नई दिल्ली । यह ज्ञान सभा 25 से 28 जुलाई 2025 आदि शंकराचार्य की जन्मभूमि कालड़ी, केरल में आयोजित की जा रही है। चार दिवसीय कार्यक्रम के प्रथम 2 दिन राष्ट्रीय चिंतन बैठक का आयोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी के सानिध्य में संपन्न होगा। जिसमें संगठन की कार्य-योजना और लक्ष्य के दृष्टिकोण की दिशा में अल्पकालिक और दीर्घकालिक कार्य-योजना पर चिंतन होगा।
इसके अतिरिक्त 27 जुलाई को शिक्षा में भारतीयता विषय पर एक सार्वजनिक कार्यक्रम भी प्रस्तावित है जिसमें शिक्षा में भारतीयता विषय पर सरसंघचालक जी का व्याख्यान होगा जिसमें केरल के राज्यपाल माननीय राजेंद्र अर्लेकर की विशेष उपस्थिति रहेगी, इस सम्मेलन में प्रमुख रूप से केरल के शिक्षाविद व गणमान्य नागरिक सहभागिता करेंगे। 28 जुलाई को ज्ञान सभा : विकसित भारत हेतु शिक्षा विषय पर एक राष्ट्रीय शैक्षिक मंथन का आयोजन होगा।
यह बात पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉ. अतुल कोठारी ने कही। उन्होंने आगे कहा कि इस महत्वपूर्ण आयोजन में अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो टी.जी. सीताराम, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के उपाध्यक्ष प्रो दीपक श्रीवास्तव, माता अमृतानंदमयी, महर्षि महेश योगी संस्थान, गायत्री परिवार, पतंजलि, आर्ट ऑफ लिविंग, स्वामी विवेकानंद योग अनुसंधान केंद्र आदि जैसे विभिन्न राष्ट्रव्यापी आध्यात्मिक, शैक्षिक संगठनों एवं संस्थानों के प्रमुख तथा विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, केंद्रीय संस्थानों के निदेशक भी उपस्थित रहेंगे। साथ ही इस आयोजन में उत्तराखण्ड, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, पुद्दुचेरी के शिक्षा मंत्रियों तथा शिक्षा सचिवों की भी विशेष उपस्थिति रहेगी।
बैठक के प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं :
– संगठनात्मक योजना : देशभर में न्यास के कार्यों की समीक्षा और आगामी चार वर्षों की कार्ययोजना पर मंथन।
– भारतीय शिक्षा का पुनरुत्थान : शिक्षा में भारतीयता के तत्वों की पहचान और संस्थागत कार्यों में उसका समावेश
– ज्ञानोत्सव से ज्ञान महाकुंभ तक : भारत में नवशैक्षिक चेतना के जागरण हेतु चलाए गए अभियानों की समीक्षा एवं भावी रणनीति।
– शिक्षा में भारतीयता (27 जुलाई) : शिक्षा में भारतीयता विषय पर केरल के शिक्षाविद, गणमान्य नागरिकों के बीच सरसंघचालक जी का संबोधन
– दि. 27 जुलाई को दोपहर २ बजे से केरल के प्रमुख शिक्षाविदों का केरल की शिक्षा के गुणवत्ता विकास हेतु एक संगोष्ठी का आयोजन किया जायेगा।
यह भी पढ़ें – शिक्षा के साथ संस्कार से होगा मानव का समग्र विकास : सुरेश सोनी
– राष्ट्रीय सम्मेलन ‘ज्ञान सभा’ (28 जुलाई) : जिसका विषय है – “विकसित भारत हेतु शिक्षा”, इसमें देशभर के शिक्षाविद, नीति-निर्माता एवं संस्थाओं के प्रमुख सहभागिता करेंगे।
– महत्वपूर्ण दिवसों का आयोजन : न्यास द्वारा प्रमुखता से इन चार दिवस को हर वर्ष मनाया जाता है, उनकी समीक्षा और अनुवर्तन की योजना बनायी जायेगी। 2 जुलाई (न्यास स्थापना दिवस), 14 सितंबर (हिन्दी दिवस), 22 दिसंबर (राष्ट्रीय गणित दिवस), 21 फ़रवरी (अंरतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस) को देशव्यापी स्तर पर मनाने की कार्ययोजना।
