ब्रिटिश संसद में पारित असिस्टेड डाइंग बिल: इच्छामृत्यु का अधिकार या नैतिक संकट?
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ब्रिटिश संसद में पारित असिस्टेड डाइंग बिल: इच्छामृत्यु का अधिकार या नैतिक संकट?

ब्रिटिश संसद में असिस्टेड डाइंग बिल पारित, जिससे इंग्लैंड और वेल्स में टर्मिनली इल लोगों को इच्छामृत्यु का अधिकार मिल सकता है। जानें इसके पक्ष-विपक्ष, लिज कैर का विरोध और भारत पर संभावित प्रभाव।

by सोनाली मिश्रा
Jun 22, 2025, 10:23 am IST
in विश्व, सोशल मीडिया
British parliament asisted dying Bill

प्रतीकात्मक तस्वीर

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ब्रिटिश संसद में जहां सबसे लचीला गर्भपात का विधेयक पारित हुआ तो वहीं एक और विधेयक ऐसा पारित हुआ है, जिस पर सोशल मीडिया पर घमासान मचा हुआ है और यह विधेयक वास्तव में डराने वाला है क्योंकि फिर इसकी मांग भारत में भी उठेगी। यह विधेयक है “Assisted Dying Bill” अर्थात मृत्यु में सहायता का विधेयक। यह विधेयक उन लोगों के लिए इच्छामृत्यु का विधेयक है, जो काफी लंबे समय से और काफी गंभीर बीमार हैं और जो अपना जीवन समाप्त करना चाहते हैं।

इस प्रस्तावित विधेयक के माध्यम से इंग्लैंड और वेल्स में कुछ परिस्थितियों में कानूनी रूप से लोग मृत्यु चाह सकेंगे और उन्हें मृत्यु मिल सकेगी। इस बिल को हाउस ऑफ कॉमन्ज़ में 291 के मुकाबले 314 वोटों से पारित कर दिया गया है और अब इसे हाउस ऑफ लॉर्ड्स अर्थात उच्च सदन में भेजा जाएगा। हालांकि हाउस ऑफ लॉर्ड्स कभी भी हाउस ऑफ कॉमन्ज़ द्वारा पारित विधेयकों को रोकता नहीं है, मगर यह विधेयक सरकार का विधेयक नहीं है।

लेबर सांसद ने पेश किया प्रस्ताव

यह एक प्राइवेट सदस्य द्वारा लाया गया विधेयक है, जिसे एक लेबर के सांसद किम लीडबीटर ने समर्थन दिया हुआ है। बीबीसी के अनुसार सरकार इस विधेयक पर निष्पक्ष है, हालांकि उसने इस विधेयक पर संसद मे बहस को सुनिश्चित किया।

स्काई न्यूज़ के अनुसार लेबर के सांसद जिन्होंने इस विधेयक का प्रस्ताव दिया था, उन्हें इसे पारित होने के बाद रोते हुए देखा गया। इस विषय में अभियान चलाने वाले समूह डिग्निटी इन डाइंग ने इसके पारित होने पर खुशी व्यक्त की और कहा कि यह जीवन को गरिमापूर्ण तरीके से अंत करने के विकल्प के लिए एक बहुत ही बड़ा लम्हा है। इसकी मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि “यह बहुत अच्छी बात है कि सांसदों ने मरते हुए लोगों की, उनकी देखभाल करने वाले परिवारों की बात सुनी और एक स्वर में उस पर वोट दिया, जिसकी हमारे देश को आज सबसे ज्यादा जरूरत है।“

हालांकि, यह विधेयक हाउस ऑफ कॉमन्ज़ में बहुत ही आम बहुमत से पारित हुआ है, इसलिए हाउस ऑफ लॉर्ड्स के पास इसकी और पड़ताल करने का भी अधिकार है। इस विधेयक में गंभीर रूप से बीमार उन वयस्कों के लिए भी मृत्यु चाहने का विकल्प है, जिनका जीवन डॉक्टर्स के अनुसार केवल छ महीने का ही शेष है। मगर वे ऐसा दो डॉक्टर्स के अनुमोदन, और एक सामाजिक कार्यकर्ता, एक वरिष्ठ कानूनी हस्ती और मनोवैज्ञानिक के पैनल के अनुमोदन के बाद ही कर सकते हैं।

क्यों हो रहा विरोध?

