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Bangladesh: ढाका में हिंदू व्यापारी की बेरहमी से हत्या, बांग्लादेश में 330 दिनों में 2442 सांप्रदायिक हमले

ढाका में हिंदू व्यापारी लाल चंद सोहाग की बेरहमी से हत्या और बांग्लादेश में 330 दिनों में 2442 सांप्रदायिक हमलों ने अल्पसंख्यकों पर बढ़ती हिंसा को उजागर किया। यूनुस सरकार पर उठ रहे हैं सवाल।

Published by
Kuldeep Singh

मुहम्मद यूनुस की अगुवाई में इस्लामिक कट्टरता का राह पर आगे बढ़ रहे बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के हालात बुरे हैं। हाल ही में बांग्लादेश की राजधानी ढाका में 43 साल के स्क्रैप व्यापारी लाल चंद सोहाग की बेरहमी से हत्या कर दी गई। यह वारदात पुराने ढाका के मिटफोर्ड अस्पताल के पास दिनदहाड़े हुई। लाल चंद को बुरी तरह पीट-पीटकर मार डाला गया। इस हत्याकांड का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोग गुस्से में सड़कों पर उतर आए। छात्रों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए। यह घटना बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा का एक और सबूत बन गई।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सोहाग की ‘सोहाना मेटल’ नाम से कबाड़ की दुकान है। बताया जाता है कि सोहाग की बाजार में अच्छी पकड़ थी। इस धंधे में महमुदुल हसन मोहिन और सरवर टीटू, जो कि उनके प्रतिद्वंद्वी हैं, ने उनसे उनके धंधे में 50 फीसदी की हिस्सेदारी की मांग की थी। पिछले कई माह से वो उनसे रंगदारी मांग रहे थे। बीते बुधवार को सोहाग उन्हें अकेले मिल गए तो मोहिन ने चार-पांच साथियों संगमिलकर उन्हें पत्थरों से मारा। इसके बाद उन्हें नंगा कर दिया। सोहाग की मौके पर ही मौत हो गई।

पुलिस का दावा

पुलिस ने इस हत्या को स्क्रैप कारोबार और दुकान के नियंत्रण को लेकर हुए झगड़े से जोड़ा। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की युवा शाखा के दो नेताओं को इस मामले में पार्टी से निकाल दिया गया। पुलिस का कहना है कि हत्या के पीछे न तो सियासत थी और न ही उगाही का मकसद। लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग ने इसे यूनुस सरकार के तहत “भीड़तंत्र” का नमूना बताया। उनका कहना है कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को रोकने में सरकार पूरी तरह नाकाम रही है।

सालभर में हिंसा की 2000 से अधिक वारदात

इस बीच बांग्लादेश हिंदू बौद्ध क्रिश्चियन यूनिटी काउंसिल की एक रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया। इसमें बताया गया कि 4 अगस्त 2024 से अगले 330 दिनों में देश में 2,442 सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं। इनमें हत्याएं, यौन हमले, मंदिरों और घरों पर हमले, लूटपाट और अल्पसंख्यकों को जबरन संगठनों से निकालना शामिल है। खासकर 4 से 20 अगस्त 2024 के बीच, जब शेख हसीना की सरकार गिराई गई, तब सबसे ज्यादा हिंसा हुई। काउंसिल के मनींद्र कुमार नाथ ने कहा कि यूनुस सरकार इन घटनाओं को नजरअंदाज कर रही है और इन्हें सियासी रंग देकर खारिज कर रही है।

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अल्पसंख्यकों के साथ हिंसा पर चुप्पी

मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में नाकाम रहने का आरोप है। 2022 की जनगणना के मुताबिक, बांग्लादेश में हिंदू 7.95% आबादी के साथ सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय हैं। फिर भी, सरकार पर हिंसा रोकने के लिए ठोस कदम न उठाने और दोषियों को बचाने के इल्जाम लग रहे हैं। अवामी लीग का कहना है कि बीएनपी हिंदुओं और अल्पसंख्यकों को डराकर देश छोड़ने के लिए मजबूर कर रही है।

दुनियाभर में चिंता

यूनुस सरकार की निष्क्रियता ने दुनिया भर का ध्यान खींचा है। यूनाइटेड किंगडम के सांसदों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने को कहा। लंदन में एक सेमिनार में 5 अगस्त से 20 सितंबर 2024 के बीच हिंदुओं के खिलाफ 2,010 हिंसक घटनाओं का जिक्र हुआ। हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी संगठनों की खुली गतिविधियों पर भी सवाल उठे।

बांग्लादेश अस्थिरता की गर्त में जा रहा

लाल चंद की हत्या और सांप्रदायिक हिंसा की बढ़ती घटनाएं बांग्लादेश में कानून-व्यवस्था की खराब हालत को दिखाती हैं। यूनुस सरकार के लिए यह बड़ा इम्तिहान है कि वह हिंसा रोके और अल्पसंख्यकों का भरोसा जीते। पूरी दुनिया की नजर अब सरकार के अगले कदमों पर है।

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