अमेरिका के न्यूयार्क सिटी में आजकल सिर्फ राजनीतिक गलियारों में ही खलबली नहीं है, वहां आम नागरिकों में भी एक अजीब सी घबराहट महसूस हो रही है। कारण? न्यूयॉर्क सिटी के मेयर पद के लिए भारतीय मूल के जोहरान ममदानी की उम्मीदवारी। इस प्रकरण ने अमेरिकी राजनीति में एक नई बहस छेड़ी हुई है। डेमोक्रेटिक प्राइमरी में पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो को हराकर ममदानी ने न केवल एक बड़ी राजनीतिक जीत हासिल की है, बल्कि अमेरिका के सामाजिक और वैचारिक क्षेत्रों में भी हलचल पैदा की हुई है। ममदानी की इस जीत पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक साक्षात्कार में तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्हें “100% कम्युनिस्ट” कहा है। ध्यान रहे, अमेरिका की राजनीतिक बिरादरी में ‘कम्युनिस्ट’ शब्द बहुत अपमानजनक माना जाता है। ट्रंप का ममदानी को ऐसा कहना इस बात का भी संकेत है कि वहां दक्षिणपंथी खेमे में उसके बढ़ते कदमों को लेकर गहरी बेचैनी है। इसकी वजह यह है कि ममदानी के मेयर पद पर आने के कयास मात्र को लेकर इस्लामवादी उछले पड़ रहे हैं। ममदानी के बयानों से उन्हें लग रहा है कि अब लंदन की तरह न्यूयार्क सिटी की सड़कों पर भी खुलेआम नमाज पढ़ी जाएगी, स्थानीय नागरिकों को जब तब परेशान किया जा सकेगा जिस पर ‘इस्लामाफोबिया’ के फर्जी आरोप से बचते हुए कोई पुलिसिया कार्रवाई भी नहीं की जाएगी।
जोहरान ममदानी को इस्लामवादी एक ‘प्रगतिशील नेता’ बता रहे हैं, वे खुद को समाजवादी कहते हैं। वे डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट्स ऑफ अमेरिका से जुड़े हैं और फिलिस्तीन के समर्थन में खुलकर बोलते रहे हैं। उनके इस रुख ने उन्हें दक्षिणपंथी आलोचकों के निशाने पर ला खड़ा किया है। ट्रंप और उनके समर्थकों ने ममदानी के इस्लामवादी झुकाव और वामपंथी सोच को साथ जोड़ते उन्हें “इस्लामवादी” और “कम्युनिस्ट” करार दिया है।

जोहरान ममदानी पर ट्रंप की प्रतिक्रिया को केवल वैचारिक असहमति के रूप में नहीं देखा जा सकता। यह एक रणनीतिक वक्तव्य भी कहा जा सकता है, जो शायद रिपब्लिकन पार्टी के उस वर्ग को सक्रिय करने की कोशिश में दिया गया हो जो प्रवासी मुसलमानों और वामपंथी विचारधारा के प्रति शंका रखते हैं। ममदानी की आरंभिक जीत को ट्रंप ने अमेरिका में “कट्टरपंथी वामपंथ” के बढ़ते प्रभाव का प्रतीक बताया है। ममदानी की मुस्लिम पहचान को लेकर सोशल मीडिया पर कई रिपब्लिकन नेताओं और ट्रंप समर्थकों ने टिप्पणियां की हैं। ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ को बुर्के में दिखाने वाले मीम और “शरीयत कानून” के भय को उजागर करतीं सोशल मीडिया पोस्ट खूब देखने में आ रही हैं।
और जानते हैं यह जोहरान ममदानी हैं कौन और भारतीय मूल के कैसे हैं? ममदानी विवादित अमेरिकी भारतीय फिल्म निर्माता मीरा नायर और महमूद ममदानी के पुत्र हैं। मीरा नायर लीक से हटकर फिल्म बनाने की आड़ में ‘द फायर’ जैसी विवादित फिल्म बना चुकी हैं और इसके लिए भारत में खूब दुत्कारी जा चुकी हैं। जोहरान की उम्मीदवारी से अधिकांश भारतीय-अमेरिकी समुदाय भी खुश नहीं है। उनकी पाकिस्तान और मजहब परस्ती के चर्चे आम हैं और इसलिए प्रवासी मुसलमानों की बांछें खिली हुई हैं। मेयर सादिक खान की अगुआई में लंदन की बदहाली सब देख ही रहे हैं, जो एक पश्चिमी शहर न लगकर पाकिस्तान का कोई गंदगी भरा मोहल्ला जैसा बना दिया गया है, जहां उग्र मुुस्लिम जिसे चाहे मारते—पीटते हैं, शरिया कानून लागू करने की मांग करते हैं।

वैसे, ममदानी की आरंभिक जीत से डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर भी मतभेद उभरे हैं। पार्टी के कुछ मध्यमार्गी नेताओं को लगता है कि उनका डीउसए जैसे संगठनों से जुड़ाव पार्टी की मुख्यधारा को नुकसान पहुंचा सकता है। उनकी कट्टर मुस्लिम पहचान, समाजवादी विचारधारा और ‘प्रगतिशील एजेंडा’ शक की नजरों से देखे जा रहे हैं, क्योंकि कोई असल न्यूयार्कवासी अपने शहर को ‘मुस्लिम बहुल इस्लामी शहर’ बनते नहीं देखना चाहता। आगामी नवंबर में साफ होगा कि ममदानी अपने ‘एजेंडे’ में कितने कामयाब होते हैं। तब होने वाले मेयर पद के आम चुनाव में मतदाता तय करेंगे कि न्यूयार्क सिटी का भाग्य क्या होगा।
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