जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा 'INS निस्तार' : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

भारतीय नौसेना में शामिल हुआ, 1000 मीटर तक बचाव में सक्षम स्वदेशी पोत। समुद्री सुरक्षा, गुप्त मिशन और रेस्क्यू का प्रतीक, जानिए कैसे भारतीय नौसेना की जीवन रेखा के रूप में कार्य करेगा आईएनएस निस्तार’

by योगेश कुमार गोयल
Jul 18, 2025, 10:09 pm IST
in भारत, रक्षा, विश्लेषण
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारत की ताकत समंदर में और बढ़ गई है। 18 जुलाई को स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित पहला डाइविंग सपोर्ट वेसल ‘आईएनएस निस्तार’ विशाखापत्तनम में रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ की उपस्थिति में भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित ‘आईएनएस निस्तार’ को जटिल गहरे समुद्र में गोताखोरी और बचाव कार्यों के लिए तैयार किया गया हैं।

सहयोगी देशों को मिलेगा रेस्क्यू सपोर्ट

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी के अनुसार, यह पोत न केवल एक तकनीकी परिसंपत्ति है बल्कि एक महत्वपूर्ण परिचालन प्रवर्तक भी है। उनके मुताबिक, भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद यह केवल हमारी नौसेना को नहीं बल्कि सहयोगी देशों के सबमरीन को भी क्रिटिकल सबमरीन रेस्क्यू सपोर्ट प्रदान करेगा।

आईएनएस निस्तार की क्षमता

आईएनएस निस्तार एक ऐसा जहाज है, जो समुद्र की 1000 मीटर गहराई तक जाकर राहत व बचाव अभियानों को अंजाम देने में सक्षम है। यह विशेष जहाज अत्याधुनिक डाइविंग उपकरणों, रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स और डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल के लिए ‘मदर शिप’ जैसी भूमिकाओं से लैस है। निस्तार का रणनीतिक महत्व इसलिए बहुत ज्यादा है क्योंकि यह जहाज भारतीय नौसेना को गहरे समुद्र में ऐसी ताकत देता है, जो अब तक केवल अमेरिका, रूस, ब्रिटेन या फ्रांस जैसे चंद देशों तक सीमित थी। गहरे समुद्र में मानव रहित रेस्क्यू, पनडुब्बी से जुड़ी आपात स्थितियों में मदद, खुफिया गतिविधियों की निगरानी, और समुद्री संसाधनों की खोज जैसे कार्य अब भारत अपने दम पर कर सकता है।

हिंदुस्तान शिपयार्ड ने किया ‘आईएनएस निस्तार’ का निर्माण

‘आईएनएस निस्तार’ का निर्माण विशाखापत्तनम स्थित हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा किया गया है, जो रक्षा उत्पादन में भारत की प्रमुख इकाई है। शिपयार्ड ने इस पोत के माध्यम से यह सिद्ध कर दिया है कि भारत की औद्योगिक क्षमताएं अब केवल थल और वायु तक सीमित नहीं, बल्कि जल के गर्भ में भी विश्वस्तरीय टैक्नोलॉजी विकसित कर सकती हैं।

यह भी पढ़ें – DRDO विकसित करेगा अगली पीढ़ी का स्वदेशी अवाक्स

यह भी उल्लेखनीय है कि हिंदुस्तान शिपयार्ड अब दूसरे डाइविंग सपोर्ट वेसल ‘आईएनएस निपुण’ के निर्माण में भी जुट चुका है, जो भविष्य में नौसेना की क्षमता को और बढ़ाएगा। स्वदेशी सामग्री की बात करें तो इसमें इस्तेमाल होने वाली लगभग 75 प्रतिशत सामग्रियां देश में निर्मित हैं। इसके निर्माण में उपयोग की गई स्टील से लेकर इलैक्ट्रॉनिक प्रणाली तक, बड़ी संख्या में इसमें घरेलू कंपनियों ने योगदान दिया है। इससे देश में रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं और रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को बल मिला है।

जानिए ‘निस्तार’ का मतलब

इस पोत का नाम ‘निस्तार’ संस्कृत शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है, मुक्ति, बचाव या मोक्ष। यह नाम न केवल जहाज की भूमिका को दर्शाता है बल्कि उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को भी जोड़ता है। 1971 के भारत-पाक युद्ध में एक युद्धपोत ‘आईएनएस निस्तार’ ने पाकिस्तान की पनडुब्बी ‘पीएनएस गाजी’ के मलबे को ढूंढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। नए निस्तार को उस गौरवपूर्ण परंपरा का उत्तराधिकारी माना जा रहा है।

