नई दिल्ली । ‘रामायण रिसर्च काउंसिल’ के तत्वावधान में आज नई दिल्ली स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में एक विशेष प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देश के प्रमुख संत-महात्माओं, विद्वानों और सामाजिक नेतृत्व से जुड़ी हस्तियों ने भाग लिया।
प्रेस वार्ता में गीता मनीषी पूज्य स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, आनंद पीठाधीश्वर पूज्य स्वामी बालकानंद गिरि जी महाराज, निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी चित्प्रकाशानंद गिरि जी महाराज, वृंदावन स्थित मिथिलाकुंज आश्रम के महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी किशोरीशरण जी महाराज, पद्मविभूषण जगद्गुरु श्रीरामभद्राचार्य जी महाराज के उत्तराधिकारी पूज्य आचार्य रामचंद्र दास जी महाराज, और अयोध्या के श्रीराम आश्रम के महंत पूज्य स्वामी जय राम दास जी महाराज उपस्थित रहे।
जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज एवं परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने ऑनलाइन माध्यम से जुड़कर मीडिया को संबोधित किया।
प्रेस वार्ता का केंद्रबिंदु बना सीतामढ़ी (बिहार) के राघोपुर बखरी स्थित 833 वर्ष प्राचीन श्रीरामजानकी स्थान, जिसके जीर्णोद्धार और मां सीता के भव्य मंदिर निर्माण की घोषणा की गई। सभी संतों ने एक स्वर में मंदिर निर्माण का संकल्प लिया। इसके लिए बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद द्वारा 12 एकड़ भूमि रामायण रिसर्च काउंसिल को आवंटित की गई है।
इस अवसर पर श्रीभगवती सीता तीर्थ क्षेत्र समिति के अध्यक्ष के रूप में देवेश चंद्र ठाकुर को मनोनीत किया गया।
इस ऐतिहासिक क्षण पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक डॉ. इंद्रेश कुमार, भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, तथा काउंसिल के कई प्रमुख सदस्य उपस्थित रहे। इनमें प्रमुख नाम हैं— निरंजनी अखाड़े से साध्वी अपराजिता गिरि, केवल कपूर, संजीव सिंह, डॉ. वीरेंद्र कुमार, कनाडा निवासी एनआरआई आदित्य झा (सीतामढ़ी मूल निवासी), सेवानिवृत्त आईएएस देव दत्त शर्मा, देव रत्न शर्मा, पिताम्बर मिश्र (काउंसिल सचिव), रौशन सिंह, आनंद मोहन, राजीव सिंह, शिवम सिंह, अम्बर अग्रवाल, वैभव राणा, कुमार स्मृति, तथा रितिका झा।
सभी उपस्थित संतों और समाजसेवियों ने एक स्वर में मां सीता के इस ऐतिहासिक तीर्थ को राष्ट्रीय आस्था और गौरव का केंद्र बनाने का आह्वान किया।
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