जब भारत के अस्तित्व को ही मिटाने का प्रयास योजना से किया गया हो, तब फिर यह बहुत बड़ी चुनौती उस हिन्दू समाज के सामने है, जिसके कारण से विभाजन के बाद भी भारत की असली पहचान दुनिया में आज भी बनी हुई है। इसलिए सच पूछिए तो निपटना भी उसे ही इस समस्या से है। क्या वह इसी तरह अपने बीच कन्वर्जन होता देखेगा या मतांतरण के लिए सख्त कदम भी उठाएगा? यह आज का सबसे बड़ा प्रश्न है।
छांगुर का सच : एक ‘मौलाना’ या जिहादी एजेंट?
जलालुद्दीन उर्फ छांगुर मौलाना का मामला जब सामने आया तो कई लोगों को लग रहा होगा कि अरे; ऐसा भी है! किंतु ऐसा कब से है, विचारणीय यह है, और इसमें कितने लोग लगातार योजना से अपने मतांतरण कार्य को अंजाम दे रहे हैं, बिना इस चिंता के कि भारत का कानून उन्हें इसके लिए क्या सजा देगा!
गज़वा-ए-हिंद की जहरीली सोच
वस्तुत: कभी-कभी यह सोचकर भी आश्चर्य होता है कि कैसी मजहबी मतान्धता है! मतांतरण के खेल में लगे इन इस्लामिक जिहादियों को न कानून का भय है, न कोई नैतिकता का प्रश्न। यदि कुछ इनके पास नजर आता है तो वह है गजबा-ए-हिंद की गंदी सोच के लिए अपने जीवन को तबाह कर देने की चाह। हालांकि इनकी नजर में ये कोई तबाह हो जाने की सोच नहीं है, किंतु भारत को जरूर ये तबाह करने का काम कर रहे हैं।
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मतांतरण के लिए 500 करोड़ की विदेशी फंडिंग
देखा जाए तो इसी गजवा-ए-हिंद की सोच का एक हिस्सा भर है ये छांगुर बाबा। मतांतरण केस में पकड़े गए इस इस्लामिक बाबा को लेकर जो कई सच सामने आए हैं, उसमें से एक यह भी है कि तीन सालों के अंदर ही छांगुर ने दुनिया के कई इस्लामिक देशों से 500 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग ली।
पाकिस्तान, दुबई, तुर्की और सऊदी से हुई जिहादी फंडिंग
जिन मुस्लिम देशों का नाम यहां सबसे ज्यादा बार सामने आ रहा है, उनमें पाकिस्तान, दुबई, सऊदी अरब और तुर्की हैं। भारत का इस्लामिकरण करने के लिए उक्त राशि भारत लाई गई थी, और फिर छांगुर बाबा ने इसी पैसे से कई हिन्दू लड़कियों का ब्रेनवॉश करवाया। संख्या भी सामने आई है लगभग 4 हजार से अधिक लड़कियों को निशाना बनाया गया, जिसमें से 1500 से अधिक हिन्दू लड़कियों का मतांतरण हो गया। इनमें कई नाबालिग भी रहीं।
कन्वर्जन की ‘रेट लिस्ट’ : जाति के आधार तय थी रकम
कहना होगा कि उसकी हिन्दू लड़कियों के कन्वर्जन की रेटलिस्ट वास्तव में भारत की ‘धर्मनिरपेक्षता’ के मुंह पर तमाचा है। या कहें संविधान में वर्णित पंथनिरपेक्षता का खुला मजाक है। छांगुर ने हिंदू लड़कियों में भी ब्राह्मण, क्षत्रिय, ओबीसी, अनुसूचित जाति और जनजाति के हिसाब से मतांतरण की रेट लिस्ट बनाई।
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जलालुद्दीन उर्फ छांगुर सबसे ज्यादा ब्राह्मण और क्षत्रिय राजपूत लड़कियों को इस्लाम कबूल करवाने के लिये 15 से 16 लाख रुपये मुसलमान युवक को देता। पिछड़ी जाति वर्ग की हिंदू लड़की को कोई मुसलमान इस्लाम में कन्वर्ट कराता तो उसे इसकी ओर से 10 से 12 लाख रुपये दिए जाते। वहीं, अन्य हिंदू अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग की लड़कियों के इस्लामीकरण के लिए ये 08 से 10 लाख रुपये की कीमत मुस्लिम युवक को देता। यानी कि धन की दम पर कन्वर्जन।
लव जिहाद : प्रायोजित मजहबी अभियान
देश में कई लोगों को आज भी ‘लव जिहाद’ शब्द के उपयोग पर आपत्ति है, वे यह कहकर हिन्दुत्त्वनिष्ठ संगठनों की आलोचना भी करते हैं, किंतु अब जो सामने दिख रहा है, उसका क्या करें..? आज देश में जहां भी जाओ वहीं कोई जलालुद्दीन उर्फ छांगुर इस्लामिक कन्वर्जन जिहाद करता मिलता है।
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मध्य प्रदेश के इंदौर में अभी कुछ दिन पहले ही सामने आया कि कैसे कांग्रेस का एक पार्षद अनवर कादरी उर्फ अनवर डकैत मतांतरण करा रहा था। बाद में हिन्दू युवतियों को देह व्यापार में धकेलने का काम करता । अब तक न जाने कितने इस्लामियों को यह 01 से 02 लाख रुपए लव जिहाद करने के लिए देता रहा है। इसकी अपराधिक प्रवृत्ति देखें, उसके खिलाफ 19 आपराधिक मामले दर्ज हैं। सबसे बड़ी बात कि इतने अधिक अपराध करने के बाद भी वह जनप्रतिनिधि है। उसके नजरिए से तो वह काफिरों को ईमानवाला बना रहा है। यह उसका कोई गुनाह है ही नहीं! फिर भले ही देश का कानून जो भी कहे। भोपाल, सागर, उज्जैन में भी सामुहिक लव जिहाद के षड्यंत्र उजागर हुए हैं। इन सभी में यही उद्देश्य सामने आया है कि कैसे भी इस्लामिक कन्वर्जन करवाना है।