‘आईएनएस निस्तार’ को भारतीय नौवहन के सभी मानकों के अनुरूप डिजाइन किया गया है, जिसका निर्माण 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ हुआ है। यह न केवल तकनीकी दृष्टि से उन्नत पोत है बल्कि भारत की स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमताओं का प्रतीक भी है। यह पोत आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियानों का जीवंत उदाहरण है। इसका निर्माण ‘इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग’ (आईआरएस) के मानकों के अनुसार किया गया है, जो इसकी तकनीकी मजबूती और अंतर्राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता का प्रमाण है।

आईएनएस निस्तार की विशेषता

इस जहाज की लंबाई 118 मीटर है और वजन लगभग 10 हजार टन है। यह आकार इसे लंबे समय तक समुद्र में टिके रहने में मदद करता है। इसमें लगभग 200 नौसैनिक तैनात रह सकते हैं और यह दो महीने तक लगातार मिशन पर समुद्र में सक्रिय रह सकता है। जहाज में उन्नत ‘सेचुरेशन डाइविंग सिस्टम’ लगा है, जो 300 मीटर की गहराई तक गोताखोरी संभव बनाता है। इसके अतिरिक्त इसमें एक ‘साइड डाइविंग स्टेज’ भी लगा है, जो 75 मीटर की गहराई तक डाइविंग ऑपरेशन संचालित कर सकता है। सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक है इस जहाज की ‘डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू वेसल’ (डीएसआरवी) के लिए ‘मदर शिप’ की भूमिका निभाने की क्षमता।

यह भी पढ़ें – पाक-चीन की खैर नहीं…भारत ने बनाई एडवांस्ड मिसाइल; ब्रह्मोस से 3 गुना ज्यादा शक्तिशाली

यह भारत की उन चुनिंदा सामरिक क्षमताओं में से एक है, जो दुनिया की केवल गिनी-चुनी नौसेनाओं के पास ही उपलब्ध है। जब किसी पनडुब्बी में गहराई में आपातकालीन स्थिति उत्पन्न होती है तो ऐसे में निस्तार जैसे जहाज का इस्तेमाल बचाव कार्यों के लिए किया जाता है। यह न केवल गोताखोरों को सुरक्षित नीचे ले जाने का माध्यम बनता है बल्कि दुर्घटनाग्रस्त पनडुब्बी के चालक दल को बचाने की प्रक्रिया को भी अत्यधिक सुरक्षित और प्रभावी बनाता है।

नई तकनीकों से सुसज्जित है आईएनएस निस्तार

‘आईएनएस निस्तार’ को ‘रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल्स’ से भी सुसज्जित किया गया है। इन वाहनों का इस्तेमाल समुद्र की गहराईयों में बिना मानव गोताखोरी के निगरानी और सर्वेक्षण कार्यों के लिए किया जाता है। ये रोबोटिक वाहन अत्यधिक दबाव में काम करने में सक्षम होते हैं और उन स्थानों पर पहुंच सकते हैं, जहां मानवीय पहुंच संभव नहीं होती।

समुद्री दुर्घटनाओं, तेल रिसाव या पनडुब्बी आपात स्थिति जैसी स्थितियों में ये वाहन आवश्यक डेटा और दृश्य सामग्री एकत्र कर निर्णय प्रक्रिया को तेज करते हैं। निस्तार में आधुनिक हाइपरबेरिक चैम्बर्स भी हैं, जो गहरे समुद्र में गोताखोरी के दौरान डीकंप्रेशन (उच्च दबाव से सामान्य दबाव में लौटने की प्रक्रिया) के लिए उपयोग में लाए जाते हैं।

गोताखोर जब अत्यधिक गहराई में काम करते हैं तो उन्हें सुरक्षित रूप से सतह पर लाने के लिए नियंत्रित दबाव वाली परिस्थितियों की आवश्यकता होती है, जिससे उन्हें डीकंप्रेशन सिकनेस या ‘बेंड्स’ जैसी समस्याओं से बचाया जा सके। इन चैम्बर्स में गोताखोरों को समय देकर उनका स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जाता है।

यह भी पढ़ें – सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

निस्तार में लगे सेंसर, अंडरवॉटर नेविगेशन सिस्टम और समुद्री रडार अत्यंत उच्च गुणवत्ता के हैं, जो समंदर की गहराईयों में कार्य करते हुए भी जहाज को दिशा, गति और स्थान की जानकारी देते रहते हैं। इसके कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम अत्याधुनिक हैं, जिससे गोताखोरों और रेस्क्यू टीमों का संचालन एकीकृत रूप में होता है। इसका कम्प्यूटरीकृत लॉजिस्टिक सिस्टम मिशनों की योजना और उनके क्रियान्वयन को आसान बनाता है।

