UK Skirt Ban: स्कूलों में हिजाब बैन करने की जगह स्कर्ट्स पर प्रतिबंध, समावेशिता या इस्लामिक तुष्टिकरण ?
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UK Skirt Ban: स्कूलों में हिजाब बैन करने की जगह स्कर्ट्स पर प्रतिबंध, समावेशिता या इस्लामिक तुष्टिकरण ?

ब्रिटेन के नॉर्दन एजुकेशन ट्रस्ट ने स्कूलों में स्कर्ट पर प्रतिबंध लगाकर ट्राउजर अनिवार्य कर दिया, जिसे समावेशिता बताया जा रहा है। अभिभावकों का गुस्सा और इस्लामीकरण व ट्रांसजेंडर दबाव समूहों के प्रभाव की चर्चा।

by सोनाली मिश्रा
Jul 11, 2025, 01:33 pm IST
in विश्व
Britain Schools ban Skirts

प्रतीकात्मक तस्वीर

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UK Skirt Ban: ब्रिटेन के कुछ स्कूलों में अब लड़कियां स्कर्ट के स्थान पर ट्राउजर पहनेंगी। बताया गया कि यह कदम ‘समानता और समावेशीकरण’ के लिए उठाया जा रहा है। नॉर्दन एजुकेशन ट्रस्ट, जोकि टीसाइड (Teesside ) में छह सेकेंडरी स्कूल चला रहा है, उसने अभिभावकों को स्कूल यूनीफॉर्म की बदली हुई नीति के विषय में लिखकर बताया कि यह नीति सितंबर 2026 से प्रभाव में आएगी।

इसको लेकर अभिभावकों के बीच गुस्सा है। डेलीमेल के अनुसार एक अभिभावक ने इस ट्रस्ट के इस निर्णय का विरोध किया है। नई यूनिफ़ॉर्म पॉलिसी में स्कर्ट पहनने पर प्रतिबंध है और यह कहा गया है कि “सभी विद्यार्थी टेलर्ड स्कूल ट्राउजर पहनेंगे!”

ट्रस्ट का कहना है कि उसने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि यह समानता और समावेशीकरण को प्रोत्साहित करता है। इस कदम से बच्चे स्कूल के वातावरण में और भी खुलकर सीख पाएंगे। यह कदम कुछ अभिभावकों को बिल्कुल भी पसंद नहीं आया है।

समावेशिता के नाम पर इस्लामिक तुष्टिकरण

एक महिला जिसकी बेटी ट्रस्ट वाले स्कूल में जाती है, उसने कहा कि उनकी बेटी और उसकी कई सहेलियां इस कदम से बहुत ही हताश हैं। उन्होंने कहा, “कई लड़कियां अपनी लैंगिक पहचान जाहिर करने के लिए स्कर्ट पहनना पसंद करती हैं। यह घोर स्त्री-द्वेष है। इसमें कुछ भी खुलापन, आधुनिकता और समावेशीपन नहीं है।“ यह बात वास्तव में उचित है कि आखिर कैसे स्कर्ट हटाकर अधिक समावेशी हुआ जा सकता है?

स्कर्ट के मसले पर क्या कहा ट्रस्ट ने

वहीं, ट्रस्ट का कहना है कि उसने यह कदम कई विद्यार्थियों से बात करने के बाद ही उठाया है। उसने अपने द्वारा संचालित स्कूलों के लिए एक पत्र जारी करते हुए लिखा था कि सितंबर 2026 से यूनिफ़ॉर्म के नियम बदल जाएंगे और स्कर्ट के लिए कोई विकल्प ही नहीं रह जाएगा। ट्रस्ट ने यह भी लिखा, “यह निर्णय ट्रस्ट के सभी हितधारकों से सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श और प्रतिक्रिया के बाद लिया गया है, जहां एक अधिक व्यावहारिक, समावेशी और सुसंगत यूनिफ़ॉर्म नीति के लाभों पर प्रकाश डाला गया है। सभी विद्यार्थियों के लिए ट्राउज़र पहनने का निर्णय समानता और समावेशिता को बढ़ावा देता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी छात्र सहज और समर्थित महसूस करें। ‘ट्राउज़र स्कूल के पूरे दिन सक्रिय रूप से सीखने और गतिविधियों के लिए अधिक व्यावहारिक हैं, जबकि वर्दी संबंधी आवश्यकताओं को सरल बनाने से परिवारों के लिए लागत कम करने में मदद मिलती है।“

