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सामाजिक सुरक्षा के मामले में भारत की लंबी छलांग, विश्व में दूसरे नंबर पर पहुंचा, 94 करोड़ लोग किए कवर

भारत ने सामाजिक सुरक्षा कवरेज को 19% से 64.3% तक बढ़ाकर विश्व में दूसरा स्थान हासिल किया। 94 करोड़ नागरिक लाभान्वित, अंत्योदय नीति और डिजिटल योजनाओं को श्रेय। आईएलओ ने सराहा।

Published by
Kuldeep Singh

भारत सरकार के ‘सबसा साथ सबका विकास’ नारे की सार्थकता जमीन पर दिख रही है। सरकार लगातार लोगों को सामाजिक सुरक्षा देने की दिशा में काम कर रही है। इसका असर ये हो रहा है कि अब सामाजिक सुरक्षा के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक दशक के अंदर ही भारत ने अभूतपूर्व प्रगति करके सामाजिक सुरक्षा कवरेज को 19% से बढ़ाकर 64.3% तक पहुंचा दिया है।

सरकार के द्वारा दी जा रही सामाजिक सुरक्षा की रैंकिंग में 45 फीसदी का उछाल आया है। अपने 10 साल के कार्यकाल में सरकार ने 94 करोड़ से अधिक नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने में विश्व में दूसरे स्थान पर है।

केंद्रीय मंत्री बोले यह अन्त्योदय के कारण ही संभव

केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया जिनेवा में 113वें अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में शामिल होने के लिए गए हुए हैं। वहां उन्होंने सामाजिक सुरक्षा के मामले में भारत की छलांग का श्रेय सरकार की “अंत्योदय” नीति को दिया। उन्होंने कहा कि इस नीति का उद्देश्य समाज के सबसे कमजोर वर्ग को सशक्त करना है। मांडविया ने बताया कि डिजिटल तकनीक और समावेशी योजनाओं के जरिए भारत ने न केवल सामाजिक सुरक्षा का विस्तार किया, बल्कि 7.5 करोड़ से अधिक औपचारिक नौकरियां भी पैदा कीं।

भविष्य की योजनाएं और लक्ष्य

श्रम मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह केवल प्रारंभिक चरण है। अभी तक आठ राज्यों की केंद्रीय और महिला-केंद्रित योजनाओं को शामिल किया गया है। अगले चरण में और अधिक योजनाओं के सत्यापन के बाद, भारत का सामाजिक सुरक्षा कवरेज 100 करोड़ के आंकड़े को पार कर सकता है। यह भारत की डिजिटल और समावेशी नीतियों का एक मजबूत प्रमाण है।

आईएलओ ने की भारत की तारीफ

आईएलओ के महानिदेशक गिल्बर्ट एफ. हौंगबो ने भारत की इस उपलब्धि को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लागू की गई कल्याणकारी योजनाओं की तारीफ की। आईएलओ के डैशबोर्ड पर भारत की प्रगति को आधिकारिक तौर पर दर्ज किया गया है, जो पिछले तीन वर्षों के सत्यापित आंकड़ों पर आधारित है।

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