चीन ने हाल के सालों में अपनी आपूर्ति श्रृंखला को एक तरह का हथियार बना लिया है। खासकर, वो दुर्लभ मृदा (रेयर अर्थ) और दूसरे जरूरी खनिजों के निर्यात पर रोक लगाकर दुनिया को अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहा है। ये खनिज इलेक्ट्रिक गाड़ियों, सौर पैनल और हाई-टेक मशीनों के लिए बहुत जरूरी हैं। चीन का ये कदम, खासकर अमेरिका के साथ चल रहे व्यापार युद्ध में, पूरी दुनिया की आपूर्ति श्रृंखलाओं के लिए दिक्कत पैदा कर रहा है।
भारत के लिए सुनहरा अवसर
इकोनॉमिक टाइम्स में लिखे एक लेख में दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर अश्विनी महाजन लिखते हैं कि चीन की चालों से परेशान कई देशों को लगने लगा है कि उन्हें चीन पर इतना निर्भर नहीं रहना चाहिए और दूसरे रास्ते तलाशने चाहिए। ये स्थिति भारत के लिए एक सुनहरा मौका लेकर आई है। दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां अब भारत को एक भरोसेमंद पार्टनर के तौर पर देख रही हैं। भारत में सस्ता श्रम, रणनीतिक लोकेशन और बढ़ते व्यापार समझौते इसे एक आकर्षक जगह बनाते हैं।
भारत का बढ़ता दबदबा
भारत सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी योजनाओं के जरिए देश को मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने की ठान ली है। इन योजनाओं का असर भी दिख रहा है। मिसाल के तौर पर, एप्पल जैसी बड़ी कंपनियां अब भारत में अपने प्रोडक्शन यूनिट्स बढ़ा रही हैं, ताकि चीन पर उनकी निर्भरता कम हो। स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक्स और सौर पैनल जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ रहा है। लेकिन, अभी भी भारत को कई जरूरी पार्ट्स के लिए चीन पर निर्भर रहना पड़ता है। ये आत्मनिर्भर बनने की राह में बड़ी रुकावट है। फिर भी, भारत की बड़ी आबादी और मेहनती वर्कफोर्स इसे एक बड़ा मौका देती है।
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चुनौतियां और मौके
चीन की इस रणनीति से भारत के ऑटोमोटिव और व्हाइट गुड्स (जैसे फ्रिज, वॉशिंग मशीन) जैसे सेक्टर को थोड़ी दिक्कत हो सकती है। दुर्लभ मृदा की कमी से प्रोडक्शन की लागत बढ़ सकती है। लेकिन भारत सरकार और इंडस्ट्री इसे चुनौती नहीं, बल्कि मौके के तौर पर देख रहे हैं। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इसे “वैश्विक जागरूकता” का मौका बताया है।
सामान्य अर्थों में कहें तो भारत अब अपनी खुद की आपूर्ति श्रृंखलाएं खड़ी कर सकता है। सरकार स्वदेशी प्रोडक्शन को बढ़ावा दे रही है, नई तकनीकों को प्रोत्साहन दे रही है और स्टार्टअप्स के साथ मिलकर काम कर रही है। इसके अलावा, भारत अपने यहां खनन को बढ़ाने और जरूरी खनिजों का रणनीतिक भंडार करने की दिशा में काम कर रहा है, ताकि विदेशों पर निर्भरता कम हो।
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