इसे भी पढ़ें: खालिस्तानी आतंकी का कपिल शर्मा के कैफे पर हमला: कनाडा में कानून व्यवस्था की पोल खुली

जहां ट्रस्ट का कहना यह है कि उसने यह कदम इसलिए उठाया है कि वह स्कूल्स में समावेशीकरण के माहौल को बढ़ा सके, तो वहीं लोगों का कहना है कि कथित अल्पसंख्यक समाज की पसंद ने एक बार फिर से बहुसंख्यक समाज की पसंद पर डाका डाल दिया।

स्कूल में हिजाब बैन करने की जगह स्कर्ट्स पर प्रतिबंध

सोशल मीडिया पर भी लोग यही कह रहे हैं कि जहां स्कूलों में हिजाब आदि पर प्रतिबंध लगाना चाहिए था, वो तो हुआ नहीं, उलटे स्कर्ट ही प्रतिबंधित हो रही है। डॉना लुइस यूजर ने लिखा कि आखिर इस देश में क्या हो रहा है। क्या लड़कियों को केवल इसलिए खुद को कवर करके रखना होगा कि गलत मानसिकता के लोग जो यहां आए हैं, वे खुद को कंट्रोल नहीं कर सकते?”

लोगों ने कहा कि उन लोगों को नियंत्रित करना चाहिए, जो स्कर्ट देखकर उत्तेजित होते हैं, या स्कर्ट के नीचे पैर देखकर उत्तेजित हो जाते हैं। मगर इसके स्थान पर स्कर्ट को ही प्रतिबंधित किया जा रहा है।

एक यूजर ने लिखा कि ऐसे लोग कमजोर होते हैं। अगर स्कर्ट के कारण आप खुद को समावेश नहीं कर पा रहे हैं, तो आपको खुद को इस दुनिया से ही हटा लेना चाहिए।

लोगों ने कहा – महिला विरोधी कदम

जनता का कहना है कि ये लोग हमारी संतानों की पहचान पर डाका डाल रहे हैं। यह बच्चों की लैंगिक पहचान को छिपा रहे हैं, और उन्हें उनकी लैंगिक पहचान को लेकर भ्रमित कर रहे हैं। लड़कियों के अभिभावक इसे महिला विरोधी कदम बता रहे हैं। जहां कुछ लोग इस कदम को मुस्लिमों को खुश करने वाला कदम बता रहे हैं तो वहीं कुछ अभिभावक यह भी कह रहे हैं कि यह “ट्रांस” समुदाय को खुश करने के लिए उठाया गया कदम है, जहां पर बच्चों को उनकी लैंगिक पहचान के प्रति कन्फ्यूज कर दिया जाए। एक यूजर ने लिखा कि जिन समूहों से इस नियम को बनाने से पहले चर्चा की गई थी, उनमें ट्रांसजेंडर, आप्रवासी और गर्भवती स्कूल लड़कियां भी शामिल हैं।

इससे यह बात कहीं न कहीं उभरकर आती है कि यह समावेशीकरण के नाम पर यह निर्णय कहीं न कहीं उन दबाव समूहों के दबाव के अंतर्गत लिया हुआ लगता है, जो किसी दूसरे विचार को देखना भी नहीं चाहते हैं।

ये भी पढ़ें – इस्लामिक देश कजाखस्तान में हिजाब से मुक्‍ति, महिलाओं में खुशी की लहर, भारत के लिए भी है सबक

Topics: ट्राउजर नीतिसमावेशिताUK school uniformsskirt bantrouser policyinclusivityइस्लामीकरणपाञ्चजन्य विशेषIslamisationब्रिटेन स्कूल यूनिफॉर्मस्कर्ट प्रतिबंध
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