पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे अरविंद नेताम ने कहा कि वनवासी समुदाय के सामने धर्मांतरण सबसे बड़ी समस्या है। धर्मांतरण के खतरे को किसी भी राज्य की सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया है। बहरहाल, अब धर्मांतरण विरोधी कानून पारित किया जाना चाहिए।
नागपुर में आयोजित संघ के कार्यकर्ता विकास वर्ग-2 के समापन पर बतौर मुख्य अतिथि अरविंद नेताम ने राजनीतिक भाषण से परहेज करते हुए कहा कि देश में वनवासी समुदाय के सामने कई चुनौतियां हैं। अक्सर जब वे सरकार और प्रशासन के सामने जाते हैं तो उनकी सुनवाई नहीं होती। इसलिए मैं संघ की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहा हूं। धर्मांतरण के साथ ही वनवासियों का विस्थापन भी बड़ी समस्या है। संघ को सभी की समान भागीदारी सुनिश्चित करने की पहल करनी चाहिए।
नेताम ने मांग करते हुए कहा कि वनवासियों की जमीनों को स्थायी रूप से अधिग्रहित करने के बजाय लीज पर लिया जाना चाहिए। काम पूरा होने के बाद संबंधित जमीन वनवासियों को वापस की जानी चाहिए। छत्तीसगढ़ में पिछले कई सालों से धन कानून का पालन नहीं हुआ है। संघ को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए।
नेताम ने कहा कि धर्मांतरण को रोकने के लिए डीलिस्टिंग एक बड़ा हथियार हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि इसके समर्थन में माहौल बनाने की कोशिश की जानी चाहिए। नेताम ने बताया कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को कुचलने के लिए काम चल रहा है। हालांकि, नक्सलवाद की विचारधारा कई लोगों के बीच बनी हुई है। इस बात का खतरा है कि भविष्य में नक्सली फिर से सिर उठाएंगे। इसलिए, इस संबंध में एक नीति तैयार की जानी चाहिए।
हम कोई नई सामाजिक विचारधारा नहीं बनाना चाहते। हालांकि, वनवासियों को भी पहचान मिलनी चाहिए। देश में वनवासी समुदाय की पहचान धीरे-धीरे खत्म हो रही है। वहीं संघ के कार्यक्रम में शिरकत करने को लेकर नेताम ने बताया कि संघ भूमि पर आकर मुझे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला। संघ के शताब्दी वर्ष में यहां आना गौरव का क्षण है। नेताम ने अपने भाषण में रेखांकित किया कि देश में संघ के अलावा किसी भी संगठन ने देश की अखंडता और सामाजिक समरसता के लिए काम नहीं किया है।
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