भारत

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

स्वामी दीपांकर की भिक्षा यात्रा ने एक करोड़ हिंदुओं को जाति से ऊपर उठने का संकल्प दिलाया। अब यह यात्रा कांवड़ यात्रा से जुड़कर एकता का संदेश दे रही है।

Published by
Mahak Singh

23 नवंबर 2022 को शुरू हुई स्वामी दीपांकर की भिक्षा यात्रा भारत को एकजुट कर रही है। एक करोड़ हिंदू जातियों में न बंटने का संकल्प ले चुके हैं। अब अगला पड़ाव कांवड़ यात्रा है। भिक्षा यात्रा के दौरान अति व्यस्त समय में स्वामी दीपांकर ने पाञ्चजन्य से विशेष बातचीत की।

स्वामी दीपांकर ने बताया कि भिक्षा यात्रा के 900 से ज्यादा दिन हो गए हैं। हिंदुओं को एकजुट करने की यह यात्रा एक करोड़ लोगों को जोड़ चुकी है। इन एक करोड़ लोगों ने जातियों में न बंटने का संकल्प लिया है। सात राज्य उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा , बिहार, मध्य प्रदेश समेत सात राज्यों में 18 हजार किलोमीटर की दूरी तय हो गई है। अपनों को जोड़ने के लिए संन्यासी को यह प्रयास करना चाहिए। न मुझे मुस्लिम से दिक्कत है और न ही ईसाई से मुझे उनसे दिक्कत है जो हिंदुओं को बांटते हैं। हम एक होकर रहेंगे तो हमें कोई आंख नहीं दिखाएगा और न ही जुल्म करेगा। सनातनियों का एक ही स्थान है, और वह है हिंदुस्थान। अपनी इस यात्रा के दौरान मैं 23 लाख लोगों से एक-एक कर मिला हूं। हमारे पास 70 लाख मिस्ड कॉल आई हैं। हिंदू के एकीकरण की यह यात्रा अब कांवड़ यात्रा से जुड़ेगी।

सावन, सनातन और शिव हमेशा जोड़ते हैं

सावन, सनातन और शिव हमेशा जोड़ते हैं। जातियों में बंटे हिंदुओं को एक करने के लिए भिक्षा यात्रा पर पग बढ़ाते स्वामी दीपांकर कहते हैं कि जैसा हमारा भोला है, वैसे ही हम भी भोले हैं। कांवड़ यात्रा में चलने वाला हर कांवड़िया भोला है। कांवड़ यात्रा हमें जोड़ती है। हर जाति के लोग इसमें होते हैं, लेकिन उनकी पहचान सिर्फ और सिर्फ भोला है। सभी शिव के भक्त हैं। जिन लोगों का जातियों को बांटकर काम चलता है, उनके लिए यह नसीहत जैसा है। महाकुंभ भी इसका उदाहरण है। करोड़ों लोगों ने संगम में डुबकी लगाई। इनमें से हम जाति नहीं गिन सकते। इसी तरह जगन्नाथ रथ यात्रा में 20 से 21 लाख लोग जुटे। इनमें से क्या आप जाति गिनेंगे।

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कांवड़ यात्रा भारत को जोड़ती है

कांवड़ यात्रा भी भारत को जोड़ती है। भगवान शिव की तरह संयमित रहें। उन्हें हम क्यों अवसर दें जो इस ताक में रहते हैं कि कैसे कांवड़ियों को बदनाम किया जाए। उन्होंने यह भी अपील की कि जब कांवड़ पर होते हैं तो भोला होते हैं तो जीवन में हिंदू क्यों नहीं। भिक्षा यात्रा के दौरान हम महादेव के भक्तों से मिलेंगे। कांवड़िये भी जाति में न बंटने का संकल्प लेंगे।

कांवड़ में जाति से ताल्लुक नहीं रखते

यह महाकुंभ उन लोगों के लिए एक सबक की तरह है जो लोगों को जाति के आधार पर बांटकर काम करते हैं। उसमें जाति नहीं गिन सकते। जगन्नाथ रथ यात्रा में 20 – 21 लाख लोगों की जाति नहीं गिन सकते।

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