सुप्रीम कोर्ट ने एक कार्टूनिस्ट की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की, जिस पर आरोप है कि उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और RSS का अपमान करने वाला कार्टून बनाया। सोमवार को सुनवाई के दौरान जज सुधांशु धूलिया और अरविंद कुमार ने कार्टूनिस्ट के व्यवहार पर नाराजगी जताई और कहा कि ऐसा काम समाज में आपसी सौहार्द को नुकसान पहुँचा सकता है। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार तक के लिए टाल दी है। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने कहा, “आपने इन लोगों का व्यवहार देखा है, इनमें कोई संवेदनशीलता नहीं है।” जस्टिस धूलिया ने पूछा, आप ऐसा क्यों करते हैं?
“कार्टून खराब या घटिया हो सकता है”
इस मामले में हेमंत मालवीय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में मशहूर अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर पेश हुईं। उन्होंने दलील दी कि भले ही वह कार्टून घटिया या असंवेदनशील हो, पर यह आवश्यक नहीं कि उसे आपराधिक कृत्य माना जाए। वृंदा ग्रोवर ने कहा, “मैं यह नहीं कह रही कि कार्टून सही है, लेकिन यह एक अपराध नहीं है। हालाँकि, पीठ ने इन दलीलों से पूरी तरह सहमति नहीं जताई। जजों ने कहा, “बाद में ये लोग कहते हैं कि माफी मांगते हैं, केस खत्म कर दो। पहले आप कुछ भी कर लीजिए, फिर माफी मांग लीजिए, ये तो तरीका नहीं है। हम अभी कोई राहत नहीं दे रहे।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समाज में शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी हर नागरिक की है और जो लोग अपनी अभिव्यक्ति का दुरुपयोग करते हैं, वे समाज के सौहार्द को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे में अदालत को सावधानी से फैसला लेना होगा।
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कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय के वकील ने अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल ने विवादित कार्टून को हटाने के लिए अपनी सहमति दे दी है और भविष्य में इस प्रकार की गलती नहीं दोहराने का आश्वासन भी दिया है। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने कार्टूनिस्ट को कोई अंतरिम राहत नहीं दी है। यानी अभी उन्हें अग्रिम ज़मानत नहीं मिली है। अब इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार, 16 जुलाई 2025 को होगी। उसी दिन यह तय किया जाएगा कि हेमंत मालवीय को अग्रिम जमानत दी जा सकती है या नहीं।
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