Beijing में विदेश मंत्री Wang Yi से बैठक में भारत के NSA Doval ने किया आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट होने का आह्वान
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Beijing में विदेश मंत्री Wang Yi से बैठक में भारत के NSA Doval ने किया आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट होने का आह्वान

वांग से अपनी वार्ता में भारत के एनएसए अजीत डोवल ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत को आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है

by Alok Goswami
Jun 24, 2025, 12:17 pm IST
in विश्व, रक्षा, विश्लेषण
भारत के एनएसए अजीत डोवल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी

भारत के एनएसए अजीत डोवल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी

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ईरान और इस्राएल के बीच जारी तनाव के बीच विश्व के दूसरे हिस्से में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखने में आ रहा है। बीजिंग में शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ की बैठक होने जा रही है। उससे पहले वहां एससीओ के सुरक्षा परिषद सचिवों की बैठक चल रही है। इसमें भाग लेने के लिए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल भी बीजिंग में हैं। इस मौके पर डोवल ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ कल विशेष भेंट की। दोनों के बीच हुई यह वार्ता न केवल द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज़ से, बल्कि व्यापक क्षेत्रीय और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। जैसा पहले बताया, यह बैठक ऐसे समय में हुई जब पश्चिम एशिया में ईरान-इस्राएल तनाव गहराता जा रहा है और वैश्विक शक्तिया क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। हालांकि दोनों पक्षों के बीच ‘हमेशा के लिए’ संघर्षविराम होने के दावे अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा किए गए हैं, लेकिन इस बीच ईरान की ओर से एक मिसाइल दागे जाने की खबरें भी दिखाई दे रही हैं।

डोवल और वांग के बीच यह बैठक शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक असल में वैश्विक रक्षा वातावरण और उसमें सुधार के उपायों पर मंथन करेगी। शंघाई सहयोग संगठन एक ऐसा मंच है जो क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग और आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देता है। इस संदर्भ में डोवल और वांग यी की मुलाकात को केवल औपचारिक कूटनीतिक संवाद नहीं, बल्कि रणनीतिक संवाद के रूप में देखा जाना उचित होगा।

वांग से अपनी वार्ता में भारत के एनएसए अजीत डोवल ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत को आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है

वांग से अपनी वार्ता में भारत के एनएसए अजीत डोवल ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत को आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है। डोवल का बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान में आपरेशन सिंदूर के तहत पीओजेके में चल रहे आतंकी ठिकानों पर सटीक सैन्य कार्रवाई की थी। भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग की मांग करता रहा है और स्वाभाविक है कि चीन जैसे प्रभावशाली देशों से इस दिशा में समर्थन की अपेक्षा की जाए।

वांग यी ने इस बैठक में चीन की ओर से भारत के साथ संबंधों को सुधारने की इच्छा जताई। इससे संकेत मिलता है कि चीन, जो हाल के वर्षों में भारत के साथ सीमा विवादों और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा में उलझा रहा है, अब संबंधों को स्थिरता की ओर ले जाने के प्रयास कर रहा है। यह पहल ऐसे समय में हो रही है जब चीन पश्चिम एशिया में मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है—विशेषकर ईरान और इस्राएल के बीच बढ़ते तनाव को कम करने में।

पश्चिम एशिया में ईरान और इस्राएल के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक सुरक्षा समीकरणों को जटिल बना दिया है। चीन, जो हाल ही में सऊदी अरब और ईरान के बीच समझौता कराने में सफल रहा था, अब इस्राएल-ईरान तनाव में भी मध्यस्थता की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है। इस संदर्भ में भारत के साथ उसका संवाद यह संकेत देता है कि वह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारत जैसे जिम्मेदार शक्ति के साथ समन्वय बढ़ाना चाहता है। हालांकि खाड़ी देश कतर द्वारा तनाव दूर करने में मध्यस्थता करने के प्रति रुचि दिखाई गई है। ट्रंप के कहने पर कतर के अमीर ने ईरान के मजहबी नेता खामेनेई को कथित तौर पर संषर्घविराम के लिए मना भी लिया है।

आज के भूराजनीतिक वातावरण में डोवल और वांग यी की यह मुलाकात सकारात्मक संकेत तो देती है, लेकिन अभी भी भारत-चीन संबंधों में कई जटिलताएं बनी हुई हैं—विशेषकर सीमा विवाद, व्यापार असंतुलन और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में। फिर भी, दोनों पक्षों ने लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने और द्विपक्षीय संवाद को आगे बढ़ाने की बात कही है। यह एक ऐसा संकेत है जो बताता है कि दोनों देश तनाव को कम करने और संवाद के माध्यम से समाधान खोजने के इच्छुक हैं।

विशेषज्ञों की नजर में भारत की दृष्टि से डोवल वांग यी वार्ता कई मायनों में महत्वपूर्ण है। भारत आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटा रहा है। उस दिशा में इस वार्ता को एक कूटनीतिक मौका माना जा सकता है। चीन के साथ संवाद बनाए रखना भी आवश्यक है, विशेषकर ऐसे समय में जब वैश्विक ध्रुवीकरण बढ़ रहा है। पश्चिम एशिया में भारत को संतुलित भूमिका के साथ आगे बढ़ना है। ध्यान रखना है कि भारत के ईरान और इस्राएल दोनों से रणनीतिक संबंध हैं।

इसीलिए डोवल-वांग यी वार्ता केवल एक द्विपक्षीय बैठक नहीं थी, बल्कि यह एक व्यापक रणनीतिक संवाद था जो एशिया की सुरक्षा, स्थिरता और कूटनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है। आतंकवाद के खिलाफ साझा रुख, संबंधों को सुधारने की इच्छा और वैश्विक संकटों पर समन्वय की संभावना, ये सभी आयाम संकेत करते हैं कि भारत और चीन, प्रतिस्पर्धा के बावजूद, संवाद और सहयोग के रास्ते तलाशने को तैयार हैं।

Topics: भारतआतंकवादचीनbeijingterrorismIndiabilateralSCO summitwang yinsa dovalindo china relations
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