पंजाब

पंजाब : पाकिस्तानी जासूस की निशानदेही पर एक और जासूस आरोपित गिरफ्तार

पंजाब पुलिस ने संगरूर के सैन्यकर्मी देविंदर सिंह को उरी से गिरफ्तार किया। ISI को सेना की गुप्त जानकारियाँ लीक करने का गंभीर आरोप।

Published by
राकेश सैन

पंजाब में पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वालों की गिरफ्तारी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पंजाब पुलिस के स्टेट स्पेशल ऑपरेशन सेल ने एक भारतीय सैन्यकर्मी को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

आरोपी सैन्यकर्मी की पहचान और गिरफ्तारी का स्थान

पंजाब पुलिस के महानिदेशक गौरव यादव के अनुसार, आरोपी की पहचान देविंदर सिंह, निवासी गांव निहालगढ़, शादीहारी, जिला संगरूर के रूप में हुई है। उसे जम्मू और कश्मीर के उरी, जिला बारामूला से गिरफ्तार किया गया है।

पूर्व फौजी की गिरफ्तारी से खुला राज़

यह गिरफ्तारी पहले गिरफ्तार किए गए पूर्व फौजी गुरप्रीत सिंह उर्फ फौजी से पूछताछ के आधार पर की गई। गुरप्रीत, सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारियाँ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े लोगों को भेजता था।

जेल में रहते हुए भी जारी था जासूसी नेटवर्क

स्टेट स्पेशल ऑपरेशन सेल ने कुछ दिन पहले गुरप्रीत सिंह को फिरोजपुर जेल से प्रोडक्शन वारंट पर लाकर गिरफ्तार किया था। पूछताछ के दौरान उसने स्वीकार किया कि उसका संपर्क आईएसआई के एजेंटों से था और वह सेना की गोपनीय सूचनाएँ उनके साथ साझा करता था।

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गुरप्रीत ने यह भी बताया कि वह सेना में कई स्थानों पर तैनात रहा है और वहां उसकी कई सैन्य अधिकारियों से गहरी जान-पहचान है। वह जेल से ही इन जानकारियों को मंगवाया करता था, जो उसे सेना के सक्रिय जवानों से मिलती थीं।

पुणे प्रशिक्षण शिविर से शुरू हुई थी जान-पहचान

जांच में सामने आया है कि देविंदर सिंह और गुरप्रीत सिंह वर्ष 2017 में पुणे स्थित सेना प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षण के दौरान एक-दूसरे के संपर्क में आए थे और तब से संपर्क में बने हुए थे।

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इसके बाद उन्होंने सिक्किम और जम्मू-कश्मीर में सेवा के दौरान कई सैन्य कार्य एक साथ किए। इस दौरान दोनों को सेना से संबंधित गोपनीय दस्तावेज भी प्राप्त हुए, जिनमें से कई दस्तावेज गुरप्रीत ने आईएसआई को भेजे।

देविंदर सिंह की भूमिका की गहराई से जांच जारी

प्रारंभिक पूछताछ में देविंदर सिंह की भूमिका सामने आने लगी है, लेकिन पंजाब पुलिस के अनुसार, अभी जांच जारी है और आने वाले दिनों में यह स्पष्ट हो सकेगा कि वह किस हद तक इस जासूसी नेटवर्क में शामिल था।

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