'देवर्षि नारद से सीखें संवाद की कला' : पत्रकारिता को मूल्यों से जोड़ने की जरूरत – हितेश शंकर
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‘देवर्षि नारद से सीखें संवाद की कला’ : पत्रकारिता को मूल्यों से जोड़ने की जरूरत – हितेश शंकर

रायपुर में देवर्षि नारद जयंती पर (राष्ट्रीय सुरक्षा में पत्रकारिता) संगोष्ठी में पत्रकारिता की भूमिका पर चर्चा हुई। पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने पत्रकारिता की भूमिका पर दिया उद्बोधन

by WEB DESK
Jun 29, 2025, 11:07 pm IST
in भारत, छत्तीसगढ़
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रायपुर। देवर्षि नारद केवल एक पौराणिक चरित्र नहीं, बल्कि संवाद और सूचना के आदर्श हैं। वे देवताओं और असुरों दोनों से संवाद करते थे और उनकी बातों पर हर वर्ग भरोसा करता था। आज की पत्रकारिता में यह भरोसा और संतुलन खो गया है ऐसा कहना है पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर का।

दरअसल राजधानी स्थित सिविल लाइंस के नवीन विश्राम गृह में देवर्षि नारद जयंती के उपलक्ष्य में एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय था – “राष्ट्रीय सुरक्षा में पत्रकारिता की भूमिका”। इस अवसर पर मीडिया जगत के प्रख्यात हस्तियों ने राष्ट्रीय विमर्श में पत्रकारिता की भूमिका और उसकी विश्वसनीयता पर गंभीर चर्चा की।

यह भी पढ़े – वंचितों की साझेदारी के बिना हिन्दुत्व अधूरा : हितेश शंकर

आयोजन का नेतृत्व देवर्षि नारद जयंती आयोजन समिति, छत्तीसगढ़ प्रांत ने किया। कार्यक्रम में पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर (नई दिल्ली) मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे, जबकि दूरदर्शन के कार्यक्रम प्रमुख प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार रखे।

नारद जैसे संवाद कौशल की कमी आज की पत्रकारिता में

श्री हितेश शंकर ने कहा कि समाचार माध्यम आज स्पर्धा और टीआरपी की होड़ में अपने मूल उद्देश्य से भटक चुके हैं। जब कुछ कहने को नहीं होता, तब भी ‘कुछ न कुछ’ दिखाने की आदत ने पत्रकारिता की गंभीरता को नुकसान पहुंचाया है। हितेश शंकर ने चिंता जताई कि आज के युवा खासकर महानगरों में समाचार पत्र पढ़ने से कट चुके हैं। उनके पास सूचनाएं तो हैं, लेकिन वे समाचार के बजाय नोटिफिकेशन के रूप में ही सीमित रह गई हैं। यह सतही जानकारी समाज में गंभीर विमर्श की कमी को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता कभी स्वतंत्रता संग्राम की ताकत थी। लेकिन आज वही पत्रकारिता बाज़ार और राजनीतिक दबावों के बीच अपनी दिशा खो रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि ‘भारत माता की जय’ से शुरू हुई पत्रकारिता आज ‘वंदे मातरम् नहीं कहेंगे’ जैसे विवादास्पद बयानों के समर्थन में कैसे आ खड़ी हुई?

छत्तीसगढ़ में राष्ट्रवादी पत्रकारिता की भूमिका अहम

हितेश शंकर ने छत्तीसगढ़ के संदर्भ में कहा कि लंबे समय तक यहां नक्सल हिंसा को मानवाधिकार आंदोलन की आड़ में दिखाया गया। इसके साथ ही धर्मांतरण जैसी गंभीर समस्याओं को भी मीडिया ने नजरअंदाज किया। ऐसे में राष्ट्रहित के दृष्टिकोण से काम करने वाले समाचार माध्यमों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं ने विचारों के इस विमर्श को सकारात्मक रूप से ग्रहण किया और राष्ट्र निर्माण में पत्रकारिता की जिम्मेदार भूमिका को और अधिक सक्रिय करने की आवश्यकता पर बल दिया।

इन पत्रकारों को मिला सम्मान

समारोह में राजधानी के आईबीसी के वरिष्ठ पत्रकार सतीश सिंह ठाकुर को देवर्षि नारद पत्रकार सम्मान से सम्मानित किया गया। आईएनएच की पत्रकार एवं एंकर मधुमिता पाल को वरिष्ठ पत्रकार बबनप्रसाद मिश्र स्मृति सम्मान और दैनिक नवभारत के फोटो जर्नलिस्ट दीपक पाण्डेय को वरिष्ठ पत्रकार रमेश नैयर स्मृति सम्मान प्रदान किया गया।

अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवेश वरिष्ठ पत्रकार आर कृष्णा दास ने किया। मंच संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रियंका कौशल ने किए। सम्मानित पत्रकारों का परिचय अटल मुरारी ने किए एवं आभार प्रफुल्ल पारे द्वारा किया गया।

यह भी देखें – आपातकाल, इंदिरा और संघ…वो चिट्ठी, जिसने दिखाया तानाशाह को आईना

Topics: पत्रकार सम्मान रायपुरदेवर्षि नारद जयंतीपत्रकारिता और राष्ट्रीय सुरक्षाहितेश शंकर भाषणराष्ट्रवादी मीडियाछत्तीसगढ़ पत्रकारिताNarad Jayanti 2025Role of Journalism in National SecurityPanchjanya Editor SpeechMedia and TRP Culture
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