हर जगह ‘नाम बदलकर’ खेला जा रहा कन्वर्जन का खेल
आज देश का कोई भी प्रदेश ऐसा नहीं है, जहां पर नाम बदलकर प्रेम का नाटक फिर संबंध बनाने के बाद अपनी असली पहचान उजागर करने, मतांतरण के लिए दबाव बनाए जाने की शिकायतें सामने न आई हों। अनेक प्रकरणों में पॉक्सो के मामले दर्ज किए गए हैं। वस्तुत: ये इस्लामिक जिहादी इतने धूर्त हैं, कि इन्होंने हिन्दू बच्चियों के 18 वर्ष पूर्ण होने तक उनके बालिग हो जाने का भी इंतजार नहीं किया।
‘लव जिहाद’ का उद्देश्य जनसांख्यिकीय युद्ध
इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश के ही बरेली न्यायालय में एक प्रकरण की सुनवाई के दौरान पिछले साल अक्टूबर 2024 में जो न्यायाधीश ने कहा, वह स्मरण हो आता है। वस्तुत: यहां की एक स्थानीय अदालत ने कहा, ‘लव जिहाद’ का उद्देश्य जनसांख्यिकीय युद्ध और अंतरराष्ट्रीय साजिश के जरिए भारत के खिलाफ एक विशेष धर्म के कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा प्रभुत्व स्थापित करना है।
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देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए बड़ा खतरा
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक कोर्ट) रवि कुमार दिवाकर कहते हैं कि हिंदू लड़कियों को अवैध मतांतरण के लिए “प्यार” में फंसाया जा रहा है और भारत में पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसी स्थितियां पैदा की जा रही हैं। उन्हें यहां तक कहना पड़ा कि अवैध मतांतरण देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए बड़ा खतरा है।
न्यायाधीश ने पाया कि मोहम्मद अलीम ने ‘आनंद’ बनकर एक छात्रा को धोखा दिया। लड़के के पिता ने भी अपने बेटे का साथ दिया। तब न्यायाधीश दिवाकर ने चेतावनी दी कि, “यहां पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसी स्थितियां पैदा करने की साजिश चल रही है।” अदालत ने कहा, मनोवैज्ञानिक दबाव और शादी व नौकरी जैसे प्रलोभनों के ज़रिए मतांतरण कराया जा रहा है।
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न्यायाधीश ने कहा, “संविधान प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने और उसका प्रचार करने का मौलिक अधिकार देता है और ‘लव जिहाद’ द्वारा किए गए अवैध मतांतरण के जरिए इस व्यक्तिगत स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता।” न्यायालय द्वारा विदेशी फंडिंग को लेकर भी चिंता जताई गई। साथ ही कहा था कि अगर इस मुद्दे का समय रहते समाधान नहीं किया गया, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
जिहादी सोच को नहीं है कानून का भय
यहां विचार अवश्य करना चाहिए कि उत्तर प्रदेश सरकार ने विशेष रूप से “लव जिहाद” के माध्यम से अवैध मतांतरण से निपटने के लिए उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धार्मिक मतांतरण निषेध अधिनियम, 2021 लागू किया है। इसके बाद भी इन इस्लामिक जिहादियों को इस कानून का कोई भय नहीं है।
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कहना होगा कि उत्तर प्रदेश ही क्यों, देश में इस वक्त कई राज्यों में इस तरह का कानून बनाया गया है, जिसे आज सभी मतांतरण विरोधी कानून के रूप में जानते हैं। उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा में इस तरह का कानून किसी न किसी रूप में है। सजा के सख्त प्रावधान किए गए हैं, किंतु इसके बाद भी इस्लामिक जिहादी अपने लव जिहाद समेत हर उस षड्यंत्र को छोड़ने को तैयार नहीं दिखते जो किसी भी रूप में क्यों न हो, मजहबी कन्वर्जन कराता है।
सभी की चिंता में यह होना चाहिए कि आखिर भारत में उनकी यह सोच विकसित कैसे होती है! सच पूछिए तो सही प्रहार उस सोच एवं कारणों पर करने की आवश्यकता है।
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