इजरायल ईरान के युद्ध में अमेरिका एंट्री ने पूरे मुस्लिम वर्ल्ड की नीदें उड़ा रखी हैं। इस युद्ध की विभीषिका को लेकर कतर के प्रधानमंत्री मोहम्मद अल तानी ने चिंता जाहिर की है कि खाड़ी के देश फारस की खाड़ी से आने वाले पानी पर निर्भर हैं। ये बात उन्होंने तीन महीने पहले कही थी कि अगर ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला होता है तो पानी दूषित हो जाएगा। न पानी होगा न ही मछली। कुछ भी नहीं बचने वाला।
अल थानी के डर का कारण
दरअसल, मोहम्मद अल थानी ने ये बात अमेरिकी पत्रकार टकर कार्लसन को दिए इंटरव्यू में कही थी। उन्होंने ये अनुमान लगाया था कि अगर ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए जाते हैं तो इसके परिणाम क्या हो सकते हैं। अब उनकी कही वो बात तकरीबन सच साबित होने जा रही है। फारस की खाड़ी युद्ध की विभीषिका से बच नहीं सकती। ईरान के साथ युद्ध में अमेरिका की एंट्री ने सारा गेम पलटना शुरू कर दिया है। नतीजनतन ईरान होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने पर विचार कर रहा है। सबसे अहम बात खाड़ी के अधिकतर खाड़ी के अधिकतर देशों में जलापूर्ति फारस की खाड़ी से ही होती है।
इसके लिए हर देश में समुद्र में वॉटर डिसैलिनेशन प्लांट लगा रखे हैं। इसके जरिए पहले समंदर के खारे पानी को शुद्ध किया जाता है, उससे नमक को अलग कर उसे पीने के लायक बनाया जाता है। फिर उसे लोगों को उपलब्ध कराया जाता है। मोहम्मद अल थानी इस बात को स्वीकार करते हैं कि हमारे देश में नदी और जलाशय तो हैं नहीं। उनका डर ये था कि युद्ध के कारण वाटर सप्लाई बाधित होगी। इस स्थिति में तीन दिन में ही देश का पानी खत्म हो जाएगा। थानी कहते हैं कि ये हाल केवल कतर का ही नहीं कुवैत और यूएई का भी होने वाला है।
चितित हैं खाड़ी देश
ईरान की ओर से जवाबी कार्रवाई की आशंका के कारण खाड़ी क्षेत्र में तेल और गैस सुविधाओं के साथ-साथ जल शोधन संयंत्रों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी संभावित जवाबी हमले से क्षेत्र की जल आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है, जो खाड़ी देशों की अर्थव्यवस्था और जनजीवन के लिए महत्वपूर्ण है। बता दें कि रविवार की सुबह ही अमेरिका ने ईरान के फोर्डो, नटांज और इस्फहान न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया था।
टिप्पणियाँ