दुनिया तेज रफ्तार में आधुनिकता की ओर दौड़ रही है, लेकिन इसके चक्कर में इंसान अपने खानपान को नजरअंदाज कर रहा है। जिसका खामियाजा उसे गंभीर बीमारियों के रूप में भुगतना पड़ता है। इसी असंयमित खान-पान का नतीजा है फैटी लिवर। इसकी वजह से कई बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। इसी को लेकर भारत के प्रमुख फैटी लिवर विशेषज्ञ प्रो. अनिल अरोड़ा के साथ बातचीत की गई। प्रो. डॉ अनिल अरोड़ा प्रसिद्ध गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और हेपेटोलॉजिस्ट हैं। पिछले 35 से अधिक वर्षों से स्वास्थ्य के क्षेत्र में सेवारत हैं। वर्तमान में दिल्ली स्थित सर गंगा राम अस्पताल के गंगा राम इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के लिवर, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी और पैंक्रियाटिकोबिलरी विज्ञान संस्थान के अध्यक्ष हैं। प्रो. अनिल अरोड़ा के साथ बातचीत के कुछ अंश इस प्रकार हैं।
आजकल हर जगह फैटी लिवर की बात हो रही है। ये अचानक इतना बड़ा मुद्दा क्यों बन गया?
बात ये है कि फैटी लिवर अब एक तरह की महामारी बन चुका है। पहले हम इसे सिर्फ शराब पीने वालों में देखते थे, लेकिन अब नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD), जिसे अब MASLD भी कहते हैं, तेजी से बढ़ रहा है। खासकर युवा लोग, जो बाहर से तो फिट दिखते हैं, वो भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। फास्ट फूड, बैठे-बैठे काम करने की आदत, मोटापा, तनाव, और नींद की कमी – ये सब मिलकर हमारे लिवर को बीमार कर रहे हैं। सबसे डरावनी बात ये है कि लिवर चुपके से खराब होता है। जब तक कोई लक्षण दिखता है, तब तक बहुत नुकसान हो चुका होता है।
फैटी लिवर आखिर है क्या? और आम इंसान को इसकी फिक्र क्यों करनी चाहिए?
साधारण शब्दों में फैटी लिवर यानी लिवर में जरूरत से ज्यादा चर्बी का जमा हो जाना। सामान्य लिवर में चर्बी बिल्कुल नहीं या बहुत कम होती है। लेकिन जब ये चर्बी 5% से ज्यादा हो जाए, तो दिक्कत शुरू हो जाती है। ये कोई रातों रात होने वाली चीज नहीं है, ये हमारी सालों की गलत आदतों का नतीजा है। अच्छी बात ये है कि अगर जल्दी पता चल जाए और सही कदम उठाए जाएं, तो इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।
ये बीमारी किसे हो सकती है? कौन सबसे ज्यादा रिस्क में है?
जिन लोगों को मोटापा, टाइप 2 डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, या मेटाबॉलिक सिंड्रोम है, उन्हें खतरा ज्यादा है। और हां, पीसीओएस वाली महिलाएं भी रिस्क में हैं। लेकिन अब हम इसे उन लोगों में भी देख रहे हैं जो मोटे नहीं हैं। ज्यादा चीनी, प्रोसेस्ड खाना, और कम शारीरिक गतिविधि – ये सब इसके लिए जिम्मेदार हैं। हैरानी की बात ये है कि अब बच्चे और टीनएजर्स, खासकर शहरों में, इसकी चपेट में आ रहे हैं। यानी ये अब ना उम्र देखता है, ना जेंडर।
आप कह रहे हैं कि ये बीमारी चुपके से आती है। तो कोई कैसे जाने कि उसे ये है?
ज्यादातर लोगों को कोई लक्षण नहीं दिखता। ना दर्द, ना बेचैनी। अक्सर ये अल्ट्रासाउंड या खून की जांच में लिवर एंजाइम बढ़े हुए दिखने से पता चलता है। इसलिए रेगुलर हेल्थ चेकअप बहुत जरूरी है, खासकर अगर आप हाई-रिस्क ग्रुप में हैं। अगर फाइब्रोसिस शुरू हो जाए, तो थकान, कमजोरी, या पेट में हल्की तकलीफ हो सकती है। लेकिन तब तक बीमारी काफी आगे बढ़ चुकी होती है।
खाने-पीने का लिवर से क्या कनेक्शन है? हमारा खाना इसे कैसे प्रभावित करता है?
लिवर हमारे शरीर का पावरहाउस है। जो कुछ भी हम खाते-पीते हैं, वो लिवर से होकर गुजरता है। आजकल हम ज्यादा कैलोरी, कम पोषण वाला, प्रोसेस्ड खाना, और मीठे ड्रिंक्स ले रहे हैं। इससे लिवर पर बोझ पड़ता है, और वो चर्बी जमा करने लगता है। इससे सूजन और इंसुलिन रेजिस्टेंस शुरू हो जाता है, जो लिवर को नुकसान पहुंचाता है। लेकिन अच्छी बात ये है कि जैसे खाना लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है, वैसे ही सही खाना इसे ठीक भी कर सकता है।
लिवर के लिए क्या खाना चाहिए?
