वर्ष 2022 अपने अंतिम चरण में था, तब पाञ्चजन्य ने एक रिपोर्ट में 1500 से ज्यादा हिंदू महिलाओं का कन्वर्जन कराने वाले मौलाना छांगुर ऊर्फ जलालुद्दीन के नापाक इरादों का खुलासा किया था। उस समय पाञ्चजन्य ने एक सनसनीखेज रिपोर्ट प्रकाशित की थी — “अस्पताल या कन्वर्जन का अड्डा? जलालुद्दीन ने दी SC मजदूरों को इस्लाम की दावत”
इस रिपोर्ट में जो खुलासे किए गए, वो तब शायद किसी को ‘अतिरेक’ लगे हों, लेकिन आज STF और ATS की कार्रवाई ने साबित कर दिया कि पत्रकारिता अगर राष्ट्रहित में हो — तो वह भविष्यद्रष्टा भी बन जाती है।
पाञ्चजन्य ने 2022 में जिस कन्वर्जन सिंडिकेट के बारे में आगाह किया था, वह और कोई नहीं, बलरामपुर का वही छांगुर पीर उर्फ जलालुद्दीन था— जिसकी पनप रही साजिश को उस रिपोर्ट में बेनकाब किया गया था।
उसी रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि छांगुर के हर राज के राजदार नीतू और नवीन — अब नसरीन और जमालुद्दीन बन चुके हैं। पाञ्चजन्य ने यह दावा भी किया था कि इन दोनों का मतांतरण खाड़ी देश में कराया गया है।
यह रिपोर्ट बलरामपुर के मजदूरों और ठेकेदारों पर कन्वर्जन के दबाव के आधार पर तैयार की गई थी। यही नहीं, उस समय यह भी सामने आया था कि छांगुर की छह उंगलियों वाला अपराधिक हाथ सिर्फ मनहूस इत्तेफाक नहीं था — वह अवैध जमीन कब्जे, विदेशी पैसे और मजहबी कट्टरता का प्रतीक बन चुका था।
2022 में जब यह रिपोर्ट सामने आई, तब छांगुर ने विदेशी फंडिंग के दम पर अपना दबदबा ऐसा बना रखा था कि उसके खिलाफ बोलने वाल्रे को वह (फर्जी मामले दर्ज करवा कर) मुजरिम बनवा देता।
आज, जब यूपी की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और एटीएस की कार्रवाई से बलरामपुर राहत की सांस ले रहा है- तो पाञ्चजन्य की वह रिपोर्ट एक ऐतिहासिक दस्तावेज बनकर सामने खड़ी है।
जिस छांगुर को देखकर गाड़ियों के दरवाजे खोले जाते थे, और “आइए पीर साहब” कहकर सलाम ठोका जाता था— वही छांगुर आज सलाखों के पीछे है।
छांगुर ने बलरामपुर में ‘जिंदा पीर’, ‘हाजी साहब’ और ‘मौलाना’ की जो छवि बनाई थी वह उसके गुर्गों के लिए ‘कृपा’ मानी जाती थी।
आज जब यूपी STF और ATS की रिपोर्ट में एक-एक करके वही तथ्य सामने आ रहे हैं — खाड़ी देशों से कनेक्शन, 40 से ज़्यादा इस्लामिक देशों की यात्राएँ, विदेशों से मोटी फंडिंग, प्रेमजाल में फंसाकर कन्वर्जन कराने का तंत्र — तो यह साफ हो चुका है कि पाञ्चजन्य की 2022 की रिपोर्ट कोई सामान्य पत्रकारिता नहीं थी, बल्कि राष्ट्र को समय से पहले चेताने वाली एक गूंज थी।
फ़िलहाल मौलाना छांगुर आज जेल में है लेकिन उसके इस नेटवर्क की विस्तृत जांच होना बाकी है। इसके साथ ही यह खुलासा होना भी बाकी है कि खाड़ी देशों की वो कौन-कौन सी संस्थाएं हैं जो भारत में अवैध कन्वर्जन के लिए फंड दे रही थी और हिंदुओं को मुस्लिम बनाकर, मुस्लिमों की आबादी बढ़ाने और देश की डेमोग्राफी जेंच करने का ख्वाब देख रही थी।
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