पंजाब की राजनीति इन दिनों गर्म है—शब्दशः और प्रतीकात्मक रूप से। लुधियाना वेस्ट विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव ने राज्य की राजनीति को नया मोड़ दे दिया है। जहां एक ओर पंजाब की गर्मी 43 डिग्री सेल्सियस पार कर चुकी है, वहीं दूसरी ओर सियासी पारा इससे कहीं अधिक उबलता दिखाई दे रहा है। उपचुनाव के इस रण में सभी प्रमुख राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं, लेकिन सबसे तीव्र सक्रियता दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की देखी जा रही है। यह चुनाव सिर्फ एक सीट का नहीं, बल्कि आने वाले महीनों में पंजाब की सियासी दिशा तय करने वाला टर्निंग प्वाइंट बन सकता है।
धमकी या अपील?
चुनाव प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल का एक बयान खासा चर्चा में है। उन्होंने लोगों से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी और राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को जिताने की अपील करते हुए कहा कि “अगर आम आदमी पार्टी का प्रत्याशी हार गया तो विकास नहीं होगा, चूंकि पंजाब में हमारी सरकार है। विपक्ष का विधायक होगा तो काम कैसे होगा ?” यह ब्यान राजनीतिक विरोधियों द्वारा धमकी की तरह देखा गया है और केजरीवाल की रणनीति को कठघरे में खड़ा करता है।
यह पहली बार नहीं है जब केजरीवाल पर इस प्रकार की ‘धमकी भरी ब्यानबाज़ी’ का आरोप लगा हो। इससे पहले हुए उपचुनाव के दौरान भी उन्होंने कुछ ऐसे ही शब्दों का इस्तेमाल किया था। लेकिन इस बार यह बयान कहीं ज़्यादा बार और ज़ोर से दोहराया गया, जिस कारण राजनीतिक गलियारों और मीडिया में इसकी गूंज अधिक सुनाई दे रही है।
‘आप’ दी सरकार, ‘आप’ दा एमएलए !
आम आदमी पार्टी की ओर से तमाम होर्डिंग्स व रैलियों में लगाए गए बैनर्स पर भी यह साफ साफ लिखा है कि आप दी सरकार, आप दा एमएलए यानि कि आम आदमी पार् टी की सरकार और आम आदमी पार्टी का ही एमएलए।
संजीव अरोड़ा की असल भूमिका क्या?
इस उपचुनाव में आम आदमी पार्टी ने संजीव अरोड़ा को मैदान में उतारा है, जो वर्तमान में राज्यसभा के सदस्य हैं। लेकिन अंदरखाने चर्चाएं हैं कि यदि वे यह चुनाव जीत जाते हैं, तो राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा देकर रास्ता साफ करेंगे — शायद केजरीवाल खुद के लिए या फिर मुख्यमंत्री भगवंत मान के लिए।
केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता रवनीत सिंह बिट्टू ने हाल ही में दावा किया कि अगर AAP इस सीट पर जीतती है, तो राज्यसभा के लिए केजरीवाल नहीं बल्कि भगवंत मान जाएंगे, क्योंकि केजरीवाल स्वयं पंजाब के मुख्यमंत्री बनने की इच्छा लंबे समय से रखते हैं। ऐसे में यह उपचुनाव एक सीधा रास्ता बन सकता है, न केवल विधान सभा में प्रवेश के लिए, बल्कि राज्य की सत्ता की कुर्सी के लिए भी।
ग़लत बयानी या जल्दबाज़ी?
चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल ने एक और बयान दिया जो अब उनका पीछा कर रहा है। उन्होंने कहा कि “लुधियाना वेस्ट के लोग 19 जून को वोट देकर संजीव अरोड़ा को जिताएं, 20 जून को उन्हें मंत्री बना दिया जाएगा।” लेकिन हक़ीक़त यह है कि 19 को वोटिंग है और नतीजे 23 जून को आएंगे। यह जल्दबाजी या रणनीतिक ‘ओवर-कॉन्फिडेंस’ दोनों ही रूपों में देखा जा रहा है।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो यदि राज्यसभा की सीट खाली करवाने के लिए संजीव अरोड़ा को बिना चुनाव जीते ही मंत्री बनाना पड़ा, तो वह भी किया जा सकता है। बाद में सरकार किसी अन्य सीट से उपचुनाव करवा कर उन्हें फिर से विधायक बना सकती है।
गोगी की विरासत, और समीकरण
इस उपचुनाव की पृष्ठभूमि भी भावनात्मक और सियासी रूप से बेहद महत्वपूर्ण है। AAP के मौजूदा विधायक गुरप्रीत गोगी के निधन के कारण यह उपचुनाव हो रहा है। शुरुआती चर्चा थी कि गोगी की पत्नी को टिकट दिया जाएगा, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद समीकरण बदले और यह टिकट राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा को सौंप दिया गया।
AAP इस बदलाव से गोगी परिवार की नाराज़गी को लेकर चिंतित थी। इसलिए पार्टी ने गोगी की पत्नी को पंजाब सरकार में चेयरपर्सन की जिम्मेदारी देकर संतुलन बनाने की कोशिश की। वहीं, पार्टी की पूरी लीडरशिप इस सीट पर हर हाल में जीत दर्ज कराने में लगी हुई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस चुनाव के सियासी मायने कितने गहरे हैं।
लुधियाना वेस्ट: 2022 विधानसभा चुनाव बनाम 2024 लोकसभा चुनाव
पार्टी / प्रत्याशी | 2022 विधानसभा चुनाव (वोट) | प्रतिशत (%) | 2024 लोकसभा चुनाव (लुधियाना वेस्ट से मिले वोट) |
---|---|---|---|
आम आदमी पार्टी (AAP) गुरप्रीत सिंह गोगी |
40,443 | 34.46% | अशोक पराशर – 22,461 |
कांग्रेस (INC) भारत भूषण आशू |
32,931 | 28.06% | राजा वड़िंग – 30,889 |
भाजपा (BJP) विक्रमजीत सिद्धू |
28,107 | 23.95% | रवनीत बिट्टू – 45,424 |
शिअद (SAD) महेशइंद्र सिंह गरेवाल |
10,072 | ~8.6% | रणजीत ढिल्लों – 5,560 |
ट्रेंडिंग बदलाव
- · 2022 में तीसरे स्थान पर रही भाजपा 2024 में लुधियाना वेस्ट क्षेत्र में पहले स्थान पर पहुंच गई।
- · आम आदमी पार्टी का वोट प्रतिशत गिरा, जबकि भाजपा को भारी बढ़त मिली।
- · कांग्रेस ने अपने वोट बैंक को बनाए रखा लेकिन भाजपा से पीछे रह गई।
अब मुकाबला किसके बीच है?