मैं हमेशा मेडिटरेनियन डाइट की सलाह देता हूं। इसमें ढेर सारी सब्जियां, फल (खासकर जामुन और खट्टे फल), साबुत अनाज, मछली, चिकन, टोफू, दालें, और हेल्दी फैट जैसे ऑलिव ऑयल, नट्स, और एवोकाडो शामिल करें। और हां, कॉफी! जी हां, थोड़ी-सी ब्लैक कॉफी लिवर के लिए अच्छी है, क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। ग्रीन टी भी फायदेमंद है। घर का बना खाना, हल्दी-लहसुन जैसे मसाले, और ऑलिव या सरसों का तेल इस्तेमाल करें। मैदा, तला हुआ, और ज्यादा नमक वाला खाना अवॉइड करें।
क्या कॉफी लिवर के लिए अच्छी है?
हां, कई स्टडीज बताती हैं कि दिन में 2-3 कप ब्लैक कॉफी लिवर फाइब्रोसिस और कैंसर का रिस्क कम कर सकती है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप सारा दिन कॉफी पीकर जंक फूड खाएं। ये सब बैलेंस्ड डाइट का हिस्सा होना चाहिए।
हमें किन चीजों से बचना चाहिए?
कुछ भी प्रोसेस्ड, मीठा, नमकीन, या डीप-फ्राई। जैसे: कोल्ड ड्रिंक्स, एनर्जी ड्रिंक्स, मैदा, पेस्ट्री, सफेद ब्रेड, फास्ट फूड, तला हुआ खाना, ज्यादा नमक वाले पैकेज्ड स्नैक्स, हाई-फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप और हां, ज्यादा शराब लिवर के लिए जहर है। अगर आपको पहले से फैटी लिवर है, तो थोड़ी-सी भी शराब नुकसान कर सकती है।
क्या शराब पूरी तरह बंद कर देनी चाहिए?
जरूरी नहीं। अगर आप स्वस्थ हैं, तो हफ्ते में 1-2 बार थोड़ी-सी शराब ठीक है। लेकिन अगर लिवर में पहले से दिक्कत है या आप लिवर को प्रभावित करने वाली दवाएं ले रहे हैं, तो शराब से पूरी तरह बचें।
खाने के अलावा, लिवर को हेल्दी रखने के लिए और क्या कर सकते हैं?
तीन चीजें सबसे जरूरी:
रेगुलर एक्सरसाइज – रोज 30 मिनट तेज चलना भी काफी है।
हेल्दी वजन – सिर्फ 5-10% वजन कम करने से लिवर में बड़ा बदलाव आ सकता है।
खूब पानी पिएं – ये डिटॉक्स और मेटाबॉलिज्म में मदद करता है।
साथ ही, बिना जरूरत दर्द की गोलियां या सप्लीमेंट्स से बचें। कोई भी हर्बल ट्रीटमेंट लेने से पहले डॉक्टर से पूछ लें।
एक्सरसाइज का क्या रोल है?
एक्सरसाइज इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाता है और लिवर की चर्बी कम करता है। स्टडीज कहती हैं कि बिना वजन घटाए भी, रेगुलर एक्सरसाइज – जैसे चलना, साइकिलिंग, योगा, या वेट ट्रेनिंग – लिवर की चर्बी घटा सकता है। एरोबिक और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग का कॉम्बिनेशन बेस्ट है। अगर टाइम कम है, तो हफ्ते में तीन बार 20 मिनट का HIIT भी कमाल कर सकता है।
कौन से सप्लीमेंट्स लिवर के लिए अच्छे हैं?
कुछ स्टडीज में मिल्क थीस्ल, हल्दी, और ओमेगा-3 के फायदे दिखे हैं। लेकिन हर सप्लीमेंट सेफ नहीं होता। कई बार ये लिवर को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। मेरा सुझाव है, पहले डॉक्टर से बात करें।
क्या फैटी लिवर को ठीक किया जा सकता है?
हां, बिल्कुल! अगर जल्दी पकड़ में आ जाए और आप डाइट, वजन, एक्सरसाइज, और शराब पर कंट्रोल करें, तो फैटी लिवर को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। लेकिन अगर ये सिरोसिस तक पहुंच जाए, तो नुकसान स्थायी हो जाता है।
जो लोग सोचते हैं, “मुझे तो कुछ नहीं हुआ, लिवर की चिंता क्यों करूं?” उनके लिए क्या मैसेज है?
लक्षणों का इंतजार मत करो। लिवर बहुत सहनशील है, लेकिन अविनाशी नहीं। अगर तुम अपने भविष्य, एनर्जी, वजन, या दिमागी सेहत की फिक्र करते हो, तो अभी से लिवर का ध्यान रखो। ना डिटॉक्स डाइट की जरूरत है, ना महंगी गोलियां। बस हेल्दी खाना, रोज थोड़ी एक्टिविटी, और रेगुलर चेकअप शुरू कर दो। तुम्हारा लिवर चुपके से तुम्हें थैंक्यू बोलेगा।
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