अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो (DRC) के पूर्वी क्षेत्र इरुमु में स्थित वाल्से वोनकुतु गांव में इस्लामिक स्टेट (ISIS) से जुड़े आतंकवादी समूह अलाइड डेमोक्रेटिक फोर्सेस (ADF) ने बर्बर हमला कर महिलाओं और बच्चों समेत 66 लोगों की बेरहमी से गला काटकर हत्या कर दी है। यह हमला युगांडा की सीमा के पास हुआ है। हमलावरों ने बड़े चाकू से लोगों को मौत के घाट उतारा। इनके नजरिए से देखें तो उन्होंने गैर मुसलमानों के प्रति जिहाद किया है। स्थानीय सिविल सोसाइटी के अध्यक्ष मार्सेल पालुकु के अनुसार, ये हमलावर कितने लोगों को अगवा किया कर ले गए हैं, इसकी सटीक जानकारी अभी तक नहीं मिली है।
IS से जुड़ा है आतंकी संगठन अलाइड डेमोक्रेटिक फोर्सेस
उल्लेखनीय है कि अलाइड डेमोक्रेटिक फोर्सेस एक इस्लामिक समूह है, जो मूल रूप से युगांडा से उत्पन्न हुआ, जिसने 2019 में इस्लामिक स्टेट (ISIS) के प्रति निष्ठा की शपथ ली। यह समूह डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो के पूर्वी हिस्से में सक्रिय है और वहां के नागरिकों को निशाना बनाता है। इसके हमलों में महिलाओं, बच्चों और निर्दोष नागरिकों की हत्या की घटनाएं आम हैं। इन हमलों का उद्देश्य स्थानीय आबादी में आतंक फैलाना और क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा देना है।
इस्लामी संगठनों के विलय से बना है आतंकी संगठन
यह समूह युगांडा के विभिन्न इस्लामी संगठनों के विलय से बना, जिसमें प्रमुख भूमिका जमीअत उल-दावा अल-इस्लामिया और तबलीग जमात से जुड़े कट्टरपंथी लोगों की रही। प्रारंभ में इसका मुख्य उद्देश्य युगांडा की सरकार (विशेष रूप से राष्ट्रपति योवेरी मुसवेनी की सरकार) को इस्लामी शासन में बदलना था, लेकिन जल्द ही इसने पूरी तरह से इस्लाम के लिए जिहाद करने के लिए अपने काम की घोषणा कर दी। अब तक एडीएफ ने दर्जनों गांवों में हमले किए हैं, जिसमें हजारों नागरिक मारे जा चुके हैं। इसका मुख्य कार्य अपहरण, बलात्कार, बच्चों की जबरन भर्ती और हत्या करना है। प्राय: ये हमले गैर मुसलमानों पर किए जाते हैं, इनके बच्चों को अगवा कर ये संगठन उनका माइंडवॉश करता है फिर उन्हें लड़ाकों के रूप में इस्तेमाल करता है।
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UN और अफ्रीकी यूनियन को खतरा मानते हैं आतंकी संगठन
ये इस्लामिक संगठन पिछले एक साल में ही कांगो और युगांडा में कई बम धमाके और सामूहिक हत्याएं करने का दोषी है। यही कारण है कि यूएन और अफ्रीकी यूनियन दोनों ही इसे एक गंभीर सुरक्षा खतरे के रूप में देखते हैं और यहां इसके खिलाफ संयुक्त सैन्य अभियान चलाया हुआ है। अमेरिका ने इसे एक विदेशी आतंकवादी संगठन (Foreign Terrorist Organization – FTO) घोषित कर रखा है। कांगो और युगांडा की सेनाएं संयुक्त रूप से इसके खिलाफ सैन्य अभियान चला रही हैं, जिसे “Operation Shujaa” कहा जाता है।
शरिया की करते हैं वकालत
