Guru Purnima 2025: गुरु पूर्णिमा पर इन संस्कृत श्लोकों के साथ करें अपने गुरु का आभार व्यक्त

गुरु न केवल शिक्षा देने वाले होते हैं, बल्कि वे हमारे जीवन के मार्गदर्शक और चरित्र निर्माता भी होते हैं। एक अच्छा गुरु अपने शिष्य के भीतर छिपी प्रतिभा को पहचानता है और उसे निखारता है।

Published by
Mahak Singh

भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोच्च माना गया है। गुरु वह होता है जो अपने शिष्य को अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है। गुरु पूर्णिमा का पर्व हर वर्ष आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह दिन महर्षि वेदव्यास जी की जयंती के रूप में भी जाना जाता है, इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है।

महर्षि व्यास ने ही वेदों का संकलन किया था, महाभारत जैसे महाकाव्य की रचना की थी और पुराणों की रचना में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसलिए, उन्हें सभी गुरुओं का गुरु माना जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन हम अपने जीवन में गुरु के महत्व को स्वीकारते हुए उनका आभार प्रकट करते हैं। इस दिन शिष्य अपने गुरु के चरणों में प्रणाम कर उनसे ज्ञान, संस्कार और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। गुरु की कृपा से जीवन में सही दिशा, आत्मविश्वास और सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है।

गुरु का महत्व और स्थान

गुरु न केवल शिक्षा देने वाले होते हैं, बल्कि वे हमारे जीवन के मार्गदर्शक और चरित्र निर्माता भी होते हैं। एक अच्छा गुरु अपने शिष्य के भीतर छिपी प्रतिभा को पहचानता है और उसे निखारता है। वह अपने ज्ञान और अनुभव से शिष्य को जीवन के हर मोड़ पर सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है। हमारे शास्त्रों में भी गुरु के महत्व को कई प्रकार से बताया गया है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर हम कुछ श्लोक साझा कर रहे हैं, जिनके माध्यम से आप गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं दे सकते हैं।

“गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोबिंद दियो बताय॥”
अर्थात जब गुरु और भगवान दोनों एक साथ खड़े हों, तब पहले गुरु को प्रणाम करना चाहिए क्योंकि गुरु ने ही हमें भगवान के बारे में बताया है और उनके दर्शन कराए हैं। गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं

“गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥”
इसका अर्थ है कि गुरु ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, और गुरु ही शिव हैं। गुरु ही साक्षात परब्रह्म हैं, ऐसे गुरु को मैं नमस्कार करता हूँ। गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं

“यस्य देवे परा भक्तिः, यथा देवे तथा गुरौ।
तस्यैते कथिता ह्यर्थाः, प्रकाशन्ते महात्मनः॥”
जिस व्यक्ति की भगवान में जैसी भक्ति हो और वैसी ही भक्ति अपने गुरु में हो, उसके लिए सभी ज्ञान अपने आप स्पष्ट हो जाते हैं। अर्थात, गुरु में सच्ची श्रद्धा और भक्ति रखने वाले को आत्मज्ञान की प्राप्ति अवश्य होती है। गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं

“विद्यां ददाति विनयं, विनयाद्याति पात्रताम्।
पात्रत्वाद्धनमाप्नोति, धनाद्धर्मं ततः सुखम्॥”
अर्थात गुरु से हमें ज्ञान (विद्या) प्राप्त होता है। ज्ञान से विनम्रता आती है, विनम्रता से व्यक्ति योग्य बनता है, योग्यता से धन मिलता है, और धन से धर्म की प्राप्ति होती है, जिससे अंततः सुख की प्राप्ति होती है। गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं

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