एक तरफ जहां लोग इस विधेयक के संसद के निचले सदन से पारित होने पर खुशी व्यक्त कर रहे हैं, तो एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है, जो इसका विरोध कर रहा है। इस विधेयक पर बहुत वर्षों से बहस होती आ रही है। अंतिम बार इस पर हाउस ऑफ कॉमन्ज़ में 2015 मे बहस हुई थी, मगर यह तब पारित नहीं हो पाया था। इसके पक्ष में 18 और विपक्ष में 330 वोट पड़े थे। इस विधेयक मे परिवर्तन के लिए काफी समय से मांग हो रही थी।

अब इसे लेकर लोग सोशल मीडिया पर अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि हमारे पास ऐसी सरकार है जो आपको जीवन आरंभ होने से पहले मार सकती है, आपको वैक्सीन के जरिए मार सकती है और आपको जीवन के अंत में इस विधेयक के माध्यम से मार सकती है। आपको बस जीवन भर टैक्स देने हैं।

We now have Government that can kill you at the start of life, Kill you in the middle with #vaccines , and kill you at the end with the #AssistedDyingBill … Oh and they will TAX the life out of you the whole way through.

How did we descend into sodom and gomorrah so fast? pic.twitter.com/HPftxwTx9d

— Galactic Zoo (@TonyMarrese) June 20, 2025

एक यूजर ने कनाडा की एक कहानी साझा करते हुए लिखा कि यही किम लीडबीटर चाहती है। दरअसल, यह कहानी है कनाडा की एक ऐसी दिव्यांग महिला की जो यह दावा कर रही थी कि कनाडा की सरकार उसे असिस्टिड सुसाइड के लिए मजबूर कर रही थी, जो वह नहीं चाहती है।

This is what the weirdo Kim Leadbeater wants.#assistedsuicide #AssistedDyingBill pic.twitter.com/oTToZvcayN

— Keir Wrong Un (@keirwrong) June 20, 2025

व्यक्ति के मरने का निर्णय कौन लेगा?

प्रश्न यही है कि व्यक्ति को मरना है, इसका निर्णय कौन लेगा? क्या सरकार में बैठे हुए लोग इसका निर्णय लेंगे कि कौन कब मरेगा? बीमारी के इलाज के स्थान पर क्या अब आत्महत्या में सहायता का विकल्प चुना जाएगा? मृत्यु एक अकाट्य सत्य है, परंतु मृत्यु क्या अपने निर्धारित समय पर आनी चाहिए या फिर उसे ऐसा सहज उपलब्ध करा देना चाहिए?

जो गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं, उनकी पीड़ा को समझा जाता है और समझा जाना भी चाहिए। इलाज के लिए नई खोजें और अनुसंधान किये जाने चाहिए, न कि उन्हें यह विकल्प दिया जाना चाहिए कि वे मर जाएं! क्या यह विधेयक तानाशाहों के उस निर्णय जैसा नहीं है कि जो समाज के लिए कम उपयोगी हों, उन्हें मार दिया जाए? disabilityrightsuk नामक हैंडल के माध्यम से liz carr नामक अभिनेत्री और कार्यकर्ता ने बताया कि वे क्यों इस विधेयक का विरोध कर रही हैं?

We’re here with Liz Carr, actor and activist with @TheNotDeadYetUK, speaking about why she’s opposed to the #AssistedDyingBill.

We are outside Parliament today protesting the bill and the devastating impacts it could have on Disabled people. pic.twitter.com/tIAoX5GxkR

— Disability Rights UK (@DisRightsUK) May 16, 2025

क्या ऐसे लोगों पर मरने का दबाव नहीं डाला जाएगा, जो गंभीर रूप से बीमार हैं और जो लोग गंभीर बीमारियों से लड़कर भी तमाम उपलब्धियां हासिल करते हैं, क्या यह विधेयक उनके मनोबल को तोड़ने वाला नहीं है? क्या यह तमाम संभावनाओं पर ताला लगाने वाला नहीं है? एक यूजर ने लिखा कि मुझे यह विश्वास नहीं होता कि उन्हें यह नहीं दिख रहा कि यह कैसे लोगों पर दबाव डालेगा कि वह अपनी ज़िंदगी ले ले!

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