जहां तक इसकी विचारधारा की बात है, तो ये कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा, जो शरिया कानून आधारित शासन की वकालत करती है और अपने नजरिए से काफिरों, गैर मुसलमान नागरिकों, चर्चों, स्कूलों और अस्पतालों पर हमले करना ही इसका मुख्य कार्य बताती है। हाल ही में हुए इस हमले को लेकर संयुक्त राष्ट्र मिशन के प्रवक्ता जीन टोबी ओकाला ने इसे ‘खून का सैलाब’ लाने वाला करार दिया। उन्होंने बताया, ‘गुरुवार और शुक्रवार को वाल्से वोनकुतु चीफडम में करीब 30 लोग मारे गए थे, लेकिन अब सिविल सोसाइटी से मिली जानकारी के आधार पर मरने वालों की संख्या बढ़कर 66 पर जा पहुंची है।
मारे गए सैकड़ों लोग
इस आतंकवादी संगठन के प्रमुख हमलों की संक्षिप्त रिपोर्ट (2016–2025) देखें तो 2016 में किए गए इसके हमलों में कम से कम 101 लोग मारे गए थे। 2020 जून से शुरू होकर इसके विभिन्न हमलों में 2021 तक लगभग 800 लोग जो कि सभी निर्दोष नागरिक थे, मार दिया गया था। 2022 अगस्त में किए गए नौ ग्रामों पर इसके हमले 54 से अधिक लोगों की मौत का कारण बने। फिर 2023 जून (उगांडा) मोंडवे स्कूल पर हमला किया गया और 42 लोगों को बच्चों समेत मार गिराया गया। इसके बाद 2024 फरवरी में बेनी और मम्बासा में संयुक्त हमले कर 24 लोगों की हत्या कर दी गई। फिर मई 2024 में फिर से इसने बेनी क्षेत्र में हमला बोलकर 80 लोगों को मार गिराया। पिछले साल की तरह इस साल भी इस आतंकी संगठन की गतिविधियां चल रही हैं। यह आम लोगों को इस्लामी जिहाद के नाम पर मौत के घाट उतार रहा है। 2025 जनवरी–मार्च के बीच ही माकोको में 10 लोग मारे जा चुके हैं। 27 जनवरी को इसके द्वारा किए गए जेल हमले में 150 से अधिक महिलाएँ और बच्चे घायल कर दिए गए थे, अनेकों को मार दिया गया।
इसी तरह से 2 फरवरी को इस आतंकी संगठन ने इतुरी में 28 लोग मारे । 25–26 फरवरी को इतुरी में ही 23 लोग मार दिए गए। इस साल के मार्च में तीन अस्पतालों पर हमले करते हुए यह संगठन 130–150 लोग अपहृत कर अपने साथ ले गया। एक रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2025 में इतुरी में हाल ही में हुए हमलों में कम से कम 23 लोग मारे गए, जिनमें 17 बेनी में मारे गए हैं। कुल मौतों का आकलन यदि देखें तो 2019–2020 यूएन रिपोर्ट के अनुसार 793 से अधिक हत्याओं का दर्ज है । 2021–2024 में हर साल सैकड़ों लोग इसके द्वारा मार दिए गए। 2022 में 54 तो 2024 में 137 लोग इस संगठन द्वारा मार दिए गए। वहीं, 2025 (जनवरी–मार्च) के बीच ही एडीएफ द्वारा करीब 260 से अधिक लोगों को मौत के घाट उतारा गया है।
कुल मिलाकर एडीएफ अब तक हज़ारों निर्दोष नागरिकों की जान ले चुका है। जिसमें कि इसके नजरिए से देखें तो इस संगठन का कहना यही रहता है कि वह गैर मुसलमानों के प्रति जिहाद कर रहा है। वास्तव में ये जिहाद उन लोगों के मुंह पर तमाचा है, जो कि इस शब्द का सरलीकरण करते हैं और जिहाद को आतंक का पर्याय नहीं मानते।
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