जिन्ना के इस्लामवादी देश में पल रहे आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एक शीर्ष कमांडर फैसल नदीम ने एक रैली में ऐसी तकरीर की, ऐसी शेखी बघारी कि पाकिस्तान की आतंकवाद पर पोल खोलकर रख दी। उसकी बातों ने न केवल भारत के पाकिस्तान को आतंकवाद पोसने वाला देश बताने को सही साबित किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष जिन्ना के देश के दोगलेपन को भी उजागर कर दिया।
कुख्यात आतंकवादी गुट लश्कर-ए-तैयबा गुट के एक शीर्ष कमांडर फैसल नदीम ने ये तकरीर पाकिस्तानी सेना के समर्थन में आयोजित एक रैली में पेश की थी। मजहबी उन्मादियों की भीड़ वाली इस रैली में उसने खुलेआम माना कि ‘लश्कर-ए-तैयबा ने जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को भेजा है जिन्होंने वहां अपना खून बहाया है’। फैसल ने यह भी कहा कि “हम न तो पीछे हटेंगे, न ही अपनी हुकूमतों को पीछे हटने देंगे”। फैसल बोला, कश्मीर की एक-एक इंच जमीन की आज़ादी तक यह जंग जारी रहेगी।
विडम्बना देखिए कि एक ओर तो मजहबी उन्माद भड़काने वाला जिन्ना का देश संयुक्त राष्ट्र में आतंकवाद निरोधक समिति का उपाध्यक्ष बना हुआ है, तो दूसरी ओर देश के अंदर आतंकवादी संगठनों की रैलियां खुलेआम हो रही हैं जिसमें जिहादी खुलकर आतंकवाद का महिमामंडन कर रहे हैं। पाकिस्तान में हुई यह रैली इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि पाकिस्तान की सेना और सरकार आतंकवादी संगठनों को न केवल संरक्षण देती है, बल्कि उन्हें मंच भी प्रदान करती है। फैसल नदीम जैसे आतंकियों का सार्वजनिक रूप से भाषण देना इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान आतंकवाद को एक रणनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।
🔴🇮🇳🇵🇰 #EXCLUSIVE In recent pro Pak Army rally, top Lashkar e Taiba op Faisal Nadeem (on US Global Terrorist List) acknowledges his movement's involvement in sending jihadis to #Kashmir in #India. He threatens India stating the war will continue until Kashmir is free
Listen ▶️ pic.twitter.com/O1q4IXvvUz
— Taha Siddiqui (@TahaSSiddiqui) July 9, 2025
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुख्यात जिहादी फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है, कि जम्मू कश्मीर में अस्थिरता फैलाने का मुख्य दोषी पाकिस्तान है। एक प्रकार से फैसल का यह बयान भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ और अधिक सशक्त प्रमाण प्रस्तुत करने का अच्छा—खासा मसाला देता है।
बहरहाल, किसी ताहा सिद्दीकी द्वारा सोशल मीडिया पर साझा की गई इस तकरीर के बाद साफ है कि सीमा पार से भारत में आतंकवाद फैलाए जाने का खतरा अभी भी बना हुआ है। हैरानी की बात है कि जिस देश को संयुक्त राष्ट्र ने आतंकवाद विरोधी समिति में बड़ी जिम्मेदारी दी है, वही आतंकियों को खुलेआम मंच उपलब्ध करा रहा है। यह स्थिति संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़ा करती है। फैसल नदीम की तकरीर न केवल भारत के लिए, बल्कि वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर चुनौती की तरह देखी चाहिए।
इससे एक बार फिर यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान की धरती पर आतंकवाद केवल पनप नहीं रहा, बल्कि उसे इस्लामाबाद में बैठे सत्ता अधिष्ठान का समर्थन भी प्राप्त है। अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय फैसल की बातों को अनसुना करता है, तो यह आतंकवादियों को और बल देने जैसा होगा।
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