राष्ट्रपति भवन का प्रांगण इन दिनों भारत की पारंपरिक चित्रकलाओं की सजीव छटा से आलोकित है। ‘आर्टिस्ट इन रेसिडेंस’ कार्यक्रम के अंतर्गत गत दिनों मधुबनी और गोंड चित्रकला से जुड़े प्रख्यात कलाकारों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से औपचारिक भेंट की।
यह कार्यक्रम, जिसे ‘कला उत्सव’ के रूप में भी जाना जाता है, भारत की जनजाति, लोक एवं पारंपरिक कला शैलियों को उनके मौलिक स्वरूप में प्रस्तुत करने का एक सशक्त मंच है। राष्ट्रपति भवन में आयोजित यह उत्सव उन कलाकारों को एक गरिमामय स्थान प्रदान करता है, जिन्होंने पीढ़ियों से अपने चित्रांकन के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विरासत को संजोए रखा है।
20-27 मई तक आयोजित इस कार्यक्रम में बिहार की विशिष्ट मिथिला लोक चित्रकला (जिसे मधुबनी चित्रकला के नाम से जाना जाता है) और मध्य प्रदेश की जनजाति गोंड चित्रकला के प्रमुख कलाकार राष्ट्रपति भवन परिसर में निवासरत रहे।
सहभागी कलाकारों में मिथिला चित्रकला से शांति देवी, अंबिका देवी, मनीषा झा, प्रीति कर्ण, रंजन पासवान, शांति देवी झा, उर्मिला देवी, श्रवण पासवान, कुमारी नलिनी शाह और मोती कर्ण सम्मिलित रहे। वहीं, गोंड शैली का प्रतिनिधित्व दुर्गाबाई व्याम, सुभाष व्याम, ननकुसिया श्याम, राम सिंह उर्वेती, दिलीप श्याम, चंपाकली, हीरामन उर्वेती और जापानी श्याम धुर्वे ने किया।
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