इजरायल ईऱान युद्ध के बीच एक चीज जो वैश्विक बाजारों को डराए हुए है और वो है तेल की कीमत। ये वो फैक्टर, जिसने वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल मचाकर रख दिया है। युद्ध ने कच्चे तेल की कीमतों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है, जिसका असर भारत जैसे तेल आयातक देशों पर पड़ना तय माना जा रहा है। भारत, जो अपनी 85% तेल जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है इससे प्रभावित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि युद्ध और गहराता है, तो भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं। इस बीच, सरकार ने स्थिति पर नजर रखने और ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने की बात कही है।
इजरायल-ईरान युद्ध का क्या है तेल बाजार पर असर?
इजरायल द्वारा ईरान के सैन्य और ऊर्जा ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों ने वैश्विक तेल बाजार में उथल-पुथल मचा दी है। ब्रेंट क्रूड की कीमतें जून 2025 की शुरुआत से $10 प्रति बैरल की उछाल के साथ $78 तक पहुंच गईं। यदि युद्ध का दायरा बढ़ता है और होर्मुज जलसंधि जैसे महत्वपूर्ण तेल मार्ग बाधित होते हैं, तो कीमतें $120 प्रति बैरल तक जा सकती हैं। होर्मुज जलसंधि विश्व के 20% कच्चे तेल और 25% तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) के व्यापार का मार्ग है। इस मार्ग के बंद होने से भारत जैसे देशों को तेल आपूर्ति में भारी रुकावट का सामना करना पड़ सकता है।
भारत पर क्या होगा असर?
उल्लेखनीय है कि भारत अपनी कुल तेल जरूरतों का करीब 40 फीसदी आयात मध्य पूर्वी देशों जैसे इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत से आयात करता है। ये सभी व्यापार होर्मुज जलसंधि के रास्ते होते हैं। अगर ईरान इस रास्ते को बंद कर देता है तो न केवल तेल की कीमतें बढ़ेंगी, बल्कि माल ढुलाई और बीमा लागत भी बढ़ सकती है। इससे पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में ₹3 से ₹5 प्रति लीटर की वृद्धि हो सकती है। वर्तमान में दिल्ली में पेट्रोल ₹94.77 और डीजल ₹87.67 प्रति लीटर है। कीमतों में वृद्धि से परिवहन लागत बढ़ेगी, जिसका असर खाद्य पदार्थों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर भी पड़ेगा।
देश के पास है पर्याप्त भंडार
इस बीच तेल की कीमतों को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आश्वासन दिया है कि भारत के पास अगले कुछ महीनों के लिए पर्याप्त ऊर्जा भंडार हैं। उन्होंने हाल ही में पेट्रोलियम मंत्रालय के सचिव और सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों के प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक की। पुरी ने सोशल मीडिया मंच ‘X’ पर कहा, “भारत की ऊर्जा रणनीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में उपलब्धता, सामर्थ्य और स्थिरता के त्रिकोण को संतुलित करने पर केंद्रित है। हम स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं और किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार हैं।”
फिलहाल भारत सरकार के पास वर्तमान में 74 दिनों के लिए तेल भंडार हैं, जिसमें इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOCL) के पास 40-42 दिन, भारतीय सामरिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड (ISPRL) के पास 9 दिन और बाकी भारत पेट्रोलियम (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) के पास है। सरकार का दावा है कि यह भंडार संकट की स्थिति में आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।
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