भुवनेश्वर: पुरी स्थित श्रीजगन्नाथ मंदिर के पवित्र रत्न भंडार का मरम्मत का कार्य सफलतापूर्वक पूर्ण हो गया है । श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक डॉ. अरविंद पाढी ने यह जानकारी दी । उन्होंने बताया कि यह मरम्मत कार्य 95 दिनों तक चला, जिसमें कुल 333 कार्य घंटे लगे।
उन्होंने बताया कि इस कार्य से पहले हैदराबाद स्थित सीएसआईआर-नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा लेज़र स्कैनिंग और ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार सर्वेक्षण के माध्यम से वैज्ञानिक मूल्यांकन किया गया था। इस अध्ययन में रत्न भंडार की दीवारों, विशेष रूप से उत्तर दिशा की बाहरी दीवार में दरारें और दीर्घकालीन जल रिसाव की समस्या उजागर हुई थी। बीते चार दशकों से जल रिसाव के कारण रत्न भंडार की पुरानी लोहे की बीमों में जंग लग चुकी थी, जिससे संरचना में दरारें और विकृति आ गई थी।
ASI की देखरेख में हुआ रत्न भंडार का जीर्णोद्धार
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रत्यक्ष पर्यवेक्षण में रत्न भंडार का जीर्णोद्धार कार्य किया गया। इसके तहत अंदरूनी (भीतरी) और बाहरी (बाहरी) कक्षों में विभिन्न आकार की लगभग 520 पत्थर की पट्टियों को उच्च गुणवत्ता वाले ग्रेनाइट से प्रतिस्थापित किया गया। इसके अतिरिक्त, महत्वपूर्ण वास्तुशिल्पीय घटक ‘कॉर्बेल’ को भी पूरी तरह से बदला गया।
संरचना को और अधिक मजबूत बनाने हेतु 15 स्टेनलेस स्टील बीम स्थापित की गईं इनमें से नौ भीतरी कक्ष में और छह बाहरी भाग में लगाई गईं। एएसआई पुरी सर्कल के प्रमुख डीबी गडनायक ने बताया कि इन बीमों से रत्न भंडार की भार वहन क्षमता में वृद्धि होगी और भविष्य में संभावित क्षति से सुरक्षा मिलेगी।
इस परियोजना के अंतर्गत भीतरी और बाहरी कक्षों की पूरी फ़र्श को भी बदला गया। फ़र्श की आधार परत बलुआ पत्थर से तैयार की गई, जिसे खोंडालाइट पत्थर से ढंका गया और अंतिम रूप में ग्रेनाइट स्लैब्स बिछाए गए। यह बहुपरत व्यवस्था लोहे की अलमारी और बक्सों के वजन को सहने में सक्षम है।
गडनायक ने यह भी पुष्टि की कि लेज़र स्कैनिंग के दौरान चिन्हित की गई सभी दरारों की मरम्मत की जा चुकी है और रत्न भंडार की छत को पूरी तरह सील कर दिया गया है ताकि भविष्य में जल रिसाव न हो। वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित सामग्री और तकनीकों के प्रयोग से यह संरचना अगले 100 वर्षों तक सुरक्षित रहने की संभावना है।
दो साल पहले शुरू हुई थी मरम्मत
उल्लेखनीय है कि यह मरम्मत कार्य 12 दिसंबर 2023 को आरंभ हुआ था, जो 14 जुलाई 2023 को SOP के तहत भीतरी और बाहरी रत्न भंडार खोले जाने के बाद शुरू किया गया था। उल्लेखनीय है कि 1976 के बाद पहली बार भीतरी रत्न भंडार को खोला गया था, जिससे यह परियोजना ऐतिहासिक महत्व की बन गई।
हालांकि मुख्य संरचनात्मक कार्य पूरे हो चुके हैं, लेकिन रत्न भंडार के भीतर प्रकाश व्यवस्था और सौंदर्यीकरण का कार्य अभी जारी है। विशेषज्ञ जल्द ही एक उन्नत लाइटिंग सिस्टम की डिजाइन को अंतिम रूप देंगे, जिससे कक्ष की दृश्यता और सुरक्षा दोनों में सुधार होगा।
पुरी गजपति महाराजा श्री दिव्यसिंह देव ने हाल ही में मरम्मत कार्यों की समीक्षा के बाद संतोष जताते हुए कहा था कि प्रभु की कृपा से रत्न भंडार का कार्य नीलाद्रि बिजे से पूर्व पूर्ण हो गया है। रत्न भंडार अब पूरी तरह सुरक्षित और भव्य प्रतीत होता है। सभी कार्य साहाणा पत्थर से अत्यंत सूक्ष्मता से किए गए हैं
उन्होंने यह भी कहा कि जब भगवान जगन्नाथ पुनः रत्न सिंहासन पर विराजेंगे, तभी मंदिर खजाने की गणना और जांच प्रक्रिया की शुरुआत होगी, जिससे मंदिर की अमूल्य निधियों का दस्तावेजीकरण और संरक्षण भविष्य के लिए सुनिश्चित किया जा सकेगा।
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