उत्तराखंड : लोक साहित्य को डिजिटल स्वरूप में किया जाएगा संरक्षित, बोलियों का बनेगा भाषाई मानचित्र
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उत्तराखंड : लोक साहित्य को डिजिटल स्वरूप में किया जाएगा संरक्षित, बोलियों का बनेगा भाषाई मानचित्र

प्रदेश में भेंट स्वरूप बुके के बदले किताब का प्रचलन शुरू करने पर जोर

by उत्तराखंड ब्यूरो
Jun 9, 2025, 06:42 pm IST
in उत्तराखंड
उत्तराखंड भाषा संस्थान की बैठक की अध्यक्षता करते सीएम पुष्कर सिंह धामी

उत्तराखंड भाषा संस्थान की बैठक की अध्यक्षता करते सीएम पुष्कर सिंह धामी

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देहरादून। उत्तराखंड की बोलियों, लोक-कथाओं, लोकगीतों एवं साहित्य के डिजलिटीकरण की दिशा में कार्य किए जाएं। इसके लिए ई-लाइब्रेरी बने। यह निर्देश सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भाषा संस्थान की बैठक में दिए।

सीएम धामी ने कहा  कि लोक कथाओं पर आधारित संकलन बढ़ाने के साथ ही इन पर ऑडियो-विजुअल भी बनाये जाएं। स्कूलों में सप्ताह में एक बार स्थानीय बोली भाषा पर भाषण, निबंध एवं अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाए। उत्तराखंड भाषा एवं साहित्य का बड़े स्तर पर महोत्सव किया जाए, इसमें देशभर से साहित्यकारों को बुलाया जाए। उत्तराखंड की बोलियों का एक भाषाई मानचित्र बनाया जाए।

मुख्यमंत्री धामी ने सचिवालय में उत्तराखंड भाषा संस्थान की साधारण सभा एवं प्रबन्ध कार्यकारिणी समिति बैठक के अध्यक्षता करते हुए प्रदेशवासियों से भी अपील की कि वे भेंट स्वरूप बुके के बदले किताब (बुक) को बढ़ावा दें।

बैठक में निर्णय लिया गया कि उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान की राशि 5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख 51 हजार की जायेगी। राज्य सरकार द्वारा दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान भी दिया जायेगा, जिसकी सम्मान राशि 5 लाख होगी। राजभाषा हिन्दी के प्रति युवा रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए युवा कलमकार प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। इसमें दो आयु वर्ग में 18 से 24 और 25 से 35 के युवा रचनाकारों को शामिल किया जायेगा।

राज्य के दूरस्थ स्थानों तक सचल पुस्तकालयों की व्यवस्था कराने के साथ ही पाठकों के लिए विभिन्न विषयों से संबंधित पुस्तकें एवं साहित्य उपलब्ध कराने के लिए बड़े प्रकाशकों का सहयोग लेने पर सहमति बनी। भाषा संस्थान लोक भाषाओं के प्रति बच्चों की रूचि बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे वीडियो तैयार कर स्थानीय बोलियों का बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करेगा।

बैठक में निर्णय लिया गया कि जौनसार बावर क्षेत्र में पौराणिक काल से प्रचलित पंडवाणी गायन ‘बाकणा’ को संरक्षित करने के लिए इसका अभिलेखीकरण किया जायेगा। उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा प्रख्यात नाट्यकार ‘गोविन्द बल्लभ पंत’ का समग्र साहित्य संकलन, उत्तराखण्ड के साहित्यकारों का 50 से 100 वर्ष पूर्व भारत की विभन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित साहित्य का संकलन और उत्तराखण्ड की उच्च हिमालयी एवं जनजातीय भाषाओं के संरक्षण एव अध्ययन के लिए शोध परियोजनों का संचालन किया जायेगा। राज्य में प्रकृति के बीच साहित्य सृजन, साहित्यकारों के मध्य गोष्ठी, चर्चा-परिचर्चा के लिए 2 साहित्य ग्राम बनाये जायेंगे।

भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पिछले तीन सालों में उत्तराखंड में भाषा संस्थान द्वारा अनेक नई पहल की गई है। भाषाओं के संरक्षण और संवर्द्धन के साथ ही स्थानीय बोलियों को बढ़ावा देने की दिशा में तेजी से प्रयास किये जा रहे हैं। भाषा की दिशा में लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा अनेक पुरस्कार दिये जा रहे हैं।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव  आर.के. सुधांशु, सचिव  वी.षणमुगम,  श्रीधर बाबू अदांकी, निदेशक भाषा  स्वाति भदौरिया, अपर सचिव मनुज गोयल, कुलपति दून विश्वविद्यालय डॉ. सुरेखा डंगवाल, कुलपति संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री एवं अन्य लोग उपस्थित थे।

 

Topics: उत्तराखंड लोक कलाई लाइब्रेरीसाहित्या का डिजिटलीकरणसीएम पुष्कर सिंह धामीउत्तराखंड भाषा संस्थान
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