डॉ कोठारी ने कहा कि हम सब भली-भांति जानते है कि किसी भी राष्ट्र के निर्माण में शिक्षा का आधारभूत स्थान होता है। जब भारत विश्व गुरु था तब हमारी शिक्षा व्यवस्था उत्कृष्ट थी, नालंदा, तक्षशिला जैसे अनेकों विश्वविद्यालयों में भारत के ही नहीं अपितु विदेश के छात्र भी उच्च कोटि की शिक्षा एवं ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते थे। आज पुनः भारत को समर्थ, सशक्त व सम्पन्न अर्थात विकसित राष्ट्र बनाना है तब देश की शिक्षा के पुनरुत्थान से ही यह संभव हो सकेगा।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की अध्यक्षा डॉ पंकज मित्तल ने वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि न्यास अपने प्रारम्भ काल से ही शिक्षा में भारतीय ज्ञान परम्परा को आधार बनाकर वर्तमान एवं भविष्य की आधुनिक आवश्यकताओं का संयोजन करके देश की शिक्षा को एक नया विकल्प देकर भारतीय शिक्षा का पुर्नरुत्थान हो, इस दिशा में न्यास प्रयासरत है। इसी विषय को ध्यान में रख कर 28 जुलाई को “ज्ञान सभा : विकसित भारत हेतु शिक्षा” विषय पर एक राष्ट्रीय शैक्षिक मंथन का आयोजन होना तय किया गया है। इस सम्मेलन में देशभर की प्रमुख शैक्षिक संस्थाओं द्वारा विशेषकर भारतीय ज्ञान परंपरा, भारतीय भाषाएँ, भारतीय गणित, कौशल विकास, चरित्र निर्माण व्यक्तित्व विकास आदि के विषयों में किए जा रहे प्रयोगों का प्रस्तुतीकरण भी होगा। भारतीय ज्ञान परंपरा का उल्लेख करते हुए डॉ मित्तल ने कहा कि – भारत में शिक्षा का उद्देश्य केवल जीविकोपार्जन नहीं था, बल्कि मनुष्य को ‘पूर्ण मानव’ बनाने का माध्यम था।
यह भी पढ़ें – “सनातन धर्म और भारत की वास्तविक पहचान दुनिया ने देखी”, महाकुंभ मंथन में औरंगजेब और संभल पर भी बोले CM योगी आदित्यनाथ
ज्ञान सभा के के विषय में चर्चा करते हुए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सह-संयोजक संजय स्वामी ने कहा कि इस बैठक व सम्मेलन में पारित किए गए संकल्प पत्र पर आगामी दिनों में देशव्यापी चर्चाएँ आयोजित करके सुझाव एकत्रित करने का एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया जायेगा। साथ ही न्यास द्वारा चलाये गये देशव्यापी ‘एक राष्ट्र एक नाम : भारत’ अभियान की प्रगति, समाज में उसका प्रभाव एवं आगामी योजना पर गहन चर्चा होगी।
संजय स्वामी ने कहा कि यह केवल नाम का विषय नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आत्मबोध और औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति का संकल्प है। इस दिशा में देशभर में एक राष्ट्रव्यापी हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। बैठक में प्रयागराज में आयोजित किए गए ज्ञान महाकुंभ की समीक्षा भी की जाएगी। उन्होंने कहा कि ज्ञान महाकुंभ एक ऐतिहासिक आयोजन रहा, जिसकी सफलता ने आने वाले 2027 एवं 2028 के कुंभ आयोजन के लिए भी न्यास को ज्ञान महाकुंभ आयोजित करने का आमंत्रण मिला है।
यह भी पढ़ें – राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : शिक्षा के माध्यम से उज्जवल भविष्य का निर्माण
बता दें कि भारतीय शिक्षा को नया विकल्प देने हेतु 24 मई 2007 को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास का गठन किया गया। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास विगत वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रहितकारी कार्यों के माध्यम से भारत की आत्मा को जाग्रत करने में सतत कार्यरत है। यह बैठक उसी क्रम की एक सशक्त कड़ी है।
न्यास का मानना है कि शिक्षा में जमीनी बदलाव समाज का प्रमुख दायित्व है। इस हेतु समाज एवं सरकार इन दोनों के संयुक्त प्रयास आवश्यक हैं। इसमें प्रत्यक्षतः शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लागों की प्रमुख भूमिका है, तभी शिक्षा में आधारभूत परिवर्तन संभव होगा। इन प्रयासों को देशव्यापी अभियान एवं आन्दोलन बनाने हेतु यह कार्य किया जा रहा है। शिक्षा देश की प्राथमिकता का विषय बने यह भी आवश्यक है।
टिप्पणियाँ