ईरान के परमाणु कार्यक्रम को ध्वस्त करने के लिए इजरायल ने ईऱान पर एयरस्ट्राइक कर दी है। इसके बाद अब दोनों ही देशों के बीच युद्ध शुरू हो गया है। इस बीच इस्लामवादी नेता दोनों देशों के बीच चल रहे इस युद्ध को कुरान और इस्लाम का हवाला देकर इसे इस्लामिक उम्माह के खिलाफ युद्ध करार दिया है।
अफगान वॉयस एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ईराक में जुमे की नमाज के इमाम अयातुल्ला मौसवी ने इजरायल के खिलाफ सभी मुस्लिम देशों को इस्लाम के नाम एकजुट करने की कोशिश की। मौलवी ने कहा कि ये हमला इस्लामिक उम्माह और अमेरिका, यूरोप और इजरायल के त्रिपक्षीय गठबंधन के बीच का मामला है। मौसवी ने इसे टकराव का महत्वपूर्ण मोड़ करार दिया। इस्लामिक मौलवी ने इस्लामिक देशों के बंटे होने का हवाला देते हुए चेतावनी दी कि सिवाय हार और पतन के इसका और कोई परिणाम नहीं निकलने वाला है, जैसा कि इराक, गाजा, लेबनान, यमन और सीरिया में हुआ।
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अमेरिका पर आरोप
अय़ातुल्ला मौसवी ने कहा कि इन सभी देशों में आज जो भी परिस्थितियां हैं, वो अमेरिका की क्षेत्र को बदलने की व्यापक योजना के बिल्कुल अनुरूप ही चल रही हैं। मौलवी ने दावा किया कि इजरायल द्वारा ईरान पर हमला करने का उद्येश्य केवल उसके कुछ कमांडरों, विद्वानों और नागरिकों , महिलाओं और बच्चों की हत्या करना नहीं है। ये न्याय और सत्य को खत्म करने की वैश्विक साजिश का हिस्सा है। कुरान का हवाला देते हुए इमाम ने दावा किया कि कुरान में इसके बारे में बताया गया है।
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अल्लाह ने खिलाफत के लिए चुना है
एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, जुमे की नमाज के बाद इमाम ने जहर फैलाते हुए कहा कि ईश्वर ने हमें धरती पर न्याय की स्थापना करने औऱ खिलाफत के वादे को पूरा करने के लिए हमें चुना है। इस मामले में इमाम ने सूर अन नूर की आयत 55 का हवाला देते हुए कहा कि इसमें धर्मी विश्वासियों के विजय शक्ति और सुरक्षा का वादा किया है।
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