सुअर साथ लेकर चलने के वीडियो सोशल मीडिया पर हो रहे वायरल
सोशल मीडिया पर इन दिनों कुछ रोचक वीडियो वायरल हो रहे हैं। एक वीडियो फ्रांस का और एक-दो इटली के हैं। इनमें दिख रहा है कि एक लड़की एक सुअर को अपने साथ इस तरह लेकर जा रही है, जैसे वह कुत्तों को लेकर जाती थी।
कुत्तों की तरह सुअर? यह बात हैरान करने वाली दिखती है। आखिर क्यों कोई लड़की सुअर लेकर चलेगी? सुअर को ऐसा पालतू पशु तो माना नहीं जाता है, कि उसे अपने साथ लेकर कोई चले? अब यदि कोई उसे अपने साथ लेकर चल रहा है, तो इसका कारण भी हैरान करने वाला ही होगा।
लड़कियां सूअरों को सड़कों पर साथ लेकर रखी हैं और उन्हें ट्रेन आदि में भी साथ लेकर जा रही हैं।
ऐसा ही एक वीडियो और वायरल हो रहा है, जोकि इटली का बताया जा रहा है। इसमें भी एक लड़की एक बड़े सुअर के साथ सड़क पर टहल रही है।
जहाँ कुछ लोग इस विचार की प्रशंसा कर रहे हैं तो वहीं बहुत से लोग ऐसे हैं, जो यह प्रश्न उठा रहे हैं कि अगर लड़कियां इस सीमा तक असहाय महसूस करने लगी हैं तो सरकार क्या कर रही है?
लड़कियां ऐसा क्यों कर रही हैं?
प्रश्न यह भी उठ रहा है कि लड़कियां ऐसा क्यों कर रही हैं? और यदि इस कदम को लेकर सरकार की आलोचना हो रही है तो क्यों हो रही है? सुअर लेकर चलने से सुरक्षा क्यों और किससे मिल रही है? ऐसे तमाम प्रश्न हैं जो उभरकर आ रहे हैं।
सुरक्षा किससे और क्यों?
फ्रांस सहित यूरोप के कई देशों से लगातार ऐसे वीडियो सामने आ रहे हैं, जो यह साबित कर रहे हैं कि वहाँ पर लड़कियों के साथ सरेराह छेड़छाड़ हो रही है और अधिकांश मामलों में यह छेड़छाड़ अप्रवासी करते हैं और जो अधिकांश मुस्लिम समुदाय से हैं।
मुस्लिमों में सुअर को अपवित्र माना जाता है और वे इससे दूर रहना पसंद करते हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि लड़कियां अपने आप को छेड़छाड़ से बचाने के लिए सुअर साथ लेकर चल रही हैं।
सुरक्षा देना सरकार का काम: क्या सरकार विफल है?
लोग प्रश्न कर रहे हैं कि सुरक्षा देना सरकार का काम है। क्या सेल्फ डिफेंस के नाम पर लड़कियों को इस प्रकार के कदम उठाने चाहिए या फिर सरकार को ऐसा कार्य करना चाहिए कि लड़कियों के मन में सुरक्षा बोध का विकास हो। एक यूजर ने लिखा कि जब सेल्फ डिफेंस का मतलब एक बड़ा सुअर हो जाए, तो आधुनिक फ्रांस में आपका स्वागत है। उन्होनें आगे लिखा कि
“जब महिलाएं कानून के साथ चलने की तुलना में पशुओं के साथ चलने में अधिक सुरक्षित महसूस करती हैं, तो आप समझ जाते हैं कि कुछ तो बहुत गलत हो रहा है! लेकिन निश्चित रूप से, हमें बताते रहें कि यह सब सिर्फ़ “बहुसांस्कृतिक समृद्धि” है।“
लोगों का कहना है कि इस कथित बहुसांस्कृतिक समृद्धि अर्थात मल्टीकल्चरल एनरिचमेंट ने पश्चिमी देशों को खोखला कर दिया है और वहाँ की लड़कियों को सबसे सरल शिकार बना दिया है। वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि ऐसा न हो कि फ्रांस की सरकार सुअरों को पालने देने पर ही प्रतिबंध लगा दे।
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