ईरान और इज़राइल के बीच जारी संघर्ष के बीच भारत सरकार ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत अपने नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश वापस ला रही है। अब तक कई चरणों में भारतीयों को लाया जा चुका है। इसी क्रम में 19 जून को तीसरा जत्था दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचा, जिसमें 56 भारतीय नागरिक सवार थे।
जहां अधिकांश यात्री सरकार और भारतीय दूतावास का शुक्रिया अदा कर रहे हैं, वहीं कुछ लोगों की सोच ने चौंका दिया है। दिल्ली की रहने वाली निदा के शौहर ने एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि वापस आने से अच्छा ईरान की पवित्र धरती पर शहीद होना ज्यादा सम्मानजनक होता।
“वहां मरते तो अमर हो जाते”
निदा के शौहर ने कहा- “ईरान की जमीन पाक है, वहां शहीद होना हमारे लिए अमरत्व का रास्ता है। यहां सुरक्षित लौटने से बेहतर होता अगर वह वहीं शहीद हो जातीं। शहादत से बेहतर मौत कोई नहीं है। हमारे समुदाय (शिया मुस्लिम) में शहादत को सर्वोच्च माना जाता है। अभी ईरान की पाक ज़मीन पर कुर्बानी का समय है।”
निदा ने सरकार का आभार जताया
वहीं निदा ने खुद अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि वह 3 जून को ईरान गई थीं। वहां नेटवर्क की समस्या के चलते किसी से संपर्क नहीं हो पा रहा था, लेकिन जैसे ही मौका मिला, उन्होंने भारतीय दूतावास से मदद मांगी। भारत सरकार के प्रयासों से उन्हें सुरक्षित स्वदेश लौटने का अवसर मिला, जिसके लिए उन्होंने तहे दिल से धन्यवाद कहा।
सरकार ने समय रहते बचाया
निदा के अनुसार, केवल सीमा क्षेत्रों पर कुछ कठिनाइयां आईं, लेकिन पूरी प्रक्रिया शांतिपूर्ण रही। उन्होंने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंधु’ की वजह से न सिर्फ उन्हें, बल्कि सैकड़ों भारतीयों को समय रहते सुरक्षित निकाला जा सका।
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