- · AAP: राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा
- · कांग्रेस: पार्टी के कार्यकारी प्रधान व पूर्व मंत्री भारत भूषण आशू
- · भाजपा: पार्टी के उपाध्यक्ष व पूर्व महामंत्री जीवन गुप्ता
लुधियाना वेस्ट के साल 2022 के चुनाव नतीजों की बात करें तो आम आदमी पार्टी की ओर से गुरप्रीत सिंह गोगी को 34.46 फीसद के हिसाब 40443 वोट पड़े थे और गोगी 7512 वोटों की लीड से यह चुनाव जीत थे। दूसरे स्थान पर तत्कालीन कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशू रहे जिन्हें 32931 वोट पड़े जोकि कुल का 28.06 फीसद रहा। एडवोकेट विक्रमजीत सिंह सिद्धू को 23.95 फीसदी वोट मिले जोकि 28107 बने जबकि शिरोमणि अकाली दल के एडवोकेट महेशइंद्र सिंह गरेवाल को 10072 वोट मिले थे।
इसके बाद 2024 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान यदि वेस्ट विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो इस इलाके से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी व लुधियाना से विधायक अशोक पराशर को 22461 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के पंजाब प्रधान व तत्कालीन विधायक अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग को 30889 वोट मिले। इस चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए रवनीत सिंह बिट्टू को 45424 वोट मिले थे जबकि शिरोमणि अकाली दल के रणजीत सिंह ढिल्लों को 5560 वोट पड़े थे। अब विधानसभा के 2022 और लोकसभा चुनाव को 2024 के नतीजों का मिलान करें तो 2022 में जो भाजपा तीसरे स्थान पर थी वो 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान 15 हजार वोट की लीड से पहले स्थान पर थी।
अब लुधियाना वेस्ट के उपचुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी के संजीव अरोड़ा के मुकाबले कांग्रेस की ओर से पंजाब कांग्रेस के कार्यकारी प्रधान व पूर्व मंत्री भारत भूषण आशु और भाजपा की ओर पंजाब के पूर्व महामंत्री व मौजूदा समय में पंजाब भाजपा के उपप्रधान जीवन गुप्ता मैदान में हैं।
सत्ता नहीं, पर संकेत ज़रूरी
गौरतलब है कि यदि आम आदमी पार्टी इस उपचुनाव में हार भी जाती है, तब भी पंजाब में उसकी सरकार को कोई संकट नहीं है। विधानसभा में बहुमत सुरक्षित है। लेकिन फिर भी इस एक सीट पर जीत का महत्व ‘सत्ता समीकरण’ से ज़्यादा ‘राज्यसभा समीकरण’ और आने वाले सियासी इरादों से जुड़ा है।
यह उपचुनाव कई सवाल खड़े करता है —
- · क्या केजरीवाल पंजाब से राज्यसभा जाएंगे?
- · क्या भगवंत मान को दिल्ली या केंद्र में कोई नई भूमिका मिलेगी?
- · क्या पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन की भूमिका तैयार हो रही है?
इन सभी संभावनाओं की बुनियाद लुधियाना वेस्ट की एक सीट पर टिकी है।
लुधियाना वेस्ट उपचुनाव अब महज़ एक सीट का उपचुनाव नहीं रहा, बल्कि यह आम आदमी पार्टी की रणनीति, केजरीवाल की महत्वाकांक्षा, और पंजाब की भविष्य की राजनीति का पूर्वाभास बन चुका है। जीत किसी की भी हो, लेकिन इस चुनाव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पंजाब की राजनीति में आने वाले दिनों में बहुत कुछ बदलने वाला है — और वह बदलाव यहीं से शुरू होगा।
टिप्पणियाँ