आपदा या युद्ध ही नहीं शांति के लिए जरुरी है आईएनएस निस्तार

यह जहाज केवल युद्धकालीन आपात स्थितियों में ही नहीं बल्कि शांति काल में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह समुद्री शोध, पर्यावरणीय सर्वेक्षण, गहरे समुद्र में खनिजों की खोज, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन आदि कार्यों में सहयोगी बन सकता है। इसके अतिरिक्त, यह पोत प्राकृतिक आपदाओं के समय तटीय इलाकों में राहत सामग्री पहुंचाने और बचाव कार्यों में भी अग्रणी भूमिका निभा सकता है।

निस्तार की यह विशेषता भी उल्लेखनीय है कि यह अत्यधिक समय तक समुद्र में बने रह सकता है और लगातार मिशन पर रह सकता है। इसका अर्थ है कि यह पोत कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अभियान को बिना बाधा के पूरा करने में सक्षम है। इससे भारतीय नौसेना को लंबी दूरी पर मौजूद अपनी पनडुब्बियों की सहायता के लिए समय पर पहुंचने में सुविधा होगी।

यह भी पढ़ें – नाटो के बढ़ते रक्षा बजट से भारत होगा मालामाल

भारत के समुद्री सामरिक क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए ऐसे जहाजों की आवश्यकता और भी अधिक हो जाती है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता और उसकी पनडुब्बी गतिविधियों की पृष्ठभूमि में ‘आईएनएस निस्तार’ जैसे जहाज न केवल निगरानी और जवाबदेही में मदद करेंगे बल्कि भारत की सामरिक प्रतिक्रिया क्षमताओं को भी मजबूत करेंगे।

भारतीय नौसेना की जीवन रेखा आईएनएस निस्तार

यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि आईएनएस निस्तार भारतीय नौसेना के लिए केवल एक जहाज नहीं बल्कि एक चलती-फिरती जीवनरेखा है। यह उन असंख्य नौसैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, जो देश की सीमाओं की रक्षा के लिए समंदर की गहराईयों में तैनात रहते हैं। साथ ही यह पोत भारत की समुद्री सीमाओं की रक्षा को और भी मजबूत करेगा। भविष्य में जब समुद्री सुरक्षा और रक्षा रणनीतियों की बात होगी तो आईएनएस निस्तार जैसे स्वदेशी और उन्नत जहाजों का नाम गर्व के साथ लिया जाएगा। यह जहाज भारत के समुद्री सुरक्षा ढ़ांचे को मजबूती प्रदान करेगा और वैश्विक मंच पर भारत को एक सशक्त समुद्री राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में अग्रसर रहेगा। बहरहाल, आईएनएस निस्तार भारत की केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है बल्कि यह भारत के स्वाभिमान, स्वदेशी कौशल और सामरिक तैयारी का प्रमाण है। जैसे ही यह नौसेना के बेड़े में औपचारिक रूप से शामिल होगा, भारत की समुद्री शक्ति एक ऐसे नए युग में प्रवेश करेगी, जहां भारत न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करेगा बल्कि समुद्र की गहराईयों में भी अपने स्वदेशी शौर्य का परचम लहराएगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Topics: India News In Hindidsvभारतीय नौसेनाdiving support vesselIndian NavynistarINS Nistar Indian Navyआईएनएस निस्तारDeep Sea Rescue Vessel IndiaINS Nistar Full AnalysisIndigenous Diving Support VesselIndian Navy Submarine RescueHSL built rescue shipIndian Ocean security IndiaDrone and Submarine OperationsIns nistar
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

आईएनएस तमाल और उदयगिरि हुआ भारतीय नौसेना में शामिल

भारत की समुद्री सीमाओं के अभेद्य प्रहरी हैं आईएनएस तमाल और उदयगिरि

INS Arnala

INS अर्नाला: भारत का नया समुद्री सूरमा, पनडुब्बियों का काल बनकर 18 जून को नौसेना में होगा शामिल

नौसैनिकों के बीच रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

भारतीय नौसेना की तैयारी देख पाकिस्तान का हौसला हो गया पस्त : नौसैनिकों के बीच बोले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

भारतीय नौसेना के समुद्री बेड़े में शामिल किये जाएंगे ‘प्राचीन सिले हुए जहाज’

समुद्री शक्ति के नए युग की शुरुआत : भारतीय नौसेना का मल्टी-रोल गेमचेंजर बनेगा राफेल मरीन

भारत और फ्रांस के बीच राफेल-एम सौदे पर हस्ताक्षर

पाकिस्तान के लिए आया नया संकट, भारत-फ्रांस में Rafale-M डील फाइनल

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

प्रयागराज में कांवड़ यात्रा पर हमला : DJ बजाने को लेकर नमाजी आक्रोशित, लाठी-डंडे और तलवार से किया हमला

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies