केरल में एसडीपीआई अर्थात सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी ऑफ इंडिया के तीन कार्यकर्ताओं को एक महिला की आत्महत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है। एसडीपीआई प्रतिबंधित संगठन पीएफआई अर्थात पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का संगठन है।
परमबाई, वेंगड ग्राम पंचायत में राज़ीना नामक एक 40 वर्षीय महिला ने 17 जून को आत्महत्या कर ली थी। हालांकि यह गिरफ़्तारी तब हुई है, जब 19 जून को पुलिस को उसके शरीर से सुसाइड नोट मिला। कन्नूर सिटी पुलिस कमिश्नर निधीनराज ने कहा कि सुसाइड नोट में गिरफ्तार किये गए इन लोगों के नाम खुलकर लिखे थे, जिन्होंने यह कहा था कि वह राज़ीना और उसके पुरुष मित्र को जिंदा नहीं छोड़ेंगे।
कहानी दरअसल 15 जून से शुरू हुई थी। जब राज़ीना अपने दोस्त रहीस के साथ उसकी पार्क की गई कार के पास खड़े होकर बात कर रही थी। उसे समय कुछ लोगों का समूह वहाँ पर आया। जो कि कथित रूप से एसडीपीआई के सदस्य थे। और देखते ही देखते उन दोनों को इन लोगों ने घेर लिया और उन दोनों का विरोध करने लगे।
हालांकि ऐसा कहा जा रहा है कि एसडीपीआई के कार्यकर्ताओं ने यह कदम भाई होने के नाते उठाया था। और इन लोगों ने राज़ीना से कहा कि वह वहाँ से चली जाए। रहीसा को वहाँ से भेजकर फिर रहीस को उन लोगों ने पकड़ा और फिर वे एक स्थान पर ले गए। ऐसा माना जाता है कि वह स्थान एसडीपीआई का स्थानीय कार्यालय था। वहाँ पर और भी लोग शामिल थे और फिर रहीस और राज़ीना के परिवारवालों को बुलाया गया।
उन दोनों के व्यक्तिगत चैट जोर जोर से पढे गए और फिर उसके बाद रहीस को जाने दिया गया।
पुलिस का कहना है कि रफनास सी के (24 वर्ष), मुबाशिर वी पी (28), और फैसल के को गिरफ्तार किया गया है, क्योंकि इन सभी घटनाओं के कारण राज़ीना डर गई थी। रफनास को राज़ीना का रिश्तेदार भी बताया जा रहा है। पुलिस ने बताया कि इसके बाद राज़ीना को धमकाया भी गया। और इसके साथ पुलिस का यह भी कहना है कि इस मामले की और जांच की जा रही है और साथ ही इसमें और भी लोग शामिल हो सकते हैं।
मगर पुलिस की जांच से इतर राज़ीना के परिजनों का यह कहना है कि उनकी बेटी की मॉरल पुलिसिंग नहीं की गई थी। चूंकि रफ़सान राज़ीना का भाई था, तो उसने भाई होने के नाते टोका था और राज़ीना की मौत का कारण कोई मोरल पुलिसिंग नहीं है, बल्कि रहीस द्वारा की गई पैसों की धोखाधड़ी है।
राज़ीना की अम्मी का कहना है कि रहीस ने राज़ीना से पैसे और सोना हड़प लिया था और यह भी कहना था कि वह रहीस के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराएंगी।
हालांकि पुलिस का कहना है कि राज़ीना के सुसाइड नोट से रहीस द्वारा पैसे हड़पे जाने की कोई बात नहीं मिली है और शिकायत आने पर वे कदम उठाएंगे।
मुस्लिम महिलाओं की मोरल पुलिसिंग पर सन्नाटा रहता है
यह और भी हैरान करने वाली बात है कि मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाली इस प्रकार की मोरल पुलिसिंग जिनमें उन्हें उनके प्यार करने या दोस्त बनाने की पसंद को लेकर निशाना बनाया जाता है, धमकियाँ दी जाती हैं और अपमानजनक शब्दों से सूचित किया जाता है, मगर महिला विमर्श की बात करने वाले वर्ग के बीच एक चुप्पी रहती है। राज़ीना की मौत भी एक खबर बनकर ही रह जाएगी, कोई भी महिला विमर्श वाले इस बात पर बहस नहीं करेंगे कि आखिर राज़ीना की गलती क्या थी?
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