जिन्ना के देश ने कारगिल में मरे अपने जिस जवान की लाश तक न ली, अब 'मुल्ला' मुनीर उसे बता रहा 'वतनपरस्त'
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जिन्ना के देश ने कारगिल में मरे अपने जिस जवान की लाश तक न ली, अब ‘मुल्ला’ मुनीर उसे बता रहा ‘वतनपरस्त’

पाकिस्तान का यह रवैया उसकी उस रणनीति का हिस्सा था जिसमें वह कारगिल में अपनी सेना की भागीदारी को नकारता रहा, यह दावा करता रहा कि लड़ाई में शामिल लोग 'मुजाहिदीन' थे

by Alok Goswami
Jul 8, 2025, 12:17 pm IST
in विश्व, रक्षा, विश्लेषण
जनरल असीम मुनीर

जनरल असीम मुनीर

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1999 में जिन्ना के देश के तत्कालीन जनरल मियां मुशर्रफ ने भारत पर पींठ पीछे छुरा घोंपने की कोशिश में कारगिल में घुसपैठियों के बाने में अपने फौजी भेजकर कुछ चोटियों पर कब्जा कर लिया था। भारत ने जिन्ना के देश की उस हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब देकर उसे घुटनों पर ला दिया था। आज 26 साल बाद के जिन्ना के देश का फौजी जनरल उस युद्ध में अपनी हार को छुपाकर झूठ बोले जा रहा है और अपने उस जवान को ‘वतनपरस्त’ बता रहा है जिसकी लाश तक लेने से उस इस्लामी देश ने मना कर दिया था, क्योंकि वह जताना चाहता था कि उसकी फौज तो उस हिमाकत में शामिल ही नहीं थी। उस पाकिस्तानी फौजी जवान शेर खान की बहादुरी की तबके भारत के कमांडर ने तारीफ की थी और पाकिस्तान से कहा था कि उसे बाइज्जत ले जाकर दफन करे, लेकिन जिन्ना के देश ने उसे पहचानने से इंकार कर दिया था। अब 2025 में उसी फौजी जवान की 26वीं बरसी पर जनरल मुल्ला असीम मुनीर ने उसकी तारीफों के पुल बांध दिए। गिरगिट जैसी फितरत वाले जिन्ना के देश के फौजी जनरल से और अपेक्षा भी क्या की जा सकती है!

कारगिल युद्ध में कैप्टन करनाल शेर खान की कहानी पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक रणनीति के दोहरे चरित्र को उजागर करती है। 1999 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल की ऊँचाइयों पर युद्ध छिड़ा, तब शेर खान पाकिस्तान की 12वीं नॉर्दर्न लाइट इन्फैंट्री का कप्तान था। उसने टाइगर हिल और बटालिक सेक्टर में लड़ाई लड़ी थी, लेकिन जब वह मारा गया तो पाकिस्तान ने उसका शव तक नहीं स्वीकारा था।

कारगिल युद्ध में जिन्ना के देश को छठी का दूध याद दिला दिया था भारत के जाबांज वीरों ने (फाइल चित्र)

भारत ने टाइगर हिल पर पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था, तब शेर खान के शव से मिले दस्तावेजों से उसकी पहचान की गई थी। भारत ने 12 जुलाई 1999 को पाकिस्तान को उसका शव लौटाने की बाकायदा लिखित पेशकश की थी, लेकिन जिन्ना के मजहबी उन्मादी देश ने उसे लेने से इनकार कर दिया यह कहकर कि वह उनका फौजी नहीं है। पाकिस्तान का यह रवैया उसकी उस रणनीति का हिस्सा था जिसमें वह कारगिल में अपनी सेना की भागीदारी को नकारता रहा, यह दावा करता रहा कि लड़ाई में शामिल लोग ‘मुजाहिदीन’ थे।

आज 26 साल बाद, 5 जुलाई 2025 को पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने शेर खान की कब्र पर जाकर दिखावे के आंसू टपकाए और उसे “वतनपरस्त” बताया। शेर खान को पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान “निशान-ए-हैदर” मरणोपरांत प्रदान किया गया था, लेकिन बताते हैं, उसे यह सम्मान भारत की पहल और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद ही मिल पाया था।

