नई दिल्ली (हि.स.) । भारत ने अमेरिका और नाटो की रूस से कच्चे तेल की खरीद से जुड़ी धमकियों का जवाब दिया है। भारत ने कहा है कि इस मुद्दे पर दोहरे मापदंड नहीं अपनाये जाने चाहिए। वर्तमान वैश्विक परिदृष्य में हमारी ऊर्जा सुरक्षा सर्वोपरि है तथा बाजार की स्थिति के अनुरुप भारत कदम उठाएगा।
सैन्य संगठन नाटो के प्रमुख मार्क रूट की द्वितीयक प्रतिबंध की धमकी से जुड़े एक प्रश्न पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने गुरुवार को साप्ताहिक पत्रकार वार्ता में कहा कि हमने उनके बयान को देखा है तथा घटनाक्रम पर नजर बनाये हुए हैं। हम दोहराना चाहते हैं कि भारत की ऊर्जा आवश्यकता उसकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। इसे देखते हुए भारत के निर्णय बाजार के माहौल और वैश्विक हालात पर निर्भर होंगे। उन्होंने इस मामले में दोहरे मानदंड अपनाने के प्रति सतर्क भी किया।
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मार्क रूट ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात के बाद भारत, चीन और ब्राजील पर द्वितीयक प्रतिबंध लगाए जाने की धमकी दी थी। उन्होंने इन देशों से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर यूक्रेन युद्ध समाप्त करने को लेकर दवाब बनाने के लिए कहा था। उन्होंने चेताया था कि ऐसा नहीं करने पर भारत, चीन और ब्राजील को प्रतिबंध झेलने पड़ेंगे।
वास्तव में नाटो प्रमुख, राष्ट्रपति ट्रम्प की धमकी को दोहरा रहे थे। ट्रम्प ने कहा था कि अमेरिका रूस से कच्चा तेल खरीदने वाले देशों को दंडित करने के लिए उनके माल पर 100 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगाएगा। इस संबंध में यह भी उल्लेखनीय है कि अमेरिका के सीनेट में दोनों दलों के समर्थन से एक विधेयक पेश है जिसमें भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों के आयात पर पांच सौ प्रतिशत तक सीमा शुल्क लगाये जाने का प्रावधान है।
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यूक्रेन युद्ध के बाद से ही पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ प्रतिबंधात्मक कदम उठाये हैं। उसके तेल मूल्य की अधिकतम सीमा तय की गयी है ताकि रूस की सरकार को अधिक मुनाफा न हो पाये। रूसी कच्चे तेल का मूल्य बाजार में उपलब्ध अन्य स्रोतों से कम है। इसके मद्देनजर भारत पिछले तीन वर्षों से बड़ी मात्रा में रूस से कच्चे तेल का आयात कर रहा है।
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