अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत सहित कई देशों पर लगाए गए नए टैरिफ के जवाब में भारत ने भी कड़ा रुख अपनाने का फैसला किया है। ट्रंप प्रशासन ने अप्रैल 2025 में भारतीय सामानों पर 26% का प्रतिशोधी टैरिफ लगाया था, जिसे बाद में 90 दिनों के लिए 10% तक कम कर दिया गया। इस टैरिफ का असर भारत के ऑटो पार्ट्स, रसायन, झींगा, और स्टील जैसे क्षेत्रों पर पड़ा है। जवाब में, भारत ने अब अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है, जो विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के तहत होगा।
क्या है मामला?
ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 को ‘लिबरेशन डे’ के रूप में घोषणा करते हुए भारत, जापान, और अन्य देशों पर प्रतिशोधी टैरिफ की घोषणा की थी। उनका दावा है कि भारत अमेरिकी कृषि उत्पादों पर 100% तक टैरिफ लगाता है, जिससे अमेरिकी निर्यातकों को नुकसान होता है। इसके जवाब में भारत ने मई 2025 में WTO को एक दस्तावेज सौंपा, जिसमें अमेरिकी स्टील और एल्यूमिनियम पर टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव है। हालांकि, भारत ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि किन-किन अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगेगा।
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भारत की रणनीति
भारत और अमेरिका के बीच एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत चल रही है, जिसे सितंबर-अक्टूबर 2025 तक अंतिम रूप देने का लक्ष्य है। भारत इस समझौते के जरिए टैरिफ में राहत और बाजार पहुंच बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, खासकर कपड़ा, रत्न-आभूषण, चमड़ा, और कृषि जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में। भारत ने अमेरिका से इन क्षेत्रों में टैरिफ पूरी तरह हटाने की मांग की है। उल्लेखनीय है कि इन क्षेत्रों में लाखों लोगों को रोजगार मिलता है।
अमेरिका की मांगें
अमेरिका भारत से औद्योगिक उत्पादों, इलेक्ट्रिक वाहनों, डेयरी, और कृषि उत्पादों जैसे सेब और अखरोट पर टैरिफ कम करने की मांग कर रहा है। हालांकि, भारत के लिए डेयरी और कृषि क्षेत्र संवेदनशील हैं, क्योंकि ये छोटे किसानों की आजीविका से जुड़े हैं। भारत ने अपनी 2025-26 की बजट में बॉर्बन व्हिस्की, वाइन, और इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैरिफ कम करके सकारात्मक संकेत दिए हैं।
आर्थिक प्रभाव
ट्रंप के टैरिफ से भारत की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि 27% टैरिफ से भारत का जीडीपी 2025-26 में 40 बेसिस पॉइंट तक प्रभावित हो सकता है। इसके बावजूद, भारत का रुख सतर्क और रणनीतिक है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि कोई भी समझौता दोनों देशों के लिए फायदेमंद होना चाहिए।
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