श्री गिरीश प्रभुणे को सम्मानित करते श्री भैयाजी जोशी
गत 12 जुलाई को पुणे में प्रख्यात समाजसेवी पद्मश्री गिरीश प्रभुणे के 75 वें जन्मदिवस (अमृत महोत्सव) पर एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी मंडल के सदस्य श्री भैयाजी जोशी ने उन्हें सम्मानित किया। श्री जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि गिरीश प्रभुणे में समाज में ईश्वर को देखने की दृष्टि विकसित हुई है।
उन्होंने ईश्वर की तरह ही समाज की सेवा की, जिसकी भक्ति का साधन कर्मशीलता थी। उन्होंने सफलता-असफलता की चिंता छोड़ निराशा को पास न आने देकर यह साधना पूरी की है। घुमंतू-विमुक्त और वंचितों के उत्थान के लिए गिरीश जी द्वारा शुरू किए गए इस यज्ञ में हम भी यथाशक्ति समिधा डालें।
समाज के वंचित घटक को शिक्षा की मुख्यधारा में लाने के लिए प्रभुणे काका ने 2006 में पुनरुत्थान समरसता गुरुकुलम् की स्थापना की। इसमें कौशल-आधारित शिक्षा दी जाती है। -पूनम गुजर, गुरुकुलम की प्रधानाचार्या
पद्मश्री गिरीश प्रभुणे ने कहा कि मुझ जैसे मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे एक कार्यकर्ता को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कारण घुमंतू-विमुक्तों की सेवा करने का अवसर मिला। वास्तव में घुमंतू समुदायों के काम के कारण ही मुझे संघ समझ में आया। यह मेरा कर्तृत्व नहीं, बल्कि संघ का है। पारधी समुदाय सहित अन्य घुमंतू जातियों का भी उत्थान हो रहा है। उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए अभी और दो-तीन पीढ़ियों तक कार्य करना होगा। ब
ता दें कि श्री गिरीश लगभग 50 वर्ष से घुमंतू जातियों के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं। उन्होंने घुमंतू-विमुक्त समुदायों के लिए ग्रामायण, यमगरवाड़ी परियोजना और पुनरुत्थान समरसता गुरुकुलम शुरू किया है। वे इन लोगों को शिक्षा के माध्यम से मुख्यधारा में लाने का कार्य कर रहे हैं।
यमगरवाड़ी परियोजना के समन्वयक महादेव गायकवाड़ ने कहा कि गिरीश जी के साथ उनकी पत्नी सहित पूरा परिवार ही इस कार्य में शामिल हो गया। गुरुकुलम की प्रधानाचार्या पूनम गुजर ने कहा कि समाज के वंचित घटक को शिक्षा की मुख्यधारा में लाने के लिए प्रभुणे काका ने 2006 में पुनरुत्थान समरसता गुरुकुलम् की स्थापना की। इसमें कौशल-आधारित शिक्षा दी जाती है। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक नाना जाधव, सांसद श्रीरंग बारणे सहित अनेक समाजसेवी उपस्थित रहे।
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