आज शेर खान के प्रति पाकिस्तान का यह बदला हुआ रुख उसकी रणनीतिक विफलताओं और अंतरराष्ट्रीय दबाव के प्रति उसकी संवेदनशीलता को दर्शाता है। एक ओर वह भारत के साथ हुए हर युद्ध में अपने सैनिकों की पहचान से इनकार करता रहा है, लेकिन बाद में उन फौजियों के लिए झूठे आंसू टपकाता रहा है। यह दोहरा व्यवहार उसकी सैन्य प्रतिष्ठा और राजनीतिक नैतिकता की असलियत बता देता है।

इसी मुल्ला मुनीर ने हाल के आपरेशन सिंदूर में अपनी जबरदस्त पिटाई को लेकर भी दुनिया का झूठी तस्वीर दिखाने की कोशिश की। उसने इसमें चीन की भागीदारी पर पर्दा डालने का पूरा प्रयास किया जबकि दुनिया जानती है कि जिन्ना के देश में चल रहे आतंकी ठिकानों के विरुद्ध भारत की इस नपी—तुली कार्रवाई को चीन ने अपने हथियारों को आजमाने का मौका जानकर पाकिस्तान को उन्हें सौंपा था और वे सब हथियार जिन्ना के देश की किरकिरी कराने में अव्वल रहे। चीन का दिया रक्षा तंत्र जिन्ना के देश के आतंकी ठिकानों को बचा न पाया था। लेकिन मुनीर इसे भी झूठ के आवरण में छुपाने की जी—जान से कोशिश करते आ रहे हैं।

मुनीर ने कल भारत के इस दावे को एक बार फिर से खारिज करने की कोशिश की है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्लामाबाद को चीन से लाइव रणनीतिक सहायता मिली थी। जिन्ना के देश के फौजी जनरल ने इसे “गैर-जिम्मेदाराना और तथ्यात्मक रूप से गलत” बयान बताया। उसने कहा, “पाकिस्तान के सफल ऑपरेशन बन्यनम मार्सो में बाहरी सहायता के बारे में आरोप गैर-जिम्मेदाराना और तथ्यात्मक रूप से गलत हैं और दशकों की रणनीतिक समझदारी से विकसित स्वदेशी क्षमता को स्वीकार करने की पुरानी अनिच्छा को दर्शाते हैं।”

पाकिस्तानी फौजी जवान शेर खान

मुनीर ने भारत को परोक्ष रूप से धमकाते हुए आगे कहा कि पाकिस्तान की संप्रभुता के लिए आगे कोई चुनौती आई तो उसका त्वरित और दृढ़ प्रतिक्रिया के साथ सामना किया जाएगा। मुनीर की यह टिप्पणी भारतीय सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह के उस बयान के जवाब में आई, जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के साथ भारत के चार दिन के संघर्ष के दौरान बीजिंग पर्दे के पीछे से सक्रिय था।

ले. जनरल सिंह ने ​कहा, ‘अगर पिछले पांच साल के आंकड़ों पर गौर करें तो पाकिस्तान को मिलने वाले 81 प्रतिशत सैन्य हार्डवेयर चीन से हैं। संघर्ष में चीन अपने हथियारों का दूसरे हथियारों के खिलाफ परीक्षण करने में सक्षम रहा, इसलिए पाकिस्तान पर पड़ रही मार चीन के लिए एक लाइव लैब की तरह काम कर रही थी।’

दुनियाभर में बदनाम जिन्ना के देश के नेता और फौजी जनरल चाहे जितना प्रयास करें पर अपनी अक्षमता और अकर्मण्यता को छुपा नहीं पाते हैं। आज पाकिस्तान सेना के तीनों अंग जर्जर स्थिति में हैं। पाकिस्तान के खजाने खाली हैं। आज वहां की अवाम रोटी खा पा रही है तो वह भी चीन या आईएमएफ से कर्जे में मिली भीख की बदौलत।

Topics: पाकिस्तानPakistanकारगिलजनरल असीम मुनीरIndiaGeneral Asim MunirChinakargill
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