का कारोबार भी खूब चलता है।
पुलिस प्रशासन के दस-दस हजार पुलिसकर्मी हर राज्य में कांवड़ ड्यूटी पर रहते हैं, जिन पर सरकार का खर्च भी करोड़ों में पहुंचता है। जिन शहरों के मंदिरों में कांवड़ पहुंचती है, वहां के शिवालयों के आसपास भी लगने वाले मेलों में सैकड़ों दुकानों का कारोबार करोड़ों तक पहुंचता है।
हरिद्वार के स्थानीय लोगों की राय
हरिद्वार गंगा सभा से जुड़े तीर्थ पुरोहित अविक्षित रमन कहते हैं कि इस साल कांवड़ यात्रा भव्य और उत्साहपूर्ण चलेगी। उन्होंने बताया कि यूपी, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, हिमाचल राज्यों से बड़ी संख्या में कांवड़ यात्री पहुंच रहे हैं। “बम भोले”, “गंगा मईया के जयघोष” का अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है।
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हरिद्वार के समाजसेवी अमित शर्मा कहते हैं कि उत्तराखंड की धार्मिक यात्राओं से ही यहां की इकोनॉमी भी चलती है। आस्था और विश्वास से भरी कांवड़ यात्रा से हजारों करोड़ का कारोबार होने लगा है, यही वजह है कि सरकार भी कांवड़ यात्रा प्रबंधन में दिलचस्पी ले रही है।
योगी-धामी सरकारों ने दिलाया सम्मान
हरिद्वार की कांवड़ यात्रा अब एक प्रतिष्ठा यात्रा में बदल गई है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, दोनों खुद हेलीकॉप्टर से कांवड़ियों पर पुष्प वर्षा करते रहे हैं।
कांवड़ ले जा रहे भोले भक्तों को ऐसा सम्मान पहले कभी नहीं मिला। ऐसा भी देखा गया कि शिवभक्तों का सम्मान होने और उनसे विनम्रता से पेश आने की वजह से इतनी बड़ी आस्था और विश्वास की यह यात्रा निर्विघ्न और सद्भावपूर्वक पूरी हो रही है।
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